TRAVEL भीड़ भाड़ से दूर ये पांच अनछुई जगहें दे सकती हैं आपको सुकून
उत्तराखंड में ताजा बर्पबारी के बाद मौसम सुहाना हो गया है। ऐसे में अगर आप गढ़वाल में घूमने का मन बना रहे हैं तो कुछ अनछुई जगहें आपकी यात्रा का रोमांच बढ़ा सकती हैं। प्रसिद्ध और भीड़भाड़ वाले पर्यटक स्थलों अलग इन जगहों पर आप सुकून और शांति के पल गुजार सकते हैं। आपको बताते हैं पांच ऐसी ही जगहों के बारे में-
चौरंगीखाल- उत्तरकाशी जिले में चौरंगीखाल एक बेहद खूबसूरत जगह है। उत्तरकाशी से तीस किमी दूर बांज बुरांस के जंगलों के बीच यहां चौरंगीनाथ का मंदिर है। यहां से तीन कि
मी की दूरी पर नचिकेता ताल भी एक सुरम्य स्थल है। चौरंगीखाल में सभी ढाबों पर चूल्हे का बना खाना बेहद लजीज होता है। यहां पर फोरेस्ट गेस्ट हाउस और लोनिवि का गेस्ट हाउस है। यात्रा सीजन में बहुत से यात्री यमुनोत्री गंगोत्री के बाद केदारनाथ के लिए चौरंगीखाल होते हुए ही निकलते हैं।
बिनसर महादेव- पौड़ी जिले की थैलीसैण ब्लॉक में चौथान इलाके में बिनसर महादेव बेहद सुरम्य जगह है। मुरादाबाद रामनगर पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा होने के कारण यहां पौ
ड़ी के साथ ही कोटद्वार से भी पहुंचा जा सकता है। देवदार के जंगल के बीच यहां स्थित प्राचीन शिवमंदिर की बड़ी महत्ता है। इसे पांडवकालीन माना जाता है। हिमालयन गजेटियर में ऐटकिंसन ने भी इस मंदिर का उल्लेख किया है। यहां नजदीकी कस्बे पीठसैण, बैजरों और थैलीसैंण हैं।
भद्राज- देहरादून जिले में मसूरी से सड़कमार्ग से 15 किमी की दूरी पर स्थित भदराज का बड़ा आकर्षण है। लोकमान्यताओं के अनुसार यहां भगवान बलराम का प्रवास रहा था। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां एक एक ओर हिमालय की हिमशिखर नजर आते हैं तो दूसरी ओर दूर तक पसरे तराई और मैदानी इलाके का नजारा खूबसूरत दिखता है। कई लोग विकासनगर के पास लांघा रोड के बाद पांच किमी का ट्रैक करके भी भद्राज पहुंचते हैं।
सांकरी- उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र में सांकरी एक बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में आकार ले रहा है। फरवरी के महीने तक यहां पसरी बर्फ और खिली धूप पर्यटकों को खुशी की पूरी खुराक देती है। देहरादून से यमुनोत्री हाईवे पर नौंगाव तक और उसके बाद पुरोला मोरी व नैटवाडहोते हुए सांकरी पहुंचा जाता है। यहां की खास संस्कृति और खान पान अपने आप में अनूठे हैं। वहीं अब साहसिक खेलों के साथ ही ठहरने के होटल और रिजोर्ट की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
नागटिब्बा- चंबा मसूरी रोड पर सुवाखोली से करीब 16 किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा क़स्बा है थत्यूड़। अलगाड नदी घाटी में बसे थत्यूड से 7 किमी की दूरी पर देवलसारी होते हुए नागटिब्बा तक ट्रैक जाता है | दूसरा रास्ता मसूरी से नैनबाग व पंतवाड़ी तक मोटर मार्ग के बाद करीब पांच किमी का ट्रैक है। नागटिब्बा समुद्र तल से 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ एक छोटा सा मंदिर भी है | नागटिब्बा से हिमालय की बंदर पूंछ पर्वत माला का शानदार और आकर्षक दृश्य दिखाई देता है। सर्दियों में यहाँ की पहाड़ियां बर्फ से पटी रहती हैं जबकि गर्मियों में मौसम बहुत सुखद रहता है। नागटिब्बा शब्द का पहला हिस्सा नाग देवता को एवं दूसरा भाग स्थानीय भाषा में शिखर या पहाड़ी को प्रदर्शित करता है।