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धामी के दो साल पूरे, युवा मुख्यमंत्री ने नहीं किया निराश, हिंदुत्व के ब्रांड बनकर उभरे

– पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पूरे हुए दो साल, नाटकीय परिस्थितियों में तीरथ सिंह रावत को हटाकर हाईकमान ने सौंपी थी कुर्सी
PEN POINT, DEHRADUN : पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री का पद संभाले हुए मंगलवार को पूरे दो साल हो गए। नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पद पर बैठे पुष्कर सिंह धामी ने दो साल के कार्यक्रम में ऐसे कई फैसले लिए जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी खूब सुर्खियां बटोरी तो अपने फैसलों को लेकर इन दो सालों में उन्होंने खुद को भाजपाशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सूची अव्वल रहे हैं। यूसीसी, धर्मांतरण कानून, अवैध कब्जे हटाने को लेकर उनके फैसलों ने उन्हें जहां मुख्यमंत्री के तौर पर खूब प्रसि़द्धि दिलवाई हैं तो उन्हें भाजपा के हिंदुत्व के ब्रांड के तौर पर भी पहचान मिली है।

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चम्पावत के माँ वाराही धाम देवीधुरा में आयोजित पाँच दिवसीय विश्व कल्याण महायज्ञ के शुभ अवसर पर पूजा-अर्चना करते मुख्यमंत्री। इसी विधानसभा से उपचुनाव 95 फीसदी मतों के साथ जीता था धामी ने। Source – twitter

चार साल के कार्यकाल में 4 दिन पूर्व ही भाजपा ने प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया था। अपने अजीबों गरीब बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले तीरथ सिंह रावत को छह महीने के भीतर उपचुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना था, हालांकि, उस दौरान गंगोत्री विधानसभा में तत्कालीन विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद यह सीट खाली भी थी ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि तीरथ सिंह रावत गंगोत्री विधानसभा से विधायक बनकर विधानसभा का सदस्य बन सकते हैं लेकिन चार महीने के कार्यकाल पूरे होने के 4 दिन पहले ही एक नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा हाईकमान ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंप दी। युवा प्रदेश की कमान युवा मुख्यमंत्री को सौंपने के इस फैसले का राज्य ने भी दिल खोल कर स्वागत किया। विधानसभा चुनाव के चलते काम करने का भले ही कम समय मिला हो लेकिन युवा चेहरे ने लोगों के बीच अपनी छाप छोड़ने में कामयाबी जरूर पाई। विधानसभा चुनाव में अपेक्षाओं के उलट भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा और पार्टी दोबारा बहुमत पाने में सफल रही, हालांकि विधानसभा चुनाव में अपनी खटीमा सीट से पुष्कर सिंह धामी जरूर चुनाव हार गए लेकिन मुख्यमंत्री पद पर उन्होंने अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी। विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद भी हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी पर भरोसा दिखाते हुए उन्हें फिर से मुख्यमंत्री का पद सौंपा। इस तरह दो सरकार में वह कार्यकाल के दो साल पूरे कर चुके हैं। बीता साल भले ही उनके लिए तमाम चुनौतियां लेकर आया लेकिन हाईकमान के भरोसे और पर्याप्त बहुमत व युवा छवि के बूते वह इन चुनौतियों को पार पाने में सफल साबित हुए। बीता साल राज्य में सरकारी नौकरियों की खरीद फरोख्त के स्कैम के खुलासे के नाम रहा। भर्ती परीक्षाओं में नकल, पेपर लीक समेत कई तरह के ऐसे मामले सामने आए जिनसे पता चला कि राज्य में सरकारी नौकरियों को लेकर किस तरह की अंधेरगर्दी मची है। पुष्कर सिंह धामी ने अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की बजाए इस मामले में एक कदम आगे बढ़ते हुए नौकरी कांड में शामिल ज्यादातर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। मामले में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग समेत अन्य संस्थाओं के अधिकारियों कर्मचारियों के साथ ही स्कैम में शामिल 60 से ज्यादा लोगों को जेल भेजा गया साथ ही प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से नकल विहिन करवाने के लिए नकल विरोधी कानून भी लगाया।
वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वायदा किया था, चुनाव जीतने के बाद मई 2021 में पुष्कर सिंह धामी ने एक हाई कमेटी का गठन कर समान नागरिक संहिता के वायदे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाया तो उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बना जिसने समान नागरिक संहिता लागू करने का फैसला लिया था। अब राज्य में समान नागरिक संहिता कानून का ड्राफ्ट अपने आखिरी दौर में और मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि मानसून सत्र में इस ड्राफ्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा। समान नागरिक संहिता पर पुष्कर सिंह धामी के फैसले को लेकर उन्हांेने देश भर में खूब सुर्खियां बटोरी। कई अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने यूसीसी को अपने चुनावी घोषणा पत्र का अहम मुद्दा बनाया। वहीं राज्य में पुष्कर धामी सरकार की समान नागरिक संहिता पर इस कदम के बाद केंद्र सरकार भी समान नागरिक संहिता में आगे बढ़ने का फैसला लेते हुए 2024 के लोक सभा चुनाव में समान नागरिक संहिता को ही मुख्य मुद्दा बनाती दिख रही है।
पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में जबरन धर्मांतरण को लेकर भी कड़ा कानून बनाते हुए राज्य में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए धर्मांतरण कानून भी लागू किया। जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन पर 2 से 7 साल तक जेल और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं, सरकारी भूमि पर धार्मिक निर्माण के नाम पर अवैध कब्जे को लेकर भी पुष्कर सिंह धामी के उठाए कदमों की राष्ट्रीय स्तर पर खूब चर्चा हुई और राज्य सरकार ने खूब वाहवाही भी बटोरी। राज्य की वन भूमि व सरकारी भूमि पर मजारों, मंदिरों समेत अन्य धार्मिक निर्माण के नाम पर कब्जे हटाने को चलाए गए अभियान में हजारों अवैध निर्माणों को हटाया गया।
तो वहीं, महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया। हाईकोर्ट की ओर से महिला आरक्षण को रद करने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण को कानूनी रूप पहनाया।
इसके साथ ही कुमाउं मंडल में भी चारधाम यात्रा की तर्ज पर यात्रा स्थलों को विकसित करने और यात्रियों की आवाजाही बढ़ाने के लिए पौराणिक और प्राचीन मंदिरों के विकास के लिए मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत पहले चरण में 16 मंदिरों को विकसित करने की योजना शुरू की।
दो सालों के कार्यकाल में तमाम चुनौतियों के बावजूद भी युवा राज्य के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कई फैसलों ने उन्हें नेशनल हीरो के तौर पर स्थापित किया तो साथ ही उन्हंे हिंदुत्व के ब्रांड के तौर पर भी स्थापित किया। दो साल के कार्यकाल के दौरान वह भाजपाशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की सूची में तेजी से आगे बढ़े और आलम यह है कि बीते साल भर से भाजपा के मुख्यमंत्रियों के मामले में अपने फैसलों को लेकर वह सकरात्मक रूप से बेदाग छवि के साथ सबसे आगे खड़े दिख रहे हैं।

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