उड़ता उत्तराखंड : करोड़ों की कीमत का नशा हर साल हो रहा जब्त
राज्य में नशाखोरी सबसे बड़ी चुनौती बनी, बीते साल ही 22 करोड़ रूपये की कीमत का नशा पुलिस ने किया जब्त
राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों तक भी नशा तस्कर पहुंचे, सुदूर गांवों तक पहुंच रहा है नशा
PEN POINT, DEHRADUN : स्कूल कॉलेज जाते बच्चों के व्यवहार में बदलाव या डन्हें गुमसुम देखें तो उनकी सोहबत पर जरूर गौर करें। हो सकता है कि वे नशे की अंधेरी गर्त में चले गए हों। जिसका अंदाजा बहुत देर बाद लगता है। दरअसल, उत्तराखंड के हर हिस्से में नशे का ये जहरीला जाल पहुंच चुका है। यहां तक कि पहाड़ी कस्बों के स्कूली बच्चे भी इसके शिकंजे में आ चुके हैं। स्मैक, चरस, अफीम जैसे नशे को लेकर कई परिवारों के चश्मे चिराग बुझने की खबरें आए दिन सुनने को मिल रही हैं।
उत्तराखंड के युवाओं के रगो में किस तरह नशा भरा जा रही है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में पुलिस बीते साल 22 करोड़ रूपये से ज्यादा कीमत का नशा बरामद किया। ऐसे सहज रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में नशा तस्करी का बाजार कितना बड़ा बन चुका है और दूर दराज के गांवों के युवा तक नशे के इस मकड़जाल में फंस रहे हैं।
शायद ही कोई दिन गुजरे जब अखबारों में नशा तस्करों की गिरफ्तारी की खबर आपकी नजरों से न गुजर रही हो। बीते साल ही पुलिस ने हर दिन औसतन 4 नशा तस्कर दबोचे। पूरे साल भर में साढ़े 16 सौ से अधिक नशा तस्कर पुलिस के गिरफ्त में आए। जबकि, पुलिस भी मानती है कि ज्यादातर वहीं नशा तस्कर पुलिस के गिरफ्त में आते हैं जिनके बारे में मुखबीर से सटीक जानकारी मिलती है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पकड़े गये नशा तस्कर नशा तस्करी के नेटवर्क का एक छोटा सा हिस्सा है। अब आंकड़ों की बात करें तो बीते साल पुलिस ने करीब 22 करोड़ 34 लाख 95 हजार 665 रूपये की कीमत के नशे के सामान के साथ 1645 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 241 किलोग्राम चरस तो 16 किलो से अधिक स्मैक की बरामदगी हुई।
वहीं,2021 में पुलिस ने राज्य भर में 2165 नशा तस्करों को गिरफ्तार कर 26 करोड़ 44 लाख 73 हजार 976 रूपये की कीमत का नशा बरामद किया। 2021 में पुलिस ने विभिन्न जिलों में मुखबीरों की सूचना पर 281 किलो चरस, 18 किलो स्मैक, 221 किलो डोडा अफीम, 1 लाख 18 हजार 363 नशीली गोलियां, 19 हजार से अधिक नशीले कैप्सूल और 10 हजार के करीब नशीले इंजेक्शन बरामद किये।
देहरादून और हरिद्वार जनपद के बाद अब यूएसनगर व नैनीताल निशाने पर
राज्य के मैदानी जिलों में नशा तस्करी चरम पर है। बीते दो सालों के आंकड़े तो यही तस्दीक करते हैं। 2021 में जहां देहरादून और हरिद्वार में पूरे राज्य में जब्त नशे का आधा हिस्सा बरामद किया गया वहीं 2022 में नैनीताल और यूएसनगर में पूरे राज्य में सर्वाधिक नशे की सामग्री पुलिस के हाथ लगी। यह चारों जिले में मुख्य स्कूल कॉलेजों के केंद्र तो हैं तो साथ ही उद्योगों के प्रमुख केंद्र भी है। ऐसे में यहां प्रदेश के पर्वतीय इलाकां से बड़ी आबादी पलायन कर बसती है साथ ही पढ़ाई और रोजगार के लिए देश के अन्य हिस्सों से भी बड़ी आबादी इन जिलों में प्रवास करती है।
2021 में पूरे राज्य में जब्त 26 करोड़ रूपये से अधिक नशे में से सिर्फ देहरादून और हरिद्वार में ही 13 करोड़ रूपये की कीमत से अधिक का नशा जब्त किया गया। जबकि, 2022 में नैनीताल व यूएसनगर में 10 करोड़ रूपये की कीमत से अधिक के नशे की सामग्री जब्त की गई।
पहले ‘एडिक्ट’ बनाओ फिर ‘पैडलर’
बीते दो सालों में पुलिस के हत्थे चढ़े नशा तस्करों में बड़ी संख्या उन छात्रों और युवाओं की थी जो नशा तस्करी के नेटवर्क से तो जुड़े नहीं थे बल्कि पहली या दूसरी बार नशा अन्य तक पहुंचाने का काम अपने हाथ में लिए हुए थे। यह नए नए नशे के आदि बने युवा थे जो अब नशा तस्करों के ईशारे पर अन्य युवाओं को नशे की लत में लाने के काम में जुटे थे। स्कूली छात्र छात्राएं आसानी से नशा तस्करों के चंगुल में फंस जाते हैं। पहले नशा तस्करों के संपर्क में आने पर नशे के आदि बनाए जाते हैं उसके बाद इन्हीं छात्र छात्राओं को ‘पैडलर’ के तौर पर अन्य छात्रों को नशे की लत लगाकर उन्हें नशे की सामग्री पहुंचाने के काम में जोड़ दिया जाता है।
रिपोर्ट – पंकज कुशवाल।