गंदे पानी की वजह से चली गई 4 लाख बच्चों की जान
– विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट में दावा, 2019 में ही 14 लाख लोगों ने गंदगी से पैदा होने वाली बीमारियों के चलते गंवाई जान
PEN POINT, DEHRADUN : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हाल में जारी रिपोर्ट चिंताजनक है। असुरक्षित पेयजल, साफ सफाई और गंदगी के कारण होने वाली बीमारियों का बोझ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में में दावा किया गया है कि स्वच्छता की कमी और गंदे पानी की वजह से 5 वर्ष से कम उम्र के करीब 4 लाख बच्चों ने 2019 में अपनी जान गंवाई। जिसमें से सिर्फ पौने तीन लाख बच्चों ने गंदे पानी से होने वाले डायरिया की वजह से अपनी जान गंवाई। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की बदौलत भारत में गंदगी से होने वाली 30 लाख से करीब मौतों को टाला जा सका।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से असुरक्षित पेयजल, साफ-सफाई और साफ-सफाई के कारण होने वाली बीमारियों का बोझ नाम से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि गंदे पानी, गंदगी से होने वाली बीमारियों के चलते 2019 में ही दुनिया भर में करीब 14 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई जिसमें से 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 3,95,000 थी। भारत समेत दुनिया भर के विकासशील, गरीब देशों में पेयजल के रूप में गंदे पानी की आपूर्ति, खुले में शौच से होने वाली बीमारियों, गंदगी के चलते होने वाली बीमारियां आज भी मानव जीवन के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि दुनिया भर में गंदे माहौल में रहने, गंदगी से होने वाली बीमारियों के चलते सालाना सवा करोड़ से भी ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते हैं। इसमें सबसे ज्यादा गंदे पानी पीने, हाथ न धोने से होने वाली बीमारियों, खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के चलते होने वाली मौते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी इस रिपोर्ट में भारत में 2014 से जारी स्वच्छ भारत अभियान की भी तारीफ की गई है। रिपोर्ट की माने तो केंद्र सरकार ने माना है कि स्वच्छ भारत अभियान के चलते शौचालयों के निर्माण को चलाए गए अभियान के चलते देश के अधिकतर हिस्से खुले में शौच मुक्त हो चुके हैं जिस कारण खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के चलते होने वाली 30 लाख मौतों को केंद्र सरकार ने टाली है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में करीब 70 करोड़ से ज्यादा लोगों तक पीने को साफ पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि 170 करोड़ आबादी के पास आज भी शौचालय नहीं है। लिहाजा, इतनी बड़ी आबादी खुले में शौच करने को मजबूर है जो कई खतरनाक बीमारियों को पैदा कर रही है। लिहाजा, इसका सबसे बड़ा खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ रहा है।