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जर्मनी से सीखकर लाए तकनीक, उत्तराखंड आते ही भूल गए

– बीते साल सितंबर महीने में जर्मनी में कूड़े से बिजली बनाने का गुर सीख आए थे शहरी विकास मंत्री व नौकरशाह
– छह महीने बाद भी बिजली से कूड़ा बनाना तो दूर, जटिलताओं से भरी नीति को तक बदलने में नाकाम रही टीम

PEN POINT, DEHRADUN : बीते साल सितंबर महीने में राज्य के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल अपने लाव लश्कर के साथ जर्मनी रवाना हुए थे। कूड़े के प्रबंधन को लेकर काम कर रही एक संस्था की ओर से उत्तराखंड और जर्मनी के बीच सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के गुर सीखने के लिए इस भ्रमण का आयोजन किया गया था। 25 सितंबर को जब शहरी विकास मंत्री वापिस देहरादून लौटे तो उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जल्द ही उत्तराखंड में भी अब कूड़े से बिजली बनाने का काम शुरू होगा। लेकिन, इस भ्रमण को खत्म हुए सात महीने होने को है लेकिन कूड़े से बिजली बनाने का काम तो दूर जिस नीति की वजह से कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट 2016 से शुरू नहीं हो पा रहे हैं उस नीति को तक संशोधित करने की जहमत नहीं उठाई गई। वहीं, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल के कूड़े से बिजली बनाने का इंतजार उनके प्रभार वाले जनपद उत्तरकाशी के जिला मुख्यालय के बीचों बीच गंगा नदी के किनारे दो हजार टन कूड़ा कर रहा है।
उत्तराखंड की राजनीति में बीते साल से चर्चाओं में बने शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल उत्तरकाशी जनपद के भी प्रभारी मंत्री है। उत्तरकाशी शहर के बीचों बीच भागीरथी तट पर दो हजार टन से अधिक का कूड़ा सालों से पड़ा हुआ है, नगर पालिका की ओर से ट्रैचिंग ग्राउंड के नाम पर करोड़ों रूपए स्वाहा करने के बाद भी कूड़ा डंपिंग जोन नहीं बन सका है। वहीं, बीते साल जब सितंबर महीने में अपने लाव लश्कर के साथ उत्तरकाशी के प्रभारी मंत्री शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल जर्मनी गए थे तो उन्होंने एलान किया था कि उत्तराखंड में भी कूड़े से बिजली बनाने का काम शुरू किया जाएगा। इस खबर के बाद उत्तरकाशी शहर के बीचों बच डंप किया गया कूड़ा भी उम्मीद कर रहा था कि उसके जरिए लोगों के घर रौशन हो सकेंगे तो उसकी बदबू से नाक भौं सिकोड़ने वाले भी कूड़े की महत्ता समझेंगे। लेकिन, आधा साल बीत गया पर कूड़े से बिजली बनाने की दिशा में सरकार एक कदम तक आगे नहीं बढ़ सकी है। हालांकि, इस दौरान शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल अलग अलग कारणों से चर्चाओं में तो बने रहे लेकिन कूड़े को बिजली में बदलने की योजना अखबारों के पन्नों तक ही सीमित रह गई। इस दिशा में सरकार कितनी संवेदनशील है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में कचरे से बिजली बनाने की जो नीति बनाई गई थी उसे तक संशोधित नहीं किया गया। माना जा रहा है कि इस नीति में इतनी जटिलताएं हैं कि राज्य में कूड़े से बिजली बनाने का जो प्लांट 2016 में रूड़की में लगाया गया था वह अब तक भी शुरू नहीं हो सका है। इस प्लांट में दो सौ मीट्रिक टन से दो मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाना था। सात साल बीतने को है लेकिन रूड़की का यह प्लांट वेस्ट टू एनर्जी नीति 2019 की नीतियों की जटिलताओं की वजह से धरातल पर नहीं उतर सका है। ऐसे में शहरी विकास विभाग भी लंबे समय से नीति में संशोधन की बात तो कर रहा है लेकिन वह इस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है। वहीं, राज्य भर के जिला मुख्यालय समेत नगर निकाय भी कूड़ा प्रबंधन की समस्याओं से जूझ रहे हैं। लिहाजा, जगह जगह कूड़ा या तो नदियों के हवाले कर दिया जा रहा है फिर आबादी के पास ही डंप किया जा रहा। मंत्री जी के साथ जर्मनी टूर पर अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन, निदेशक शहरी विकास नवनीत पांडे, अपर निदेशक अशोक कुमार पांडे, मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम हरिद्वार दयानंद सरस्वती, मुख्य नगर आयुक्त नगर निगम ऋषिकेश राहुल गोयल भी गए थे। शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग देख रहे इन नौकरशाह भी जर्मनी से लौटने के बाद गहरी नींद में सो गए।

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