उत्तराखंड में लागू हुआ नकलरोधी कानून, जानिये कितनी मिल सकती है सजा
PEN POINT, देहरादून : बेरोजगारों के आंदोलन और आक्रोश के बीच उत्तराखंड को नया नकलरोधी कानून मिल गया है। राज्य सरकार की ओर से भेजे गए अध्यादेश को गुरूवार की रात राजभवन से मंजूरी मिल गई। गौरतलब है कि उत्तराखंड में लगातार भर्तियों में धांधली के मामले सामने आने युवा आंदोलित हो गए थे। बीते दिनों युवाओं के उग्र आंदोलन से सहमी सरकार ने आनन फानन में कई फैसले लिए। जिसमें नकल विरोधी अध्यादेश भी शामिल था। जिस दिन बेरोजगार युवाओं ने राजधानी में सरकार के खिलाफ मुखर आंदोलन किया उसी दिन सरकार ने अध्यादेश को मंजूरी के लिए राजभवन भेजा।
क्या है नकलरोधी कानून में-
- यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास की सजा तथा 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि उक्त परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोष सिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
- यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कानून में अपराध से अर्जित संपत्ति को कुर्क करने का प्रवधान भी है, तथा अपराध को संज्ञेय, गैर जमानती और अशमनीय माना गया है। बताया जा रहा है कि यह देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून है।