वाम और दक्षिण के टकराव का केंद्र क्यों बन रहा जोशीमठ ?
जोशीमठ में इन दिनों पक्ष विपक्ष सहित बाम पार्टियों का एक दूसरे के खिलाफ पुतला दहन करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा
विपिन कंडारी, पेन प्वाइंट : जोशीमठ भू धंसाव की लड़ाई अब सिर्फ पीड़ितों और प्रभावितों के केंद्र में नहीं रह गयी है। इसने घोर राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई का रूप ले लिया है। उत्तराखंड और केंद्र में दक्षिणपंथी विचार से पोषित बीजेपी की सरकार सत्ता में काबिज है। ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) सनातन के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है। इसका अपना धार्मिक इतिहास और पहचान है। लेकिन बीते एक महीने से भी ज्यादा वक्त से जोशीमठ देश दुनिया की नज़रों में एक नई चर्चा के तौर पर सामने आया है। दरअसल यह पर्वतीय शहर पर्यटन और सनातनी तीर्थ यात्रा का प्रमुख पड़ाव है। ऐसे में उत्तराखंड में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।
इस वक्त यह शहर अपनी भौगोलिक पारिस्थिकी के खतरे से जूझ रहा है। यहाँ भू धंसाव के चलते शहर का एक हिस्सा खतरे की जद में आ गया है। लगातार जमीन फट रही रही। गहरी और मोटी दरारों ने सैकड़ों घरों को अपनी जद में ले लिया है। लोग हैरान परेशान होकर अपने घरों को छोड़ सरकार के रहमो करम पर रहने और जीवन गुजारने को मजबूर हो चले हैं। ऐसे में इस शहर से गहरा ताल्लुक रखने वाले यहाँ के वाशिंदों का परेशान होना लाजमी है। ऐसे में ये लड़ाई कई स्तरों पर जारी है। विपक्षी दल कांग्रेस और तमाम स्थानीय सियासी दल बीजेपी सरकार को घेरने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रहे हैं। यह परम्परा लोकतंत्र की मजबूती में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन अब हालात यहाँ तक पहुँच गए हैं कि जोशीमठ में स्थानीय प्रभावित लोग सरकार की तरफ से उठाए जा रहे क़दमों को नाकाफी बता रहे हैं और अपनी तमाम मांगों को लेकर आंदोलित हैं।
वहीँ सत्तापक्ष जोशीमठ में सबकुछ ठीकठाक होने का दावा कर रहा है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और इस क्षेत्र से पूर्व विधायक रहे महेंद्र भट्ट अंदोलनकरने वाले लोगो पर सीधे हमला करते हुए उन्हें माववादी तक करार दे चुके हैं। इसके बाद यहाँ सियासत गरम हो गयी है। जोशीमठ में कांग्रेस सहित तमाम दलों ने बीजेपी अध्यक्ष भट्ट का पुतला दहन किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दिया था बयान
बता दें कि परोक्ष तौर पर अतुल सती की सक्रियता पर भट्ट ने निशाना साधा था, लेकिन कई मंचों पर भट्ट के बयान की तीखी आलोचना हुई जिसमें सुधार करते हुए उन्होंने इसे वामपंथी कह कर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश की लेकिन हद तो तब हो गयी जब अब बीजेपी कार्यकर्ताओं तक को सड़क पर उतारकर वामपंथ का पुतला फूंकना पड़ गया। क्या जोशीमठ में लेफ्टिस्टों को इतनी मजबूत स्वीकार्यता मिल रही है कि इसे दोनों विचाधाराओं में टकराव और बराबरी के स्तर पर देखा जाने लगा है।
वामपंथियों का पुतला फूंका
बीजेपी दावा करती रही है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन वामपंथियों का उत्तराखंड में कोई इतना बड़ा राजनीतिक वजूद नहीं है, जो बीजेपी को चुनौती देने जैसे स्थिति में हो। फिर ऐसे में पूरे विपक्ष की तरफ से भट्ट के पुतला दहन के बाद जोशीमठ में जो कि सत्ताधारी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का अपना विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि गृह क्षेत्र भी है, फिर भी उन्हें अपनी पार्टी को वामपंथियों के खिलाफ सड़क पर उतरकर नारेबाजी और पुतला दहन तक करने की नौबत आन पड़ी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी अध्यक्ष और अतुल सती की सियासी लड़ाई में जोशीमठ आपदा ने गहरा असर छोड़ दिया हो। जिसके सियासी निहितार्थ की भनक महेंद्र भट्ट और स्थानीय भाजपा को लग गयी हो, जो उन्हें इतने आक्रामक हमला करने पर मजबूर कर रही है।
मंगलवार को नटराज चौक जोशीमठ में कांग्रेस पार्टी और बाम दलों ने माओवादी प्रकरण पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट का पुतला दहन किया, तो बुधवार को भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने भी पलट वार करते हुए नटराज चौक मुख्य चौराहे जोशीमठ में बामपंथियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर बामपंथियों का पुतला फूंका। बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना था कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति जिसका गठन गैर राजनीतिक संगठन के रूप मे हुआ था, पूर्व मे हुए आंदोलन में सभी दलों के लोगों ने एकजुट होकर संघर्ष किया,और सफलता भी मिली। लेकिन जोशीमठ भू धंसाव के बाद संघर्ष समिति का उपयोग सत्ता पक्ष के विरोध के लिए किया जा रहा है। इस दौरान हुई सभा मे वक्ताओं ने कहा कि राज्य व केन्द्र सरकार आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ-जोशीमठ के भविष्य को लेकर स्थाई ब्यवस्था मे जुटी है।