कानून का उल्लघंन: चमोली पुलिस ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान कर दी जारी
-चमोली पुलिस की सोशल मीडिया टीम ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान जारी कर किया पोक्सो अधिनियमि का उल्लघंन, 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक फेसबुक पर वायरल होती रही पोस्ट
PEN POINT, DEHRADUN : बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का खुद पुलिस ही उल्लघंन कर रही है। पोक्सो अधिनियम में दुष्कर्म से पीड़ित बच्चे/बच्ची की पहचान के बारे में कोई खुलासा करना अपराध के दायरे में आता है लेकिन कानून का पालन करवाने के लिए जिम्मेदार चमोली पुलिस ने ही एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान सोशल मीडिया पर जारी कर दी। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस की इस गलती पर ध्यान दिलाया तो इसे संसोधित करवाने के बाद भी पुलिस ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान को छुपाने का प्रयास नहीं किया। अब पुलिस कह रही है कि सोशल मीडिया का संचालन करने वाली टीम ने अति उत्साह में आकर यह गलती कर दी। हालांकि, खबर लिखे जाने तक भी इसमें संसोधन नहीं किया गया था।
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम के तहत दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग की पहचान जारी करना धारा 23 (4) व भारतीय दंड संहिता 376 डी के तहत अपराध है। इस अधिनियम के तहत ऐसी कोई भी सूचना जारी करना जिससे दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर हो जाए अपराध के दायरे में आएगा जिसमें छह महीने तक की सजा का प्रावधान है। यहां तक कि न्यायालय भी हाल के फैसलों में कोर्ट के दस्तावेजों, रिपोर्टों में दुष्कर्म पीड़िता के नाम लिखने पर रोक के आदेश दे चुका है। लेकिन, उत्तराखंड की पुलिस कानूनों के इतने सख्त प्रावधानों के बावजूद दुष्कर्म पीड़िता की पहचान जारी कर रहा है।
बीते मंगलवार को चमोली पुलिस के नंदानगर थाने में नाबालिग से दुष्कर्म का एक मामला दर्ज हुआ था। पीड़ित नाबालिग के भाई की ओर से मामला दर्ज कर अपने गांव के एक ही एक 52 वर्षीय व्यक्ति पर अपनी बहन के साथ दुष्कर्म, उसके गर्भवती होने और प्रसव होने के बाद बच्चा अपने पास रखने का आरोप लगाया था। उक्त मामले में चमोली पुलिस के नंदानगर थाने की ओर से आरोपी को गिरफ्तार किया गया। अपनी हर उपलब्धि को सोशल मीडिया के जरिए प्रचारित प्रसारित करने में जुटी पुलिस ने यहां अतिउत्साह में कानून की ही धज्जियां उड़ा दी। पुलिस ने उक्त प्रकरण को फेसबुक पर चमोली पुलिस उत्तराखंड के आधिकारिक पेज पर पोस्ट किया लेकिन उक्त पोस्ट में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के शिकायतकर्ता भाई का नाम व गांव का नाम जारी कर दिया।
इस मामले के 16-17 घंटे बीत जाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी ने जब यह पोस्ट देखी तो उन्होंने इस संबंध में चमोली पुलिस को उनकी कानून के उल्लघंन संबंधी अपराध पर ध्यान दिलवाया। इसके बाद पुलिस की ओर से उक्त पोस्ट को डिलीट किये बगैर उसमें ही संशोधन कर दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग के शिकायतकर्ता भाई का नाम तो हटा दिया, लेकिन आरोपी के गांव का नाम लिखा छोड़ दिया। जबकि, उक्त पोस्ट में साफ लिखा है कि आरोपी और पीड़िता एक ही गांव के है। इस हिसाब से पुलिस ने अति उत्साह में पोस्ट में पीड़िता की पहचान उजागर कर दी। वहीं, फेसबुक पोस्ट डिलीट न कर उसे ही एडिट किया गया जिससे उस पोस्ट की हिस्ट्री में आसानी से पीड़िता के शिकायतकर्ता भाई का नाम प्रदर्शित हो रहा है। यह पोक्सो एक्ट के तहत कानून के उल्लघंन के दायरे में आता है।
इस संबंध में पुलिस अधीक्षक चमोली रेखा यादव से बात की गई तो उनकी ओर से उनके सहायक ने बताया कि मामले में पुलिस के सोशल मीडिया देख रहे जवानों ने अति उत्साह में आकर यह पोस्ट कर दी जिसे सुधारा गया था, मामले में संबंधित कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है और इसके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि पुलिस की ओर से की गई यह लापरवाही कानून का उल्लघंन होने के साथ ही पोक्सो व आईपीसी के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह पुलिस को नोटिस जारी करेंगी।
क्या कहता है कानून
पोक्सो अधिनियम की धारा 23 के तहत दुष्कर्म पीड़ित बच्ची की पहचान उजागर करना आपराधिक कृत्य है। ऐसा कोई भी संकेत जारी करना जिससे दुष्कर्म पीड़ित की पहचान उजागर हो पोक्सो अधिनियम की धारा 23 के तहत आपराधिक श्रेणी में आएगा जिसमें 6 महीने से लेकर 1 वर्ष की कारावास की सजा का प्रावधान है।