क्या है देहरादून शहर के पास स्थित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर का महात्म्य ?
PEN POINT, DEHRADUN : यदि आप देहरादून में हैं, धर्म में आस्था रखते हैं और मंदिर दर्शन करने की अभिलाषा रखते हैं, तो यहाँ बहुत सारे सिद्धपीठ स्थल हैं। ऐसे में आप देहरादून की धार्मिक पहचान के आधार रहे यहाँ स्थापित सिद्ध मंदिरों के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। जिनमें देहरादून शहर के पास स्थित लक्षमण सिद्ध मंदिर आपकी इस इच्छा को बहुत सुगमता से पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। देहरादून का यह लक्षमण सिद्ध पीठ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है।
देहरादून हरिद्वार हाइवे से लगे हुए क्षेत्र में स्थित इस लक्षमण सिद्ध मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह सिद्धपीठ ऋषि पीठ ऋषि दत्तात्रेय के 84 सिद्धों में से एक है। यह सिद्धपीठ देहरादून स्थित चार सिद्धपीठों में से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह पवित्र मंदिर है, जो देहरादून में आईएसबीटी से करीब 10 किमी दूर हरिद्वार-ऋषिकेश एनएच 72 पर स्थित है।
लोक मान्यता के मुताबिक इस स्थान पर अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र “राम और लक्ष्मण” ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्म ह्त्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान लक्ष्मण ने यज्ञ किया। इसलिए इस मंदिर का नाम “लक्ष्मण सिद्धपीठ मंदिर” है। पौराणिक कथा के अनुसार, संत स्वामी लक्ष्मण सिद्ध ने इस स्थान पर तपस्या की थी और संत ने इसी स्थान पर समाधि ली थी। सिद्धपीठ के पास कुछ ही दूरी पर एक कुआं भी है। तब इस स्थान पर पानी नहीं था, ऐसे में भगवान लक्ष्मण जी ने अपने तीर से यहाँ पानी निकाला था।
यहाँ मंदिर में शिवलिंग स्थापित है और श्रद्धालु इसी शिवलिंग की पूजा करते हैं। इस मंदिर में प्राचीन काल से एक अखंड धूनी जल रही है, जो त्रेता युग से इस मंदिर में स्थापित है। इसी धुनी की राख प्रसाद के रूप में बांटी यहाँ आने वाले भक्तों में बांटी जाती है।
यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्दिरति दिन खुला रहता है भक्त किसी भी दिन यहाँ आकर मंदिर में पूजा पाठ और दर्शन कर सकते हैं। रविवार के दिन यहाँ अक्षर ज्यादा संख्या में लोग भगवान के दर्शनों के लिए आते हैं।
घने जंगल के बीच में होने के कारण सर्दी के मौसम में यहां का मौसम थोड़ा ठंडा रहता है। हालाँकि पेड़ों के बीच से सूरज की करने मंदिर के आसपास पड़ती रहती हैं। वहीं बारिश के मौसम में थोडा दिक्कत हो सकती है। मुख्य मार्ग से करीब जंगल में एक किलोमीटर आप पैदल , या निजी वाहन या टैक्सी, रिक्शा, ऑटो से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं। मंदिर सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
इस मंदिर में मंदिर में शादियाँ नहीं होती। हाँ मंदिर समिति से संपर्क कर यहाँ भंडारे का आयोजन किया जा सकता है। मंदिर, जंगल के क्मेंषेत्र में है इसलिए यहाँ बड़ी संख्या में बन्दर की मौजूदगी है ऐसे में हाथों में खाने का सामान ले जाने से बचना चाहिए। यहाँ हर साल अप्रैल केआखिरी रविवार को मंदिर समिति भक्तों के लिए विशाल मेले और भंडारे का आयोजन कराती है। जिसमें बड़ी संख्किया में श्रद्धालु आते हैं। लक्ष्मण सिद्ध मेला देहरादून के लोकप्रिय मेलों में शामिल है।
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