ठंडे पहाड़ क्यों सुलग रहे हिंदु मुस्लिम नफरत की आग से
OPINION
– पुरोला में अपहरण के प्रयास के एक मामलें से पूरे जिले में मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन, मुस्लिमों को जिला छोड़ने की दी जा रही धमकियां
बीते महीने के आखिर में उत्तरकाशी जनपद के पुरोला कस्बे मंे एक मुस्लिम युवक अपने एक हिंदू साथी के साथ स्थानीय नाबालिग युवती को लेकर फरार होने की फिराक मंे था, स्थानीय लोगों को पता चला तो पुलिस को सूचित किया गया। पुलिस ने दोनों युवकों के साथ नाबालिग को बरामद कर युवकों को जेल भेज दिया। संबंधित धाराओं में मामला भी दर्ज कर लिया गया। दोनों युवक पुरोला बाजार में रजाई बनाने की दुकान चलाते थे। लेकिन, इस घटना के बाद मानों पुरोला ही नहीं पूरा उत्तरकाशी जनपद उबल पड़ा। पिछले दो हफ्तों में पुरोला समेत जिले के अलग अलग कस्बों में बाहरी व्यापारियों के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं। निशाने पर सिर्फ मुसलमान व्यापारी है। उत्तरकाशी, बड़कोट, पुरोला, नौगांव, डुंडा, चिन्यालीसौड़ में बाजार बंद कर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए गए। मुस्लिम व्यवसायियों के दुकानों के बोर्ड तोड़े गए। जिन व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, दुकानों में मुस्लिम व्यवसायी दुकान, व्यवसाय चला रहा है उन पर पोस्टर चस्पा कर 15 जून से पहले दुकानें खाली करवाने का फरमान दिया गया है। जिन भवन स्वामियों ने मुस्लिम व्यवसायियों को कमरे किराए पर दिए थे उन भवन स्वामियों पर मुस्लिम किरायेदारों को हटाने का दबाव बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया के जरिए भी खूब नफरत फैलाई जा रही है। इन दिनों जब मैदानी इलाके गर्मी से तप रहे हैं तो उत्तरकाशी जिले का अधिकतर हिस्सा लगातार हो रही बारिश से कड़ाके की ठंड की चपेट में है लेकिन हिंदु मुस्लिम सांप्रदायिक आग ने पूरे जिले का माहौल गर्म बना दिया है। मुस्लिम व्यापारियों के संपूर्ण बहिष्कार की मांग के चलते मुस्लिम व्यवसायियों के लिए अपने प्रतिष्ठान चलाने मुश्किल हो गए हैं। पुरोला में पिछले दो सप्ताह से भी अधिक समय से मुस्लिम व्यवसायी अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान तक नहीं खोल पाए हैं। जो व्यवसायी अपने परिवारों के साथ इन इलाकों में रहते हैं वह अपने परिवार मैदानी इलाकों में अपने रिश्तेदारों के यहां छोड़ कर आ चुके हैं और अपना व्यवसाय भी समेटने पर जुटे हैं। आखिर एक नाबालिग लड़की को भगाकर ले जाने के इस मामले के चलते पूरे जिले को मुस्लिम व्यवसायियों के खिलाफ क्यों कर दिया गया। इसके लिए प्रदेश भर मंे साल भर से चल वह गतिविधियां भी जिम्मेदार है जिनके चलते प्रदेश में हिंदु मुस्लिमों के बीच लगातार सांप्रदायिक खाई बढ़ती जा रही है।
यूं तो पूरे देश भर में ही हाल के सालों में सांप्रदायिक धुव्रीकरण तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन, उत्तराखंड 2022 से पहले इस तरह के धुव्रीकरण से महफूज रहा था। लेकिन, बीते साल भर में देखेंगे तो सोशल मीडिया लेकर धरातल पर भी स्थानीय लोगांे ने बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों के खिलाफ हल्ला बोल शुरू कर दिया है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयानों और कामों ने हिंदु मुस्लिम नफरत को खूब बढ़ावा दिया है। बीते कई महीनों से मुख्यमंत्री लगातार बयान देते रहे हैं कि राज्य में जनसांख्यकीय असंतुलन बढ़ रहा है। उनका कहना है कि प्रदेश के जिलों में बाहरी इलाकों से बड़ी संख्या में मुस्लिम आकर बस रहे हैं। हालांकि, इसका वह कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं देते हैं बस इस कथित जनसांख्यकीय असंतुलन के खिलाफ कार्रवाई व विशेष अभियान चलाने की बात करते हैं।
वहीं, वन भूमि पर मजार व मंदिरों के नाम पर हुए अवैध कब्जों को हटाने के लिए भी लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन मीडिया के जरिए इस अभियान को पूरी तरह से मजारों को ध्वस्त करने के अभियान के तौर पर राज्य सरकार ने पेश किया है। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू कर मुस्लिमों पर नियंत्रण कसने का संदेश लगातार दिया जा रहा है।
पूरे साल भर के कार्यकाल के दौरान कई बार मुख्यमंत्री समेत सरकार संगठन से जुड़े लोग प्रदेश में मुस्लिमों की आबादी बढ़ने और मुस्लिमों के दखल को लेकर लगातार बयानबाजी करते रहे हैं। इसका असर अब दिखना भी शुरू हो गया है। उत्तरकाशी इसका ताजा उदाहरण है।
वहीं, दूसरी तरफ राज्य में ऐसे लोगों को भी खूब बढ़ावा दिया जा रहा है जो कानून को हाथ में लेकर मुस्लिमों के खिलाफ लगातार जहरीले बयान देने के साथ ही मुस्लिमों, बाहरी इलाकों से आए मजदूरों, व्यवसायियों के साथ बदसलूकी कर उनके वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं जिसे सरकार व संगठन से जुड़े लोगांे द्वारा भी समर्थित किया जा रहा है। प्रदेश में बीते साल से ही हिंदु मुस्लिम के बीच नफरती माहौल को तैयार करने की तैयारी बेहद व्यवस्थित तरीके से की गई जिसका असर सीमांत जिले में दिख रहा है।
(लेख में लेखक के निजी विचार है)