सुब्रतो कप में उत्तराखंड की ऐतिहासिक उपलब्धि पर इतना सन्नाटा क्यों है?
Pen Point: कहने को फुटबॉल उत्तराखंड का राज्य खेल है। लेकिन, लगता है उत्तराखंड सरकार के शीर्ष नेताओं में फुटबॉल के प्रति रुचि और जागरूकता कम है। हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित प्रसिद्ध सुब्रतो कप फुटबॉल टूर्नामेंट में उत्तराखंड के एक स्कूल का दूसरे स्थान पर रहना इस बात का संकेत देता है। अब तक, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, खेल मंत्री रेखा आर्य और यहां तक कि उत्तराखंड फुटबॉल संघ भी एमेनिटी पब्लिक स्कूल (रुद्रपुर) को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई देने में विफल रहे हैं। जबकि उत्तराखंड के खाते में यह उपलब्धि 53 साल बाद आई है।
एमेनिटी पब्लिक स्कूल ने सुब्रतो कप (अंडर 17) फुटबॉल टूर्नामेंट में उपविजेता स्थान हासिल किया और यह जीत किसी भी उत्तराखंड स्कूल के लिए पचास वर्षों के बाद आई। गोरखा मिलिट्री स्कूल (देहरादून) 1961 (उपविजेता), 1964 (विजेता), 1965 (विजेता) और 1970 (उपविजेता) में सुब्रतो कप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा। ऐसे में पूरे 53 साल बाद उत्तराखंड का कोई स्कूल सुब्रतो कप के फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहा। लेकिन इस सफलता को सराहाना तो दूर अभी तक राज्य की खेल गतिविधियों का जिम्मा उठाने वालों ने इस पर सराहना का एक शब्द भी नहीं कहा है।
दूसरी ओर क्रिकेट पर बात करने में कोई भी पीछे नहीं है। हालात यह है कि जब रुद्रपुर का एक स्कूल भारत के सबसे प्रसिद्ध फुटबॉल टूर्नामेंट में सनसनी मचा रहा था, तब उत्तराखंड के क्रिकेट जुनूनी राजनीतिक लोग सोशल मीडिया पर क्रिकेट विश्व कप पर पोस्ट करने में अधिक व्यस्त थे।
इसे उत्तराखंड राज्य फुटबॉल संघ के साथ ही खेल विभाग की उदासीनता ही कहा जाएगा कि मुख्यमंत्री को भी इस उपलब्धि से अवगत नहीं कराया गया। संदिग्ध तरीके से संचालित होने वाले उत्तराखंड राज्य फुटबॉल संघ के बारे में कई बातें जग जाहिर हैं। जब 2016 में महान भारतीय फुटबॉल अमर बहादुर का देहरादून में निधन हो गया, तो राज्य संघ शोक व्यक्त करने में भी विफल रहा।
शाजी प्रभाकरन, महासचिव, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने अपने ट्वीट में एमेनिटी पब्लिक स्कूल की प्रशंसा करते हुए कहा, चंडीगढ़ जीएमएसएसएस (चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी) चौंपियंस 62वें सुब्रतो कप जूनियर अंडर-17 चौंपियनशिप के लिए बधाई। एमेनिटी पब्लिक स्कूल रुद्रपुर, उत्तराखंड (सीबीएसई) ने फाइनल मैच में कड़ा संघर्ष किया। चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी को अच्छा काम जारी रखते हुए देखकर खुशी हुई।