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लोक सभा चुनाव : भाजपा से क्यों हो रहा है यमुना घाटी का मोहभंग

– उत्तरकाशी जनपद के संगठन में लंबे समय से यमुना घाटी के नेताओं की धमक पर अपने ही क्षेत्र में नहीं बचा पा रहे हैं भाजपा का वोट बैंक, यमुना घाटी के मतदाताओं ने खुलकर किया भाजपा को समर्थन न देने का एलान
Pen Point, Dehradun : बीते हफ्ते जब पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा के अन्य बड़े नेताओं के साथ टिहरी संसदीय सीट से प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह के चुनाव प्रचार में यमुना घाटी के प्रमुख बाजार बड़कोट पहुंचे तो उन्हें भी अहसास नहीं था कि बड़कोट में उनका यह चुनावी प्रचार अभियान इतना फीका रहेगा कि उनकी जनसभा में सौ लोगों की भीड़ भी नहीं जुट सकेगी। जबकि, उत्तरकाशी जनपद के भाजपा संगठन में पिछले एक दशक से यमुना घाटी का वर्चस्व बना हुआ है तो मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री रहते हुए रमेश पोखरियाल निशंक के अहम लोगों में शामिल यमुना घाटी के एक नेता के बावजूद निशंक की जनसभा बिना भीड़ के होगी। वहीं, हाल ही में यमुना घाटी के दर्जनों गांवों समेत टेक्सी यूनियनों ने जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन का खुला एलान किया उससे लगने लगा है कि संगठन में बड़ी हैसियत पाए यमुना घाटी के नेता क्षेत्र में भाजपा से हो रहे मोहभंग से अनजान बने हुए हैं।

'Pen Point
हाल ही में बड़कोट में आयोजित रैली में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक समेत भाजपा के अन्य बड़े नेताओं के जमावड़े के बाद भी रैली में सौ लोग भी नहीं पहुंच सके थे लिहाजा, रैली को आनन फानन में खत्म करना पड़ा।

तीन विधानसभाओं में फैले उत्तरकाशी जनपद को आमतौर पर दो हिस्सों में देखा जाता है। गंगा घाटी और यमुना घाटी। जनपद में सिलक्यारा में राड़ी पर्वत जनपद को दो अलग अलग संस्कृति, बोली भाषा में बांटता है। 2015 से पहले तक प्रमुख राजनैतिक राष्ट्री पार्टियां भी इस जनपद को संगठन के रूप में दो जिलों में रखा करती थी लेकिन 2015 में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उत्तरकाशी जनपद को दो सांगठनिक जनपदों की बजाए एक ही सांगठनिक जनपद बनाया। तब से लेकर अब तक उत्तरकाशी जनपद में भाजपा के संगठन पर यमुना घाटी के नेताओं का ही दबदबा है। यहां तक कि अमित शाह के उस फैसले के बाद लगातार तीन जिलाध्यक्ष यमुना घाटी से ही हैं तो जनपद संगठन के प्रमुख पदों समेत अन्य उपसमूहों के प्रमुख पदों पर भी यमुना घाटी के नेताओं का वर्चस्व कायम है। लेकिन संगठन में भारी भरकम जिम्मेदारी निभाने के बाद भी यमुना घाटी में भाजपा के गिरता ग्राफ अब भाजपा की चिंता बढ़ाने लगा है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से यमुना घाटी के दर्जनों गांव, टैक्सी यूनियन समेत अन्य संगठन लगातार पत्र जारी कर टिहरी संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार के समर्थन का एलान कर चुके हैं। तो पूरे राज्य भर में कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं को तोड़ भाजपा में शामिल करने के अभियान के दौरान भी यमुना घाटी से कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा भाजपा में भी शामिल करने में भी यमुना घाटी के भाजपा नेता सफल नहीं हो सके।
2015 में यमुना घाटी के श्याम डोभाल के जिलाध्यक्ष बनने के बाद अगले जिलाध्यक्ष के रूप में यमुना घाटी के ही रमेश चौहान की ताजपोशी हुई। उसके बाद यमुना घाटी के ही सत्येंद्र राणा को जिलाध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा भाजपा के अन्य संगठनों में ही यमुना घाटी का दबदबा है। वहीं, यमुना घाटी के ही भाजपा नेता मनवीर चौहान भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में लंबे समय से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भाजपा संगठन में बीते दशक भर से गहरी पैठ बना चुके यमुना घाटी के भाजपा नेताओं के 2022 विधानसभा में बूथ प्रबंधन और मतदाताओं तक पहुंच पर भी सवाल उठे थे। 2022 में प्रचंड भाजपा लहर के बावजूद यमुनोत्री विधानसभा सीट पर भाजपा तीसरे नंबर पर तो रही साथ ही पूरे राज्य में सबसे ज्यादा बूथों पर तीसरे नंबर पर रहने का रेकार्ड भी बनाया। 2022 से तत्कालीन भाजपा विधायक केदार सिंह रावत उस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे जबकि निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल विजेता रहे तो दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बिजल्वाण रहे थे। विधानसभा चुनाव में यमुनोत्री विधानसभा में भाजपा के सबसे बुरे प्रदर्शन को लेकर भी यमुना घाटी के भाजपा नेताओं की खूब आलोचना हुई थी।
फिलहाल टिहरी संसदीय सीट पर गंगोत्री विधानसभा और यमुनोत्री विधानसभा की गंगा घाटी में भाजपा बेहद मजबूत स्थिति में है वहीं यमुना घाटी में लगातार ग्राम पंचायतों समेत टैक्सी यूनियन, युवा संगठनों का सामने आकर खुलकर निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को समर्थन देने से साफ हो गया है कि 2022 से भी सबक न लेकर क्षेत्र के भाजपा नेताओं ने क्षेत्र में भाजपा को मजबूत बनाने की बजाए जनपद में संगठन के भीतर ही अपनी स्थिति को मजबूत बनाने में भी सारी जोर आजमाइश की है।
नाम न छापने की शर्त पर यमुना घाटी के एक भाजपा नेता बताते हैं कि यमुना घाटी के बड़े भाजपा नेताओं का सारा ध्यान जिला मुख्यालय में संगठन की राजनीति के शीर्ष में बने रहने पर है और उनकी सक्रियता भी यमुनोत्री विधानसभा से ज्यादा गंगा घाटी की गंगोत्री विधानसभा में दिखती है ऐसे में आम लोगों की भाजपा नेताओं से लगातार दूरी बढ़ती रही है। वह बताते हैं कि घाटी के ज्यादातर भाजपा नेता संगठनों में महत्वपूर्ण पदों को पाने पर ही सारी जोर आजमाइश लगा रहे हैं जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में नेताओं ने जरा भी जोर नहीं लगाया जिसका नतीजा सबके सामने हैं। निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार के समर्थन में यमुना घाटी के गांवों का खुला समर्थन पर वह बताते हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि गांव के लोग मुखर होकर किसी निर्दलीय प्रत्याशी के लिए सामने आ रहे हैं जो क्षेत्र से भी संबंध नहीं रखता इसका सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को हुआ है क्योंकि पारंपरिक रूप से यह भाजपा की मतदाता था।
फिलहाल टिहरी संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह के मुकाबले बॉबी पंवार को लेकर यमुना घाटी के मतदाताओं ने जबरदस्त उत्साह दिखाया है। बॉबी पंवार के हर भ्रमण और जनसभा में यमुना घाटी से उमड़ने वाली भीड़ ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के पेशानी पर भी बल जरूर ला दिया है। ऐसे में चुनाव परिणाम के बाद यमुना घाटी में अपेक्षित मत न मिलने पर जिले के संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज यमुना घाटी के नेताओं के लिए मुश्किलें भी पैदा हो सकती है।

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