अंग्रेजों की मसूरी से किया था महात्मा गांधी ने आजादी का आह्वान
-महात्मा गांधी को पहाड़ से रहा विशेष लगाव, कौसानी, नैनीताल, मसूरी में बिताया था समय- दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापसी के बाद सबसे पहले हरिद्वार पहुंचकर लिया था महाकुंभ में हिस्सा
PEN POINT देहरादून। 30 जनवरी को पूरी दुनिया शांति के अग्रदूत महात्मा गांधी को उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर याद कर रहा है। अहिंसा को सबसे असरदार हथियार बनाकर अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए देश को आजाद कराने के साथ ही देश में शांति, सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने के लिए, दलितों और महिलाओं के कल्याण के लिए किए गए कार्यों से वह पूरी दुनिया में विख्यात हुए। आज उत्तराखंड व तत्कालीन उत्तर प्रदेश के पर्वतीय हिस्से से गांधी का खासा लगाव रहा। दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद विरोधी आंदोलन के बाद जब बापू भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष के लिए भारत लौटे तो अगले तीन दशकों के दौरान वह देश की आजादी के अहिंसक आंदोलन का चेहरा बने। भारत वापसी के बाद देश की आजादी तक तीन दशकों में महात्मा गांधी ने छह बार उत्तराखंड की यात्रा की और यहां लोगों में आजादी का जज्बा भरा। दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गांधी 9 जनवरी 1915 में स्वदेश लौटे। इसी वर्ष अप्रैल महीने में हरिद्वार में हिंदुओं के पवित्र महापर्व महाकुंभ में महात्मा गांधी पहली बार हरिद्वार पहुंचे। हिंदू धर्म के प्रति महात्मा गांधी की आस्था सर्वविदित है। उन्होंने हिंदुओं के इस प्रमुख धार्मिक उत्सव में पहुंचकर गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही देश के आजादी का संकल्प भी लिया। इसी दौरान महात्मा गांधी ने ऋषिकेश की भी यात्रा की। सालभर बाद यानि 1916 में महात्मा गांधी फिर से हरिद्वार आए। यहां उन्हांने गुरूकुल कांगड़ी में व्याख्यान दिया।
कुमाउं से रहा विशेष लगाव
स्वदेश वापसी के बाद महात्मा गांधी ने अपनी दो साल तक हरिद्वार की दो यात्रा के बाद 1921 में पहली बार कुमांउ का भ्रमण किया। 1921 में महात्मा गांधी नैनीताल जिले के खैरना पहुंचे। अगले कुछ सालों तक सब कुछ ठीक चला लेकिन 1929 में जब महात्मा गांधी की सेहत गिरने लगी तो पं. जवाहर लाल नेहरू ने गांधी जी को स्वास्थ्य लाभ के लिए कुछ वक्त पहाड़ों में गुजारने की सलाह दी। सलाह मानकर महात्मा गांधी 1929 में स्वास्थ्य लाभ के लिए कुमाउं पुहंचे। स्वास्थ्य लाभ के लिए महात्मा गांधी कौसानी स्थित अनाशक्ति आश्रम में पूरे दो सप्ताह रूके। इसके बाद 1931 में फिर से महात्मा गांधी नैनीताल आए।
दो बार मसूरी में किया लंबा प्रवास
गजब इत्तेफाक है कि जिस मसूरी की स्थापना अंग्रेजों ने की वहीं पर दो बार पहुंचकर महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से आजादी का बिगुल फूंका। मसूरी में दो बार के प्रवास के दौरान महात्मा गांधी लोगां को अहिंसा का पाठ पढ़ाते और देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने का आह्वान करते। पहली बार 1929 में वह मसूरी पहुंचे और यहां पांच दिनों के प्रवास पर रहे और उसके बाद 1946 में मसूरी पहुंचकर 28 मई से लेकर 8 जून तक का प्रवास किया। अपने उत्तराखंड प्रवास के दौरान महात्मा गांधी लगातार हिंदू धर्म में व्याप्त जातिगत भेदभाव व छूआछूत के खिलाफ अभियान में जुटे रहते थे। इसके साथ ही वह जगह जगह जाकर लोगों को आजादी के आंदोलन में जुड़ने का आह्वान करते।