15 साल की हुई 108 निशुल्क एंबुलेंस सेवा
– 2008 में आज के ही दिन उत्तराखंड में शुरू हुई थी आपातकालीन 108 निशुल्क एंबुलेंस सेवा
– बीते साल हर दिन औसतन स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में फंसे 400 लोगों को पहुंचाया अस्पताल में
PEN POINT, DEHRADUN : उत्तराखंड के किसी भी हिस्से में स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन स्थिति हो, सड़क दुर्घटना हो सबसे पहले मोबाइल निकालते ही 108 नंबर डायल कर एंबुलेंस मंगवाने के अनुभव से हर कोई गुजरा होगा। एक फोन कॉल पर निशुल्क एंबुलेंस की इस सुविधा को आज पूरे 15 साल हो गए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आपातकालीन स्थिति में निशुल्क एंबुलेंस सेवा की शुरूआत राज्य 15 मई 2008 को ही हुई थी।
बीते साल ही स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाली राज्य भर में 300 एंबुलेंस के जरिए राज्य भर में हर दिन औसतन विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में 400 लोगों को इन एंबुलेंस के जरिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया गया। बीते साल ही करीब डेढ़ लाख के करीब लोगों के लिए 108 आपातकाली एंबुलेंस सेवा वरदान साबित हुई।
राज्य में 108 आपातकालीन सेवा को आज 15 साल पूरे हो गए हैं। साल 2008 को 15 मई के दिन राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए एक फोन पर निशुल्क एंबुलेंस सुविधा की शुरूआत की गई थी। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में लचर स्वास्थ्य सेवाएं, डॉक्टरों व संसाधनों के अभाव में दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं से लाचार आम जन के लिए यह यह निशुल्क एंबुलेंस सेवा वरदान साबित हुई। राज्य के पर्वतीय जिलों के स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सकों और सुविधाओं के अभाव में रेफर सेंटर बने हुए थे, ऐसे में मरीजों को आपात स्थिति में देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी स्थित स्वास्थ्य केंद्रों में रेफर किया जाता था लेकिन यातायात के सुगम व सस्ते साधन न मिलने से कई मरीजों के लिए रेफर एक वेदना से कम साबित न होता। लेकिन, 108 एंबुलेंस सेवा के बाद मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने से लेकर दुर्गम क्षेत्रों से गर्भवती महिलाओं, दुर्घटना के शिकार व्यक्तियों समेत स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति में फंसे लोगां को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए इस 108 निशुल्क एंबुलेंस सेवा वरदान साबित हुई। बीते साल ही स्वास्थ्य संबंधी आपात काल स्थिति में फंसे लोगां को 108 ने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया।
बीते साल ही करीब 42 हजार गर्भवती महिलाओं को 108 एंबुलेंस सेवा के जरिए संस्थागत प्रसव के लिए स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया गया तो वाहन दुर्घटना में घायल 10 हजार से अधिक लोगों को इस सेवा के जरिए स्वास्थ्य केंद्रों तक उपचार के लिए पहुंचाया गया। वहीं, हार्ट अटैक के 5264 मरीजों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए इस सेवा द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया। 10 हजार से ज्यादा ऐसे मामलों में जहां व्यक्ति को तत्काल उपचार की आवश्यकता थी उनके लिए यह सेवा वरदान साबित हुई।
साल 2021-22 में करीब 700 से अधिक महिलाओं का प्रसव भी 108 एंबुलेंस में ही हुआ। एंबुलेंस इन गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए पहुंचा लेकिन आपात स्थिति में महिलाओं का प्रसव एंबुलेंस में ही करवाना पड़ा।
‘15 मई 2008 को उत्तराखंड में 108 आपातकालीन सेवा की शुरूआत हुई। पिछले 15 वर्षों में 108 सेवा ने प्रदेश और देश के लाखों लोगों की संकट और पीड़ा की घड़ी में मदद की है।’ – अनूप नौटियाल, उत्तराखंड में 108 सेवा के फाउडिंग मेंबर।