नारायण आश्रम का क्या है गुजरात कनेक्शन ? PM आ रहे हैं यहाँ ?
PEN POINT : इन दिनों उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदि कैलाश यात्रा दौरे को लेकर तैयारियां चल रही हैं। इसके साथ एक और बात खास है जो सामने आ रही है। कि प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान नारायण आश्रम पहुँच सकते हैं। यानि नारायण आश्रम फिर एक बार बड़ी सुर्खी का हिस्सा बन गया है। इसकी तस्दीक इस बात से हो जाती है क्योंकि पीएम की इस यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने खुद प्रदेश के सीएस और डीजीपी इस इलाके में पहुंचे और खुद मुख्यसचिव ने नारायण आश्रम का निरिक्षण किया।
पिथोरागढ़ के धारचूला ज्योलिकोंग पहुंचे मुख्य सचिव एस एस संधू ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे को लेकर तैयारियां का जायजा तो लिया। उत्तराखंड एस एस संधू ने ज्योलिकोंग, नाभीढागं, ओम पर्वत आदि क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन को लेकर यहाँ ज्योलिकोंग में विशेष हैलीपैड का निर्माण युद्धस्तर पर किया गया। पांच करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। लेकिन खास बात ये है कि वही मुख्य सचिव ने नारायण आश्रम का भी निरीक्षण कर डीएम पिथोरागढ़ को इस बारे में जरूरी दिशा-निर्देश दिए। ऐसे में नारायण आश्रम क्या प्रधानमंत्री के इस दौरे में उनका ठिकाना बनेगा। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर पिथौरागढ़ का ये दूरस्थ आश्रम फिर देश में सुर्ख़ियों में आ जाएगा।
क्या है नारायण आश्रम का इतिहास और पहचान ?
नारायण आश्रम की स्थापना कर्नाटक हिमालय और देवभूमि दर्शन के लिए यहाँ आए नारायण स्वामी ने वर्ष 1936 में की थी। उत्तराखंड के कुमाऊं के सीमान्त जनपद मुख्यालय पिथौरागढ़ से लगभग 136 किलोमीटर उत्तर और तवाघाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है नारायण आश्रम। यह आध्यात्मिक सह सामाजिक शैक्षिक केंद्र 2734 मीटर की ऊंचाई पर प्राकृतिक परिवेश के बीच स्थापित है। इसमें स्थानीय बच्चों के लिए एक स्कूल है और स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां एक पुस्तकालय, ध्यान कक्ष और समाधि स्थान भी है। बताया जाता है कि इस आश्रम को आध्यात्मिक-सहसामजिक शैक्षणिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया। सर्दियों के मौसम में इस ऊपरी इलाके में बहुत ज्यादा हिमपात होता है। ऐसे में यह पूरी तरह बंद रहता है। मन सकते हैं कि ठीक बद्री केदार की तरह यहाँ भी भरी बर्फवारी होती है और आने जाने के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। अमूमन बरसात के मौसम में भी रास्ते आमतौर पर बंद हो जाते हैं।
नारायण आश्रम धारचूला के कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत-नेपाल सीमा के रस्ते में पड़ता है। नारायण आश्रम हिमालय की चोटी पर बना है इस प्राचीन आश्रम में योग ध्यान की कई गतिविधियों का संचालन किया जाता है। प्रकृति प्रेमियों और घूमने के शौकीनों और आध्यात्म से अनुराग रखने वालों के लिए इस उत्तराखंड के इस आश्रम में सब कुछ उपलब्ध है। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में यूं तो कई पर्यटन स्थल हैं। पर पिथौरागढ़ का नारायण आश्रम विशेष आध्यात्मिक अनुभव देने वाला केंद्र मना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस आश्रम में पहुँच सकते हैं, इस आश्रम का गुजरात कनेक्शन :
भले ही देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक से आए संत नारायण स्वामी ने नौ हजार फीट की ऊंचाई पर इस नारायण आश्रम की स्थापना की हो लेकिन वर्तमान में इस आश्रम का संचालन गुजरात का एक ट्रस्ट करता है, जिसमें स्थानीय लोग भी ट्रस्टी के रूप में शामिल हैं। इसका सञ्चालन गुजरात से ही होता है। शायद यही वजह है कि नारायण आश्रम में गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक के सबसे अधिक पर्यटक आते हैं।
पहले नारायण आश्रम तक पहुँचने के लिए कठिन रास्तों से गुजरना पड़ता था। अमूमन सड़क बंद ही रहती थी, लेकिन कोरोना काल में इस पर और अधिक बुरा असर पड़ा। लेकिन अब कुछ वक्त से इस इलाके को सुविधाजनक बनाने की दिशा में कुछ काम किये गए हैं। जिससे यहाँ कुछ हद तक सुगम हो गया है। अब प्रधान मंत्री मोदी के दौरे को देखते हुए कुछ सुविधाएं यहाँ युद्ध स्तर पर जुटाई गयी हैं, तो हालात में सुधार देखा जा रहा है। जिस तरह से राज्य शासन और प्रशसन यहाँ पहुँच कर प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए मुस्तैदी दिखा रहा है, उससे इस क्षेत्र से लगे हुए ग्रामीण इलाकों में ख़ुशी का माहौल महसूस किया जा रहा है।
ये मौसम नारायण आश्रम पहुँचने वाले यात्रियों और प्रकृति प्रेमियों, योग-ध्यान में रूचि रखने वालों के लिए बेहद मुफीद होता है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि एक बार प्रधान मंत्री के आने के बाद इस इलाके में देश दुनिया से पहुँचने वाले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज हो सकती है।