चौतरफा विरोध के बाद घर में बार लाइसेंस के फैसले पर सरकार बैकफुट पर, वापस लिया निर्णय !
Pen Point, Dehradun : अभी हाल ही में उत्तराखंड सरकार के आबकारी विभाग ने एक ऐसा निर्णय लिया, जिसकी आलोचना पूरे देश हुई। चौतरफा सरकार के इस जनविरोधी निर्णय की घोर निंदा और जग हँसाई हुई। इस पर विपक्ष ने भी बिना मौक़ा गंवाए सरकार को पूरी तरह घेरने का काम किया और आक्रामकता दिखाई। दरअसल देव भूमि उत्तराखंड की इमेज वाले राज्य में सरकार के राजस्व बढ़ाने के नाम पर घर-घर शराब पहुँचाने का जो निर्णय लिया गया, उस पर उसकी किरकिरी होनी ही थी।
राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी संस्कारों और नैतिकता की दुहाई देने का काम सबसे ज्यादा करती दिखाई देती है। ऐसे में उसकी विचारधारा की सरकार के इस निर्णय पर जग हंसाई तो होनी ही थी। प्रदेश भर में चौक-चौराहों पर इस पर हास्यास्पद और आक्रामक दोनों तरीके से लोग टिप्पणियां करते दिखाई दे रहे थे। बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं को ऐसे में असहजता का सामना करना पड़ रहा था, तो वहीं पार्टी के लोग इसे सरकार के आर्थिक नजरिये से सही साबित करने से बाज नहीं आ रहे थे।
गौरतलब है की उत्तराखंड की सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार इन दिनों घर में बार लाइसेंस दिए जाने की चर्चाओ सुर्ख़ियों में थी। सरकार के इस निर्णय पर लगातार सवाल उठ रहे थे, लेकिन जनता में और विपक्ष की इस पर तीखी प्रतिक्रिया के बाद अब सरकार ने घर मे बार लाइसेंस दिए जाने के निर्णय को स्थगित कर दिया है। ऐसे में विपक्ष इसे अपनी जीत बता रहा है। वहीं बीजेपी इसे पार्टी की आतंरिक चर्चा के बाद लिया गया निर्णय करार दे रही है।
उत्तराखंड में राजस्व बढ़ाने के मकसद से एक निश्चित फीस देने के बाद घर में बार लाइसेंस दिए जाने की अनुमति का निर्णय चर्चाओं में था। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए तीखा हमला किया। हालांकि आबकारी विभाग का मानना था, की अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी घर में बार लाइसेंस दिए जाने का निर्णय आबकारी नीति की प्रावधान के तहत किया गया था। घर में बार लाइसेंस लेने के लिए कड़े नियमों का प्रावधान किया गया था, लेकिन सरकार के निर्णय पर सवाल उठने के बाद अब आबकारी विभाग के ने घर में बार लाइसेंस दिए जाने को स्थगित कर दिया है। इसका आदेश भी जारी हो चुका है, यानी कि अब घर में बार लाइसेंस के लिए आबकारी विभाग किसी तरह की परमिशन नहीं देगा। विपक्ष की माने तो कांग्रेस के मुद्दा उठाए जाने के बाद सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा है, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण महारा इसे विपक्ष की जीत मानते हैं।
घर में आबकारी विभाग के बार लाइसेंस दिए जाने के निर्णय को जहां स्थगित कर दिया गया है और कांग्रेस इसे अपनी जीत मान रही है, तो वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस इस भ्रम में ना रहे कि विपक्ष के मुद्दा उठाने के बाद सरकार के निर्णय को स्थगित किया है, बल्कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के इस मुद्दे को उठाने के तहत सरकार ने ये निर्णय स्थगित किया है। भाजपा विधायक विनोद चमोली तो कहते हैं कि वह भी शराब के विरोधी है,और कोई भी सरकार शराब को बढ़ावा देती है यह उचित नही हैं, खास कर उत्तराखंड की देश दुनया में एक विशेष धार्मिक पहचान है ऐसे में घर में बार चलने संबंधी जो नियम बनाए गए थे, उसे आसानी से घर में बार नहीं चल सकता था, लेकिन उसके बावजूद भी जब यह मामला सामने आया तो फिर उन्होंने भी सरकार के संज्ञान में यह डाला जिसे सरकार ने वापास ले लिया, जिसके लिए वह वह मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हैं।
कुल मिलाकर देखें तो घर-घर में बार खोलने को लेकर, कांग्रेस जहां सरकार पर हमलावर है, तो वहीं भाजपा का भी कहना है कि शराब को बढ़ावा दिया जाना उचित नहीं है, ऐसे में सवाल कैबिनेट पर पर भी उठता है कि क्या जब नई आबकारी नीति में ये प्रावधान जोड़ा गया, तो फिर कैबिनेट के सामने किसी भी कैबिनेट मंत्री ने इसका विरोध क्यो नहीं किया ? जिसका खामियाजा आज सरकार को किरिकिरी झेलकर करना पड़ा और फैसले को स्थगित कर दिया।