INNOVATION : ऐसे देशी जुगाड़ जिन्होंने वैज्ञानिकों को भी चौंकाया
Pen Point, Dehradun : कहते हैं आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। कई लोग अपने आस पास की चीजों से ऐसे नवाचारी प्रयोग कर इस बात को सटीक साबित करते रहे हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों में हुए कुछ ऐसे ही कारगर प्रयोगों ने वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। बाद में इन प्रयोगों पर ही ऐडवांस मशीनें तैयार की गई, पेश है कुछ ऐसे अविष्कार-
वाशिंग और एैक्सरसाइज मशीन
केरल के मलप्पुरम जिले के किजहत्तूर गांव की रहने वाली रेम्या जोस ने यह वाशिंग मशीन बनाई है। जिसका उपयोग कपड़े धोते हुए व्यायाम करने के लिये किया जा सकता है। स्कूल से ही मेधावी रही रेम्या ने यह वॉशिंग मशीन अपनी बोर्ड परीक्षा के बाद बनाई थी, जब वह 14 साल की थीं। उनका सपना डॉक्टर बनना और मेडिसिन में रिसर्च करना है। उसके इस नवाचार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। राम्या अब भी वैज्ञानिक गतिविधियों में जुटी हुई है। उनका मानना है- “तुम्हारे मन में जो भी हो, उसे आज़माओ। गलतियाँ करने की चिंता मत करो, उन्हें निश्चित रूप से सुधारा जा सकता है।”
जमीन और पानी पर चलने वाली साइकिल
बिहार के पूर्वी चंपारण के रहने वाले मोहम्मद सैदुल्लाह ने ऐसी अनोखी साइकिल बनाई है। बाढ़ से बड़े पैमाने पर ग्रस्त रहने वाले बिहार राज्य के लिये यह अविष्कार कड़े काम का साबित हुआ है। साल 1975 में, चंपारण में एक बड़ी बाढ़ आई जो लगभग तीन सप्ताह तक चली और सैदुल्लाह को खाना हासिल करने के लिए नदी पार करनी पड़ी। नदी पार करने के लिए उन्होंने नाव का इस्तेमाल किया और शहर में उन्होंने साइकिल का इस्तेमाल किया। तभी उसके दिमाग में ख्याल आया कि अगर वह साइकिल को पानी पर तैरने के साथ-साथ जमीन पर भी चला सके तो इससे पैसे की बचत होगी। तीन दिन के अंदर उन्होंने एक ऐसी साइकिल तैयार कर ली. इस उभयचर साइकिल को नूर साइकिल के नाम से भी जाना जाता है। इसी साइकिल से उन्होंने पहलाघाट से महेंद्रूघाट (पटना) तक गंगा पार की।
कॉफी मेकर प्रेशर कुकर
कॉफी बनाने वाले प्रेशर कुकर की जुगत भी बिहार के चंपारण के ही मोहम्मद रोजदीन ने तैयार की है। जिसमें साधारण प्रेशर कुकर को कॉफी मेकर में बदलने के सलए इसमें एक साधारण पाइप और वाल्ब को लगाया गया है। कुकर में रखे पानी को गर्म किया जाता है। एक बार जब भाप बन जाता है तो इसे मेटल पाइप के जरिए बगल में रखे बर्त में भेजा जाता है। जिसमें काफी पाउडर दूध और पानी मिलाया जाता है। इस अविष्कार का फायदा यह है कि कम कीमत के साथ आसानी से इसका उपयोग ककया जा सकता है। सड़क के किनारे छोटे खोमचे और ढाबों पर कॉफी तैयार करने के लिये यह सस्ता और आसान उपाय है। इस उत्पाद में जटिल विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक्स भाग शामिल नहीं हैं, इसलिए यह बार-बार होने वाली टूट-फूट को खत्म करता है, इस प्रकार रखरखाव की लागत बहुत कम होती है। रोजदीन के इस अविष्कार को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है।
बच्चु भाई का ट्रैक्टर
आज की खेती प्रणाली में, सभी किसानों के पास आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए ट्रैक्टर होने का सपना है। इसे ध्यान में रखते हुए, गुजरात के बच्चू भाई ने किसानों के लिए बिना स्टीयरिंग के एक छोटा ट्रैक्टर बनाया। इस आविष्कार के लिए उन्हें राष्ट्रपति से पुरस्कार भी मिला। यही नहीं, उन्होंने मूंगफली छांटने की मशीन, गन्ने का रस निकालने की मशीन, बीज बोने की मशीन जैसी कई मशीनें और औजार विकसित किए हैं। तो, आइए जानें कि श्बच्चू भाईश् द्वारा बनाया गया ट्रैक्टर कैसे काम करता है।