अगले साल से लगेगा महंगी बिजली का करंट
– यूपीसीएल ने राज्य में बिजली की दरों में 23 से 27 फीसदी बढ़ोत्तरी का तैयार किया है प्रस्ताव, अगले साल अप्रैल महीने से लागू होंगी बढ़ी हुई दरें
PEN POINT, DEHRADUN : अगले साल अप्रैल महीने में जब गर्मी परेशान कर रही होगी तो बिजली का बिल भी पसीने छुड़ाने जा रहा है। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की बोर्ड बैठक में बिजली की दरों में 23 से 27 फीसद बढ़ोतरी के प्रस्ताव को सहमति दे दी है। यानि अगर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने इसे सहमति दे दी तो अगले साल अप्रैल महीने में महंगी बिजली का करंट लगना तय है।
ऊर्जा प्रदेश के नाम से मशहूर उत्तराखंड में अगले साल गर्मियों की शुरूआत से मौजूदा बिल की रकम से 27 फीसदी ज्यादा तक बिल चुकाना पड़ेगा। बीते लंबे समय से ही उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड यानि यूपीसीएल राज्य में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी करने की तैयारी कर रहा था। बीते शनिवार को जब यूसीसीएल बोर्ड की बैठक हुई तो राज्य में बिजली महंगी करने के प्रस्ताव पर भी मोहर लग गई। यह बढ़ोत्तरी 23 से 27 फीसदी तक करने का प्रस्ताव बैठक में पारित किया गया। अब इसके बाद यूपीसीएल उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के पास यह प्रस्ताव भेजकर आयोग की सहमति लेगा। बिजली बिल की बड़ी हुई दरों के बाद लोगों को महंगाई का बड़ा झटका लगना तय है। राज्य में बिजली दरांे में 20 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी के पीछे यूपीसीएल का तर्क है कि निगम को करोड़ों की देनदारी चुकानी है तो वहीं गर्मियों के दौरान पीक आवर में मिलने वाली महंगी बिजली का बढ़ता बोझ भी निगम की गणित बिगाड़ रहा है। वहीं यूपीसीएल का दावा है कि राज्य में बिजली आपूर्ति के लिए सेंट्रल पूल, एसजेवीएनएल, यूजेवीएनएल, टीएचडीसी, एनटीपीसी निगम को महंगी बिजली दे रही है। दावा है कि गर्मियों में अधिक मांग के दौरान निगम को 10 रूपए प्रति यूनिट से भी ज्यादा की दर से बिजली खरीदनी पड़ती है जबकि उसे आपूर्ति इससे आधी रकम पर करनी पड़ती है जिससे निगम की देनदारी लगातार बढ़ रही है।
एक हजार करोड़ रूपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं
यूपीसीएल को राज्य में बिजली की मांग पूरा करना काफी महंगा पड़ रहा है। राज्य में जितनी बिजली की मांग है उसे पूरा करने के लिए यूपीसीएल को एक हजार करोड़ रूपए ज्यादा चुकाकर सेंट्रल पूल व अन्य निकायों से बिजली खरीदनी पड़ रही है। राज्य में बिजली आपूर्ति लगातार बहाल रहे इसके लिए यूपीसीएल 1281 करोड़ रूपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं।