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एक गढ़वाली गीत जो बन गया प्रत्याशियों की पहचान के लिए चुनौती

– लोक गायक सौरभ मैठाणी व अंजलि खरे का गाया और देश दीपक नौटियाल का लिखा गीत इन दिनों चुनावी प्रचार में बन प्रत्याशियों की पहचान का हिस्सा
Pen Point, Dehradun : लोक सभा चुनाव में टिहरी संसदीय सीट और गढ़वाल संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार में एक गाना यहां प्रत्याशियों का मजबूत हथियार बन गया है। सामान्य से तुकबंदी के बोल वाला यह गीत इन दिनों चुनाव प्रचार में जुटे प्रत्याशियों के बीच अपनी पहचान बताने का मजबूत जरिया बन गया है। क्षेत्र में कम सक्रिय और दिल्ली रहने वाले प्रत्याशियों पर कटाक्ष का जरिया बना यह गाना यूं तो बीते साल से ही यूट्यूब पर ट्ैंड कर रहा है लेकिन इन दिनों एक दूसरे दल के प्रत्याशी एक दूसरे को स्थानीय बनाम बाहरी बताने के टूल पर खूब प्रयोग में ला रहे हैं। इस गढ़वाली गाने के बोल हैं ‘मैं पहाड़ू की रैबासी, तू दिल्ली रैंण वाली’। यूं तो इस गीत एक पहाड़ी युवक दिल्ली में रहने वाली प्रवासी युवती और खुद के बीच में, रहन सहन के फर्क को बताता है।
बीते दिनों जब गढ़वाल संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी प्रचार को गढ़वाल संसदीय सीट में पहुंचे तो कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी गणेश गोदियाल के समर्थकों ने उन्हें दिल्ली में रहने वाला बताते हुए एक गाना सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया। मीम बनाते हुए इस गाने में गणेश गोदियाल को पहाड़ का रैबासी बताते हुए अनिल बलूनी को दिल्ली रहने वाला बताया। हालांकि, इसके बाद भी भाजपा ने भी पलटवार करते हुए इसी गाने के जरिए गणेश गोदियाल को मुंबई निवासी बताते हुए अनिल बलूनी को असली पहाड़ी करार दे दिया। यह गाना वीडियो, पोस्टर में जोड़कर लगातार हर दिन ही दोनों प्रत्याशियों के समर्थक एक दूसरे को मूल पहाड़ी बताते हुए शेयर करते हैं।
वहीं, अब बीते दिनों टिहरी संसदीय सीट पर भी यह गाना प्रचार प्रसार में खूब ट्रैंड हो रहा है। भाजपा प्रत्याशी और लगातार तीन बार सांसद राज्यलक्ष्मी शाह को दिल्ली निवासी बताते हुए निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार के समर्थक उसे पहाड़ का रैबासी बताते हुए शेयर कर रहे हैं।
दरअसल अनिल बलूनी लंबे समय से राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं लिहाजा उन्होंने अपना ठिकाना दिल्ली ही बना रखा है तो वहीं माला राज्यलक्ष्मी शाह पर भी क्षेत्र में कम सक्रियता का आरोप लगता रहता है और उनका आवास भी दिल्ली ही है जहां वह ज्यादातर वक्त गुजारती है। ऐसे में ‘मैं पहाड़ू की रैबासी, तू दिल्ली रैण वाली’ गीत पहाड़ की राजनीति से दूर रहने वाले नेताओं पर कटाक्ष का एक सुर बन गया है।
पिछले सात 9 दिसंबर को यूट्यूब पर रिलिज हुआ यह गीत गाया गढ़वाली गायक सौरव मैठाणी और अंजलि खरे ने है। जबकि गीत लिखा है इंग्लैंड में रहने वाले उत्तरकाशी मूल के देश दीपक नौटियाल ने। युवा इंजीनियर पेशेवर देश दीपक नौटियाल मूल रूप से उत्तरकाशी के डुंडा ब्लॉक के धौंतरी क्षेत्र के रहने वाले हैं। शुरूआती पढ़ाई लिखाई उत्तरकाशी में करने बाद इंजीनियरिंग कर कुछ साल देश में काम करने के बाद कुछ साल पहले ही देश दीपक इंग्लैंड चले गए। कई साल अलग अलग शहरों में बीताने के बाद पहाड़ के गांव में बचपन बिताने वाले दीपक ने शहर और पहाड़ी गांव के बीच की विविधता को गीत में पिरोया। यूं तो चुनावी आचार संहिता से पहले तक इस गाने को 30 लाख से अधिक लोग देख चुके थे लेकिन इन दिनों राजनीतिक प्रचार प्रसार में एक दूसरे पर कटाक्ष के लिए ट्रैंड में आने के बाद यह गाना 57 लाख से भी अधिक लोग देख चुके हैं। यानि 9 दिसंबर से लेकर 3 मार्च तक यानि 3 महीने में इसे 30 लाख लोगों ने देखा लेकिन चुनावी प्रसार का हिस्सा बनने के बाद 30 दिनों में ही इसे 27 लाख लोगों ने देख सुन लिया है।
देश दीपक नौटियाल बताते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि यह गीत राजनीतिक प्रचार प्रसार में शामिल हो जाएगा। वह कहते हैं कि जब लिखा था तो सिर्फ मन में शहरों में उन चीजों पर भारी कीमत चुकाने पर हैरानी होती थी जो पहाड़ों में मुफ्त में मिल जाती है इसलिए इस गाने के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त की थी लेकिन यह इतना ट्रैंड हो जाएगा और लोगों की भावनाओं से जुड़ जाएगा इसका अंदाजा नहीं था।

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