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चमकीला : जिसकी चमक ही बन गई उसकी मौत का कारण

– पंजाब के मशहूर गायक अमर सिंह चमकीला की जीवनी पर फिल्म का टीजर मंगलवार को हुआ रीलीज
– 80 के दशक में पंजाब में बेहद मशहूर अमर सिंह चमकीला की 27 साल की उम्र में गोलियों छलनी कर दी थी हत्या
PEN POINT, DEHRADUN : बीते साल 29 मई को पंजाब के मशहूर गायक सिद्धू मूसेवाला की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई थी, 28 साल के इस गायक की हत्या से पूरा पंजाब दहल गया। लेकिन, यह पहला मौका नहीं था जब किसी बेहद कम उम्र में लोकप्रिय हुए पंजाबी गायक को यूं दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया गया हो। हालांकि, सिद्धू मूसेवाला की हत्या में जो साल भर में चली जांच के बाद तथ्य सामने आए उसके मुताबिक उसकी हत्या गैंगवार और आपसी रंजिश का नतीजा था लेकिन सिद्धू मूसेवाला की मौत से 35 साल पहले 1988 में तब पंजाब में तेजी से उभर रहे एक लोक गायक अमर सिंह चमकीला को भी अपनी जान 27 साल की उम्र में गंवानी पड़ी थी।
पंजाबी और हिंदी फिल्मों के सितारे दलजित दोसंज ने आज अपनी आने वाली फिल्म अमर सिंह चमकीला का टीजर जारी किया। प्रख्यात निर्देशक इम्तियाज अली के निर्देशन में बन रही यह फिल्म पंजाब के मशहूर गायक रहे अमर सिंह चमकीला की जिंदगी पर आधारित है। केवल 27 साल की उम्र में एक कार्यक्रम में प्रदर्शन देते वक्त चमकीला को गोलियों से भून दिया गया था। अमर सिंह चमकीला का जन्मद लुधियाना के डुगरी गांव में 21 जुलाई 1960 को हुआ था। बचपन में इलेक्ट्रिशियन बनने का सपना था लेकिन परिवार की माली हालत खराब थी तो एक फैक्ट्री में काम करना पड़ज्ञ। बचपन से ढोलक और हारमोनियम पर हाथ अजमाया तो वह शौक में तब्दील हो गया। एक दिन तुम्बी हाथ लगी तो वह भा गई। फैक्ट्री में काम करने के दौरान गाने लिखने का शौक सवार हो गया। आवाज अच्छी थी, तुम्बी भी अच्छी बजा लेते थे तो तब पंजाब में बेहद लोकप्रिय गायक सुरिंदर शिंदा के लिए गाने लिखने शुरू कर दिए। लेकिन, यहां कुछ ज्यादा हाथ लग नहीं रहा था उपर से पैसे की तंगी थी तो खुद ही स्टैज शो करने का फैसला लिया। टीम जुटाई और गाने का मौका भी मिल गया। तो क्या था, कल तक शब्दों को गाने में पिरोने वाला चमकीला अब अपने शब्दों को खुद आवाज देने लगा।
शुरूआती दौर थोड़ा हल्का रहा लेकिन चमकीला के गानों के बोल और स्टेज पर उसकी उपस्थिति लोगों को भाने लगी। वह तेजी से लोकप्रिय होने लगे। उनके लोकप्रिय होने के पीछे उनके गीतों के बोल थे तो जब पंजाब की घर घर की जन जन की सच्चाई थी। बढ़ता नशे का प्रभाव हो, घरों में घरेलू हिंसा हो, शादी के बाहर संबंध हो, हर मुद्दे को चमकीला गानों में पिरो देता था।
वह दौर पंजाब में खलिस्तानी उपद्रव का भी था। रोज लोग मारे जा रहे थे। दस बीस लोगों का भी एक जगह इकट्ठा होना खतरनाक था लेकिन इकलौता चमकीला ही था जिसके स्टेज शो में अच्छी खासी भीड़ जुटा जाती थी। गांव गांव घूमकर स्टेज शोर करने वाला चमकीला पंजाब संगीत उद्योग का सबसे बड़ा सितारा बनकर उभर रहा था। चमकीले के गानों में सब कुछ होता था, गालियां होती थी, जातियों का घमंड होता था लिहाजा वह ज्यादातर के पसंद तो कुछेक को हद दर्जे तक नापसंद भी थे। गांव गांव में होने वाले स्टेज शो के बूते वह कुल पांच छह सालों में ही पंजाब की आवाज बन चुके थे। स्टेज में उनके साथ होती थी अमरजोत सिंह कौर। अमरजोत सिंह कौर शादीशुदा थी लेकिन गाने के शौक के चलते उसके पति ने उसे तलाक दे दिया, चमकीले के साथ जोड़ी बनी तो यह जोड़ी पंजाब की सबसे प्रसिद्ध जोड़ी बन गई। दोनों स्टेज पर जाते और खूब वाहवाही पाते। बताते हैं कि चमकीला की मांग इतनी बढ़ गई थी कि एक ऐसा भी दिन नहीं जाता कि जब उसे कहीं न कहीं स्टेज में प्रोग्राम न देना होता।
प्रसिद्धी मिली तो पंजाब से बाहर कनाडा, अमेरिका, दुबई समेत कई शहरों से बुलावा आने लगा। चमकीला तेजी से चमक रहा था लेकिन कुछ लोग थे जो उससे नाराज चल रहे थे। कुछ साथ के गायक जो उसकी वजह से फीके पड़ रहे थे तो खलिस्तानी आतंकी भी, जो उसकी बेपरवाही और खुलेपन को पचा नहीं पा रहे थे।
जाति से दलित चमकीला 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद निराशा और गुस्से में डूबे पंजाब को राहत देने का भी काम कर रहा था। अपने बेबाक गानों और संगीत से वह आतंकवाद और उसके खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई से मिल रहे जख्मों पर मरहम भी लगा रहा था। 1980 से लेकर 1988 तक चमकीला पंजाब का सबसे बड़ा गायक बन गया था। लोगों ने खूब प्यार बख्शा। लेकिन, कईयों की नजरों में चढ़े हुए चमकीला के लिए आखिरकार 8 मार्च 1988 का दिन आखिरी दिन साबित हुआ। चमकीला अपनी पत्नी और स्टेज की साथी अमरजोत कौर के साथ महसामपुर में स्टेज शो करने आया। गाड़ी से उतर कर स्टेज तक जा रहा था कि मोटर साइकिल सवार कुछ लड़के आए और चमकीला और अमरजोत कौर को गोलियों से भून दिया। दोनों गोलियों से छलनी होकर जमीन पर पड़े थे, दोनों की देह ठंडी हो चुकी थी। चमकीला की उम्र उस वक्त 27 साल थी, महीने भर बाद वह 28 साल का होने वाला थो लेकिन अब जमीन पर खून से लथपथ पड़ा दुनिया से कूच कर गया था। उसके हत्यारे कभी नहीं पकड़े गए।
चमकीला की मौत के पीछे कई सवाल उठे। बताया गया कि उसे खलिस्तानी आतंकियों ने मारा, उससे पीछे छूट गए उसके साथी गायकों ने मरवाया, तो जाति के नशे में डूबे लोगों ने मरवाया। क्योंकि, चमकीला दलित था और उसकी पत्नी अमरजोत कौर जट्ट परिवार से, जाति की दीवार तोड़ दोनों साथ रह रहे थे और उपर से चमकीला के जातियों को गीतों के जरिए चुनौती देना भी कई लोगों को खटकता। मौत के 35 साल बाद भी यह राज ही बना हुआ है कि चमकीला को किसने मारा।
अगले साल नेटफ्लिक्स पर रीलीज हो रही दलजीत दोसांज की फिल्म अमर सिंह चमकीला के जीवन पर आधारित फिल्म में शायद कोई मुक्कमल जवाब मिल जाए।

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