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असमानता : मेहनतकश बड़ी आबादी के हाथ खाली

पंकज चौहान, पेन प्‍वाइंट  : दुनिया में तेजी से तरक्‍की कर रही अर्थव्‍यवस्‍थाओं में भारत का नाम भी शुमार है। लेकिन विडंबना है कि फिर भी हमारा देश अमीरी और गरीबी के मामले में सबसे ज्‍यादा असमानता या गैर बराबरी वाले देशों में गिना जाता है। जहां एक प्रतिशत लोगों का देश की 77 फीसदी संपत्ति पर अधिकार है। जबकि उच्‍च स्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं निम्‍न मध्‍यम वर्ग के लिए अब भी सपना बनी हुई हैं।

एसआईटी जांच से नाखुश विपक्ष

ऑक्‍सफेम इंडिया की हालिया रिपोर्ट ने आज के भारत की ऐसी ही तस्‍वीर खींची है। जिसमें कहा गया है कि बीते तीन दशक में भारत में असमानता तेजी से बढ़ी है। चंद अमीरों ने क्रॉनी कैपिटलिज्‍म व अन्‍य उपायों से बड़ पैमाने पर धन संपत्ति जुटाई है। पूंजीपति लगातार और अमीर हुए हैं जबकि गरीब तबका अब भी न्‍यूनतम मजदूरी, गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं पाने के लिए तरस रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में स्‍वास्‍थ्‍य सेवा लग्‍जरी वस्‍तु की तरह है। देश में विभिन्‍न प्रोत्‍साहन मिलने से अस्‍पतालों का व्‍यावसायिक और ताकतवर तंत्र तैयार हुआ है। जिससे हम मेडिकल टूरिज्‍म के मामले में सबसे आगे हैं। वहीं दूसरी ओर देश के गरीब तबके से उच्‍च स्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं कोसों दूर हैं। प्रसव के दौरान मातृ मृत्‍यू के ग्‍लोबल आंकड़ों में भारत का हिस्‍सा 17 फीसद है तथा पांच साल से कम आयु के 21 फीसद बच्‍चे स्‍वाथ्‍य सुविधा ना मिलने से काल का ग्रास बनते हैं।

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देश के यूनियन बजट से ज्‍यादा संपत्ति

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक दशक में अरबपतियों ने सर्वाधकि संपत्ति अर्जित की। यानी 10 गुना अधिक। जिससे उनके पास धन संपत्ति देश के केंद्रीय बजट 2018-19 से अधिक हो गई। जिसका आकलन रिपोर्ट में रुपए 2224 अरब दिया गया है। मौजूदा समय में देश में घोषित तौर पर 119 अरबपति हैं। जिनकी संख्‍या साल 2000 में महज 9 से बढ़कर 2017 तक 101 हो गई। साल 2018 से 2022 तक भारत में हर दिन 27 नए करोड़पति बनने का आंकलन है।

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941 साल लगेंगे

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ग्रामीण भारत में न्‍यूनतम मजदूरी की स्थिति बहुत खराब है। इसे एक साल में किसी टॉप गारमेंट कंपनी के एग्‍जीक्‍यूटिव के बाराबर सैलरी के बराबर आने में करीब 941 साल का समय लगेगा। यानी गैर बराबरी का यह अंतर बहुत बड़ा है। देश में 63 करोड़ लोग हैल्‍थकेयर सुविधाओं के खर्च के कारण गरीब हुए हैं।

क्‍या है ऑक्‍सफेम

ऑक्‍सफेम गैर बराबरी की खिलाफ एक मुहिम है। 1995 में विभिन्‍न गैर सरकारी संगठनों ने मिलकर इसकी शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्‍य गैरबाराबरी, गरीबी और अन्‍याय की ओर देश और दुनिया का ध्‍यान खींचना था। मौजूदा समय में यह मुहिम पूरी दुनिया में चल रही है।

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