Search for:
  • Home/
  • विविध/
  • जयंती: आज के ही दिन पैदा हुई देश की पहली महिला चिकित्सक

जयंती: आज के ही दिन पैदा हुई देश की पहली महिला चिकित्सक

देश की पहली महिला चिकित्सक आनंदी जोशी बाल विवाह होने के बावजूद भी पूरी की चिकित्सा की पढ़ाई, 17 साल की उम्र में पूरी की एमडी
PEN POINT, DEHRADUN : आज भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा महिला चिकित्सक हैं, अंग्रेजों की हुकूमत से आजाद हुए सात दशक के भीतर ही इस देश ने महिलाओं को पुरूषों के समांतर लाने में बड़ी उपलब्धियां हासिल की है। लेकिन, आज से करीब डेढ़ सौ साल पहले यह सब संभव नहीं था। आज भारत की पहली महिला डॉक्टर की 158वीं  जयंती है जो कुल 7 साल की उम्र में शादी के बंधन में बंध गई थी लेकिन अपनी योग्यता के चलते सबसे कम उम्र में एमडी करने वाली चिकित्सक बनने के साथ ही भारत की पहली महिला फिजिशिएन बनी।
आनंदीबाई जोशी का जन्म पुणे शहर में आज के ही दिन 31 मार्च 1865 को हुआ था। ब्राह्मण परिवार में जन्मी आनंदी जब महज 9 बरस की थी तभी उनकी शादी 25 साल के गोपालराव जोशी से कर दी गई थी, 14 साल की उम्र में आनंदी मां बन चुकी थीं लेकिन 10 दिनों के भीतर ही उनके नवजात बच्चे की मौत हो गई। बच्चे को खोने के दर्द ने आनंदी को तोड़ दिया था लेकिन उन्हें जिंदगी जीने एक रास्ता भी दिखा दिया था। उन्होंने तय किया कि जिस चिकित्सा व्यवस्था की कमी के चलते उनके नवजात की मौत हुई वह उसे बदल देंगी और डॉक्टर बन कर दिखाएंगी।
उनके इस संकल्प को पूरा करने में उनके पति ने भी उनकी पूरी मदद की। अपने डॉक्टर बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आनंदी तमाम आलोचनाओं के बाद भी आगे बढ़ती रही। उनके पति गोपालराव ने उन्हें मिशनरी स्कूल में दाखिला दिलाकर आगे की पढ़ाई कराई, जिसके बाद वे कलकत्ता चली गई। जहां पर उन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी पढ़ना और बोलना सीखा। उनके पति ने उन्हें आगे मेडिकल का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1880 में उन्होंने एक प्रसिद्ध अमेरिकी मिशनरी, रॉयल वाइल्डर को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी की रुचि को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकित्सा का अध्ययन की जानकारी मांगी, जहां से जानकारी मिलने पर वो अमेरिका चली गई, उन्होंने पेंसिल्वेनिया के महिला मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा कार्यक्रम में एडिमशन लिया।
आनंदीबाई ने साल 1886 में 19 साल की उम्र में एमडी की डिग्री हासिल कर ली, वो एमडी की डिग्री पाने वाली भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं। उसी साल आनंदीबाई भारत लौट आईं, डॉक्टर बन कर देश लौटी आनंदी का भव्य स्वागत किया गया था। बाद में उन्हें कोल्हापुर रियासत के अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल के महिला वार्ड में प्रभारी चिकित्सक की नियुक्ति मिली।

टीबी की बीमारी से हुई मौत
किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, भारत की पहली महिला डॉक्टर बनकर कीर्तिमान रचने वाली आनंदीबाई अपनी डॉक्टरी की प्रैक्टिस शुरू करतीं उससे पहले ही वे टीबी की बीमारी का शिकार हो गईं। लगातार बीमार रहने के कारण 26 फरवरी 1887 में महज 22 साल की उम्र में आनंदीबाई चल बसीं।

आनंदीबाई को मिला पुरस्कार व सम्मान
शुक्र ग्रह पर बहुत बड़े-बड़े गड्ढे हैं। इस ग्रह के तीन गड्ढों के नाम भारत की तीन प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर रखे गये हैं, इसमें से जोशी क्रेटर शुक्र ग्रह पर बना हुआ एक गड्ढा है, जो आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर रखा गया है। वहीं इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज लखनऊ जो एक गैर-सरकारी संगठन है, जो भारत में चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए उनके शुरुआती योगदान के सम्मान में मेडिसिन के लिए आनंदीबाई जोशी पुरस्कार प्रदान कर रहा है। इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर काम करने वाली युवा महिलाओं के लिए उनके नाम पर एक फैलोशिप की स्थापना की है। 31 मार्च 2018 कोए गूगल ने उसकी 153 वीं जयंती को चिह्नित करने के लिए उन्हें गूगल डूडल बनाकर सम्मान दिया गया।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required