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टिहरी झील के तटवर्ती इलाकों के लिए सुरक्षा नीति बनाने की वकालत

– भाजपा के पूर्व दर्जाधारी मंत्री रामसुंदर नौटियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर टिहरी झील प्रभावित इलाकों के लिए सुरक्षा नीति के निर्माण की मांग की, दावा झील तटवर्ती इलाकों के लिए बनी हुई है खतरनाक
PEN POINT, DEHRADUN : बीती 21 जुलाई को इसी साल 12वीं पास कर बीए प्रथम वर्ष में एडमिशन करवाने के बाद 18 वर्षीय गौरव अपनी मां के साथ चिन्यालीसौड़ के समीप नगुण में मवेशियों को चराने झील किनारे ले गया, झील से मवेशियों को किनारे लगाते समय गौरव झील में डूब गया, करीब दो सप्ताह तक चले खोज बचाव अभियान के बाद एसडीआरएफ को 1 अगस्त को गौरव का शव मिल सका। गौरव अपनी विधवा मां का इकलौता बेटा था। जिस दिन गौरव टिहरी झील में डूबा था उसके अगले सप्ताह भर में टिहरी झील के निकटवर्ती अलग अलग गांवों से दो अन्य लोगों की टिहरी झील में डूबने से मौत हो गई। 52 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली टिहरी झील भले ही देश के बड़े हिस्से को रौशन कर रही है लेकिन टिहरी झील के तटवर्तीय गांवों के लिए यह झील बड़ा खतरा बना हुआ है। लेकिन, झील की देखरेख और इस झील के जरिए 1000 मेगावाट की टिहरी जल विद्युत परियोजना का संचालन कर रही टिहरी हाइड्रो डिवेलपमेंट कंपनी यानि टीएचडीसी ने इन तटवर्तीय ग्रामीण इलाकों की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दी है। वहीं, अब भाजपा के पूर्व दर्जाधारी मंत्री रामसुंदर नौटियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से तटवर्तीय इलाकों के ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए टीएचडीसी से प्रभावित इलाकों के लिए विशेष सुरक्षा नीति बनाने की मांग की है।

'Pen Point
एक हजार मेगावाट टिहरी जल विद्युत परियोजना की 52 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली टिहरी झील के तटवर्ती इलाकों में मानवीय सुरक्षा भगवान भरोसे है। सिर्फ मानवीय सुरक्षा ही नहीं टिहरी झील जब मानसून के दौरान लबालब भरी होती है तो एक बड़े हिस्से में लगातार कटाव का कारण भी बन जाती है। बीते दिनों ही चिन्यालीसौड़ के समीप गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग का बीस मीटर हिस्सा भी झील से हुए कटाव के कारण झील में धंसना शुरू हो गया था। इसके साथ ही चिन्यालीसौड़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नगर क्षेत्र का आवासीय हिस्सा, चिन्यालीसौड़ से जोगथ क्षेत्र को जोड़ने वाले संपर्क मार्गों में धंसाव की स्थिति हर साल बनी रहती है। तो वहीं, टिहरी से लेकर चिन्यालीसौड़ तक झील के तटवर्ती गांवों में कृषि भूमि, चारागाह भी जल समाधि ले रहे हैं। लेकिन, इन ग्रामीणों को न तो इस क्षति को कोई मुआवजा मिल पाता है न ही इनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम किए जाते हैं। टिहरी विद्युत परियोजना के निर्माण के दौरान परियोजना क्षेत्र में आने वाले गांवों को विस्थापित किया गया, विस्थापित परिवारों को उनके भवन, कृषि भूमि का मुआवाजा भी दिया गया लेकिन जो गांव कस्बे परियोजना के दायरे में नहीं आए उन्हें छोड़ दिया गया। हालांकि, इन ग्रामीणों को खुशी थी कि वह परियोजना क्षेत्र में ने आने से अपने गांव से उजाड़े जाने से बच गए। लेकिन, जैसे ही परियोजना के लिए 2006 में टिहरी झील भरने का काम शुरू हुआ, तो परियोजना निर्माण के दौरान बच गए गांवों के लिए मुसीबतों का दौर भी शुरू हो गया। इसमें सिर्फ टिहरी परियोजना के निकटवर्ती गांव ही नहीं बल्कि परियोजना स्थल से करीब 50 किमी दूर स्थित चिन्यालीसौड़ नगर क्षेत्र व उत्तरकाशी जनपद के अंतर्गत आने वाले गांव भी परियोजना की झील से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
झील निर्माण के बाद से अब तक दर्जनों लोगों के लिए यह झील जानलेवा साबित हो चुकी है। तो कई हेक्टेयर कृषि भूमि, चारागाह, सार्वजनिक संपति भी झील से हुए कटाव के कारण जल समाधि ले चुकी है। लेकिन, इन ग्रामीणों के हिस्से न तो मुआवाजा आया न सुरक्षा के इंतजाम। झील में डूबकर मरने पर मृतक के परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार जरूर कुछ मुआवजे का इंतजाम करती है लेकिन टीएचडीसी इसे मानवीय दुर्घटना मानकर चुप्पी ओढ़ लेती है।

'Pen Pointबीते दिनों चिन्यालीसौड़ निवासी व पूर्व राज्य मंत्री रामसुंदर नौटियाल ने टिहरी झील के तटवर्तीय इलाकों के लिए सुरक्षा नीति बनाए जाने की वकालत की। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर टिहरी झील के तटवर्तीय इलाकों में होने वाले नुकसान के लिए टीएचडीसी की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा नीति बनाए जाने की मांग की। रामसुंदर नौटियाल बताते हैं कि टिहरी परियोजना देश के बड़े हिस्से को रौशन कर रही है यह गर्व की बात है लेकिन परियोजना की झील दर्जनों लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई है और इसके अलावा हर साल भूमि कटाव के चलते किसानों, व्यापारियों, आम लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है लेकिन इन सबमें टीएचडीसी की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं हो पाती है। नौटियाल कहते हैं कि टिहरी झील से जो कटाव होता है वह राज्य सरकार या जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षात्मक कार्य कर दिए जाते है लेकिन टिहरी झील अगले साल उन सुरक्षात्मक कार्यों को अपने अंदर समा लेती है जबकि जनहानि होने पर टीएचडीसी की ओर से कोई मदद भी नहीं जाती। वह कहते हैं कि यह जरूरी हो गया है कि एक सुरक्षा नीति बनाकर तटवर्तीय इलाकों में झील से होने वाले नुकसान की भरपाई टीएचडीसी करे। रामसुंदर नौटियाल ने बीते दिनों मुख्यमंत्री से मुलाकात कर टिहरी झील के तटवर्ती गांवों, कस्बों की हजारों की आबादी की सुरक्षा के लिए टीएचडीसी तटवर्ती इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के साथ ही एक सुरक्षा नीति भी बनाने की मांग की जिसमें झील में डूबकर काल का ग्रास बनने वाले लोगों के परिजनों को उचित मुआवजा दिए जाने के साथ ही सुरक्षा के अन्य इंतजाम हों सकें उनका सालाना अवलोकन भी किया जाए।

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