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ज्वलंत मुद्दा: अंकिता भंडारी मर्डर केस इस चुनाव में कितना असर डालेगा ?

Pen Point, Dehradun : लोकसभा चुनाव के लिये प्रत्याशी इन दिनों शहर गांव और गलियों की खाक छान रहे हैं। वोटरों को रिझाने की हर संभव कोशिश हो रही है। सत्ता पक्ष जुड़े प्रत्याशी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं, तो विपक्ष की ओर से उनसे मुद्दों पर जवाब मांगे जा रहे हैं। जिनमें से कुछ मुद्दे इतने ज्वलंत हैं कि जिनके जवाब खुद जनता भी जानना चाहती है। अंकिता भंडारी मर्डर केस ऐसा ही एक मुद्दा है। खास तौर पर गढ़वाल और टिहरी लोकसभा सीट पर ये मामला सीधा असर डालता दिख रहा है। वहीं राज्य की अन्य सीटों पर भी इस मुद्दे की चर्चा है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड की राजनीति में अंकिता भंडारी हत्याकांड ने साल 2022 में हड़कंप मचा दिया था। 18 सितंबर 2022 की उस घटना को आज भी लोग भूले नहीं हैं, बल्कि उसे याद कर लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिये पहाड़ की एक बेटी घर से निकलती है। उसे ऋषिकेश के पास वनंत्रा नाम के एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम मिलता है। जहां उसके साथ हुई वारदात से लोगों ने खुद को जोड़ा। 19 वर्षीय अंकिता की हत्या कर दी गई। जिसका कारण रिजॉर्ट में आने वाले वीआईपी गेस्ट को स्पेशल सर्विस देने का दबाव बनाना बताया गया।

उस समय सत्ता में वापसी करने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए यह मामला बड़ी चुनौती बन गया। वारदात के तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। मामला कोर्ट में चल रहा है। दूसरी ओर इस मामले को लेकर एक लड़ाई सड़क पर भी लड़ी जा रही है। इसमें अंकिता के माता- पिता, परिजनों के साथ कई राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। उनका आरोप है कि इस मामले में बड़े आरोपियों को बचाया जा रहा है। साथ ही ये लोग तत्कालीन डीएम और यमकेश्वर के एमएलए पर कार्रवाई की जाए।

अब लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में है। गढ़वाल संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल जनता के बीच इस मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं। वहीं इस सीट से यूकेडी प्रत्याशी आशुतोष नेगी लंबे समय से अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।

पहाड़ के युवाओं का एक बहुत बड़ा तबका इस मुद्दे को लेकर हमेशा ही मुखर रहा है। बेरोजगारी और नौकरियों में भ्रष्टाचार के आंदोलन का चेहरा बने बॉबी पंवार अब टिहरी सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। बेरोजगार संगठनों के आंदोलन के दौरान अंकिता भंडारी हत्याकांड का मुद्दा उठाया जाता रहा है। अब बॉबी पंवार भी लोगों के बीच बेरोजगारी के साथ इस मुद्दे को मुख्य तौर पर उठा रहे हैं। इसके अलावा राज्य की तीन अन्य लोकसभा सीटों पर भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को हथियार बना रहे हैं।

भाजपा की बात करें तो इसे लेकर पार्टी के प्रत्याशी सहज नहीं नजर आ रहे हैं। गढ़वाल सीट के लिये नामांकन के दिन पौड़ी में पत्रकारों ने गढ़वाल सीट से प्रत्याशी अनिल बलूनी से अंकिता भंडारी इस बाबत पूछा तो उन्होंने नो कमेंट कह कर इसे टाल दिया। वहीं उनके नामांकन की रैली में पहुंची केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पत्रकारों के सवाल पर इस मामले की जानकारी ना होने की बात कही।

कुल मिलाकर अंकिता भंडारी हत्याकांड का मामला एक संवेदनशील चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है। जिस पर अब तक सत्ताधारी पार्टी असहज ही नजर आई है। आने वाला समय ही बताएगा कि यह मुद्दा मतदाताओं की किस हद तक प्रभावित कर सकेगा, या फिर भाजपा की ओर से इसकी काट कैसे की जाती है।

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