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चिपको आंदोलन : 49वीं वर्ष गांठ पर जोशीमठ में दिखा भू धसाव का असर

PEN POINT, JOSHIMATH : पर्यावरण संरक्षण के विश्व प्रसिद्द चिपको आंदोलन को आज पूरे 49 साल हो गए हैं। इस मौके पर पर्यावरणीय खतरे से जूझ रहे जोशीमठ को बचाने के लिए एक भव्य आयोजन किया गया। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की तरफ से सेव हिमालय और जोशीमठ बचाने के लिये रन फॉर जोशीमठ “जागरूकता रेस” आयोजित की गयी। चिपको आंदोलन प्रभाव को याद रखने की बेहद जरूरत है। इसी मकसद से जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति पिछले लम्बे समय से यहाँ बेहद सक्रिय है।

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बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले के सीमांत धौली गंगा घाटी और ऋषि गंगा घाटी में 70 के दशक में अपने जंगलों को बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीणों कि तरफ से एक बृहद आंदोलन चलाया गया। इस आंदोलन को महत्वपूर्ण धार देने का काम एक स्थानीय जीवट महिला गौरा देवी ने बखूबी किया। आज उसी विश्व विख्यात चिपको आंदोलन की 49 वीं वर्ष गांठ पर फिर से जोशीमठ को बचाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। इस जागरूकता दौड़ में एनटीपीसी गो बैक और सेव हिमालया सेव जोशीमठ के नारों से धौली गंगा घाटी गूंज उठी। स्थानीय लोग जोशीमठ भू धसाव से प्रभावित लोग बड़ी संख्या में पूरे जोश-खरोश में दिखाई दिए।

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रन फॉर जोशीमठ के संदेशात्मक रेस के प्रतिभागियों में, रेस के संयोजक अतुल सती ने बताया कि यह सदभावना दौड़ आज विश्व पर्यावरण संरक्षण आंदोलन चिपको मूवमेंट की 49 वीं वर्ष गांठ पर आम जन मानस में सेव हिमालय सेव जोशीमठ और पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करने बावत संदेशात्मक दौड़ है। सेव जोशीमठ एनटीपीसी गो बैक, के बुलंद नारों की गूंज के साथ और पर्यावरण बचाने हिमालय बचाने का संदेश देते हुए आज 26 मार्च को चिपको आंदोलन की प्रणेता स्वर्गीय गौरा देवी की कर्म भूमि रेंणी घाटी से शुरू होकर यह सदभावना दौड़ तपोवन बड़ागांव होकर जोशीमठ पहुंच कर समाप्त हुई। रेस में बड़ी संख्या में युवाओं के साथ साथ महिलाओं ने भी हिस्सा लिया।

 

 

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