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युवाओं से परहेज पर अधेड़ युवा-बुजुर्ग प्रत्याशियों का कॉकटेल पेश किया है कांग्रेस-भाजपा ने

-टिहरी से भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी उम्र के सातवें दशक में तो गढ़वाल संसदीय सीट में दोनों पार्टियों के प्रत्याशी 60 से कम उम्र के, प्रदेश के 49 फीसदी युवा मतदाताओं के बावजूद युवा को नहीं दिया मौका
Pen Point, Dehradun : अपने 23वें साल में चल रहे उत्तराखंड में युवा मतदाताओं की तादात भले ही कुल मतदाताओं के आधी है लेकिन राष्ट्रीय प्रमुख पार्टियों ने प्रदेश में इस मतदाता वर्ग की नुमाइंदगी करते प्रत्याशियों को मैदान में उतारने में परहेज किया हैं। हालांकि, युवा प्रतिनिधित्व के नाम पर अधेड़ युवा और बुजुर्गों का अजीब कॉकटेल जरूर राज्य के मतदाताओं को परोसा है। टिहरी संसदीय सीट पर जहां कांग्रेस और भाजपा ने 70 की उम्र पार प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है तो गढ़वाल सीट पर दोनों पार्टियों के प्रत्याशी 60 साल से कम उम्र के हैं। जबकि, अन्य सीटों पर बुजुर्ग प्रत्याशी के सामने युवा प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया है। हालांकि, दोनों पार्टियों ने ही राज्य की पांचों संसदीय सीट पर युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाली उम्र 25 से 39 वर्ष के बीच के किसी भी युवा नेता को प्रत्याशी नहीं बनाया। जबकि प्रदेश के मतदाताओं में युवा मतदाताओं की तादात 49 फीसदी के करीब है। इसके बावजूद दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने 25 से 39 आयु वर्ग के युवाओं को बतौर प्रत्याशी भरोसा नहीं जताया है।
उत्तराखंड फिलहाल युवा मतदाताओं के लिहाज से देश के अव्वल राज्यों में है। प्रदेश में 18 से 39 आयु वर्ग के मतदाताओं की तादात प्रदेश के कुल मतदाताओं की 49 फीसदी के करीब है। यानि प्रदेश के आधे के करीब मतदाता युवा हैं लिहाजा चुनाव में हार जीत में युवाओं की भूमिका निर्णायक साबित होने जा रही है लेकिन इसके बावजूद भाजपा और कांग्रेस ने प्रदेश में 25 से 39 आयु वर्ग के प्रत्याशियों पर दांव खेलने से परहेज किया है। प्रदेश में सबसे कम उम्र के प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस ने हरिद्वार संसदीय सीट से वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाया है। 45 वर्षीय वीरेंद्र रावत यूं तो उम्र के वर्गीकरण के लिहाज से युवाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं लेकिन फिलहाल 50 वर्ष से कम उम्र के प्रत्याशियों में भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशियों में वह ही सबसे युवा प्रत्याशी हैं। प्रदेश में 18 से 39 साल के मतदाताओं की संख्या 40,33,278 है जबकि प्रदेश में कुल 82,43,423 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। इस लिहाज से देखा जाए तो करीब आधे मतदाता युवा है। लेकिन, दोनों पार्टियों ने इस आयु वर्ग को तो खारिज कर दिया है लेकिन पांचों संसदीय सीटों पर बुजुर्ग और युवा का अजीब कॉकटेल भी पेश किया है। अल्मोड़ा संसदीय सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद अजय टम्टा का मुकाबला कांग्रेस के 66 वर्षीय प्रदीप टम्टा से हैं। तो वहीं, नैनीताल संसदीय सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद 62 वर्षीय अजय भट्ट के सामने कांग्रेस ने 54 वर्षीय प्रकाश जोशी को मैदान में उतारा है। वहीं, हरिद्वार संसदीय सीट पर भाजपा ने 64 वर्षीय सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का टिकट काट 64 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने उनके सामने 49 वर्षीय वीरेंद्र रावत को मैदान में उतारा है। गढ़वाल संसदीय सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद 60 वर्षीय तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर 53 वर्षीय अनिल बलूनी को मैदान में उतारा है जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष 58 वर्षीय गणेश गोदियाल से हो रहा है। तो टिहरी संसदीय सीट पर लगातार जीत की हैट्रीक लगाने वाली 73 वर्षीय माला राज्यलक्ष्मी शाह को भाजपा ने चौथी बार चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने 70 वर्षीय पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला को प्रत्याशी बनाया है। उम्र के लिहाज से देखें तो टिहरी संसदीय सीट पर दोनों पार्टियों ने सबसे बुजुर्ग प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है जबकि अन्य सीटों पर युवा-बुजुर्ग प्रत्याशियों का संतुलन बनाए रखा है।
राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र गोदियाल इस पर राय देते हैं कि भाजपा के पास मौका था कि वह टिहरी संसदीय सीट से नेहा जोशी को बतौर प्रत्याशी घोषित कर राज्य में 40 वर्ष के कम उम्र के युवाओं को एक चेहरा देते तो वहीं कांग्रेस भी टिहरी संसदीय सीट से प्रदेश के बेरोजगार आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे बॉबी पंवार को अपना प्रत्याशी घोषित करते तो प्रदेश के 49 फीसदी युवा मतदाताओं को एक प्रतिनिधित्व मिल जाता लेकिन टिहरी संसदीय सीट में ही प्रदेश के सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी दोनों पार्टियों ने मैदान में उतारे। वह कहते हैं कि प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात में दोनों पार्टियों के पास ऐसे नेताओं की बड़ी फौज है जो 40 वर्ष से कम उम्र के हैं, युवा है, जनसमर्थन है, संसाधन है और अपनी पहचान है लेकिन पार्टियां क्यों युवाओं को चुनावी मैदान में उतारने से परहेज करती है यह समझ नहीं आता।
वहीं, कांग्रेस पार्टी से जुड़े युवा नेता प्रदीप रावत कहते हैं कि हरिद्वार सीट से प्रत्याशी वीरेंद्र रावत युवा ही हैं और वह प्रदेश के 49 फीसदी युवा मतदाताओं का प्रतिनिधित्व भी करते हैं लेकिन फिलहाल भाजपा की ओर से पांचों विधानसभा में कोई भी प्रत्याशी 50 वर्ष से कम उम्र का नहीं है। प्रदीप रावत बताते हैं कि हालांकि युवाओं को मौका मिलना चाहिए लेकिन राजनीति में युवाओं की परिभाषा प्रचलित युवाओं से अलग है क्योंकि राजनीति का इतिहास रहा है कि ज्यादातर लोगों का करियर 40 की उम्र पार करने के बाद शुरू हुआ है और 70 की उम्र से पहले तक वह काफी सक्रिय रहते हैं जैसे कि युवा रहता है फिर भी युवाओं को ज्यादा मौका मिले यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।

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