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जज़्बा : देश की पहली महिला स्पाइनर बनी सुमन कुमारी

Pen Point. Dehradun : हिमांचल प्रदेश के मंडी की बेटी सुमन कुमारी सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर बनी हैं। एक साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि वाली सब इंस्पेक्टर सुमन कुमारी ने अपने कौशल को निखारते हुए इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। हाल ही में उन्होंने सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपन्स एंड टैक्टिक्स (सीएसडब्ल्यूटी) में आठ हफ्तों का स्नाइपर कोर्स पूरा किया करके अपनी क्षमता और दृढ़ता का परिचय दिया। सुमन ने इस कोर्स में प्रतिष्ठित ’प्रशिक्षक ग्रेड’ हासिल किया।

ऐसे मिली प्रेरणा
सुमन के बारे में आ रही खबरों के मुताबिक उन्होंने महिला स्नाइपर बनने की चुनौती स्वच्छा से स्वीकार की। गौरतलब है कि यह कोर्स काफी गहन और चुनौतीपूर्ण होता है जिसे पूरा करना आसान नहीं। उन्होंने देश की सीमा पर तैनाती के दौरान स्नाइपर के खतरों के अनुभव से प्रेरित होकर लिया। पूर्व में वह पंजाब में एक प्लाटून की कमान संभाल रही थीं, जहां उन्होंने स्नाइपर से जुड़े खतरों और इसकी जरूरत को महसूस किया। उनकी सोच, लगन और क्षमता को समझते हुए सीनियर अफसरों ने कोर्स में उन्हें शामिल होने की अनुमति दे दी। हालांकि सुमन के लिए यह एक कठिन लेकिन संतोष देने वाले सफर की शुरुआत थी।

कठोर शारीरिक और मानसिक परीक्षा
स्नापर ट्रेनिंग का कोर्स कठोर शारीरिक और मानसिक परीक्षा के लिए जाना जाता है। खास बात ये है कि सुमन 56 पुरुष प्रशिक्षुओं के बीच अकेली महिला थी। लेकिन इस बात का उन पर कोई असर नहीं पड़ा और अपनी योग्यता को साबित करने की दिशा में काम करती रही। कड़ी मेहनत और समर्पण रंग लाया, क्योंकि उसने न केवल पाठ्यक्रम पूरा किया। बल्कि शानदार अंकों के साथ पूरा किया, जिससे उन्हें एक स्नाइपर प्रशिक्षक के रूप में तैनात होने का अधिकार मिल गया।

कई लोगों के लिए प्रेरणा
सीएसडब्ल्यूटी आईजी भास्कर सिंह रावत ने सुमन की उपलब्धि को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, और स्नाइपर कोर्स की प्रतिष्ठा को कमांडो प्रशिक्षण के बाद सबसे कठिन में से एक के रूप में रेखांकित किया। सुमन की सफलता को अन्य महिला रंगरूटों के लिए एक प्रेरणा के रूप में देखा जाता है, जो उन्हें समान सैन्य भूमिकाओं में खोज करने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि
सुमन के पिता एक इलेक्ट्रीशियन मां एक गृहिणी हैं। दोनों ही उनके इस खास सफर में बेटी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। सुमन 2021 में बीएसएफ में शामिल हुई थी। अपने जुनूर और बहुमुखी कौशल का प्रदर्शन करते हुए उसने निहत्थे युद्ध में भी अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। उनकी उपलब्धियाँ न केवल महिलाओं के लिए सैन्य बलों में बदलती भूमिका को दिखाती हैं बल्कि अन्य महिला सैनिकों के लिये भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

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