पर्यावरण : NGT ने उत्तराखंड पर लगाया 200 करोड़ का जुर्माना
-टिहरी और देहरादून के अवैध डंपिंग स्थलों को तुरंत बंद करने के भी दिये निर्देश, पेड़ लगाए जाने की दी हिदायत
PEN POINT : सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड में सीवेज और ठोस कचरा सिरदर्द बना हुआ है। राज्य बनने के बाद से ही करोड़ों की लागत के सीवर लाइन और सीवेज प्लांट तैयार किये गए हैं। यही स्थिति ठोस कचरा निस्तारण को लेकर भी है। राज्य में विभिन्न जगहों पर कई कचरा निस्तारण संयंत्र खड़े हैं, लेकिन बावजूद इसके राज्य के पर्यावरण के लिए दोनों ही समस्याएं घातक बनी हुई हैं। यही वजह है कि एनजीटी ने उत्तराखंड को 200 करोड़ रूपए का पर्यावरणीय मुआवजे का जुर्माना लगाया है।
बीती 11 मई को एनजीटी कोर्ट ने सीवेज और ठोस कचरे के उत्पादन और निस्तारण की स्थिति को देखते हुए यह फैसला सुनाया है। जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में सीवेज के उत्पान और उपचार में 60 एमएलडी का और ठोस कचरे के निस्तारण में 252.65 टीपीडी का अंतर है। यह मामूली अंतर नहीं है, इसका आशय यह है कि दोनों ही समस्याओं के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा कोर्ट ने इस बात को भी ध्यान में रखा है कि उत्तराखंड में अब भी 15.75 लाख मीट्रिक टन कचरा कई सालों से जमा है। जानकारी के अनुसार इस जुर्माने की राशि को राज्य में सीवेज और ठोस कचरा प्रबंधन के साधनों को सुदृढं करने के काम में लाया जाएगा।
इससे पहले 10 मई को एनजीटी ने उत्तराखंड से जुड़े एक और मामले में आदेश किये। जिसमें देहरादून और टिहरी जिले में अवैध डंपिंग स्थलों को तुरंत बंद करने को कहा गया है।
टिहरी गढ़वाल और देहरादून में अवैध डंपिंग स्थलों को तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए। देहरादून के इथरना से टिहरी के कुखाई तक बारह किमी लंबे मोटर मार्ग में अवैध डंपिंग स्थलों के मामले को केोर्ट ने गंभीरता से लिया। इन स्थानों पर डंपिंग बंद करने के साथ ही वृक्षारोपण के लिए भी कहा गया है। साथ ही भविष्य में दोबारा गैरकानूनी ढंग से डंपिंग ना किये जाने की भी सख्त हिदायत दी है।
एनजीटी ने पर्यावरणीय मानकों के लिए जरूरी शर्तों का पालन सुश्चित करने के भी निर्देश दिये। कोर्ट में रोड बनाने के दौरान जाखन नदी में अवैज्ञानिक ढंग से कचरा डंप किये जाने का भी मामला आया। उल्लेखनीय है कि गंगा की सहायक नदियों में से एक जाखन में कुछ समय पहले कचरा डंप किये जाने से शंभूवाला गांव के निकट झील बन गई थी। वहीं 27 पेड़ भी टूट गए थे। इस मामले में उत्तराखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड , डीएफओ व डीएम देहरादून की ज्वाइंट कमेटी ने 18 मार्च 2023 को रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी। जिसमें नियमों के उल्लंघन की बात स्वकार की गई थी। जिस पर पचास हजार रूपए का जुर्माना भी वसूला गया। कोर्ट ने रिपोर्ट में पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन की बात का उल्लेख होने पर इसके सुधार की कार्यवाही के लिए कहा।