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आसाराम को कुकर्मों की सजा दिलवाने वाला ‘बंदा’ अब दिखेगा पर्दे पर

– उत्तराखंड निवासी अपूर्व कार्की निर्देशित मनोज बाजपेयी अभिनीत फिल्म एक ही बंदा काफी है का ट्रैलर लांच
– आसाराम बापू के बचाव में आए देश के सबसे महंगे वकीलों के छक्के छुड़ाकर आसाराम को जेल पहुंचाने वाले वकील की कहानी

PEN POINT, DEHRADUN : कल यानि सोमवार को ‘सिर्फ एक ही बंदा काफी है’ फिल्म का ट्रैलर रीलिज हुआ। ट्रैलर रीलीज होने से पहले मनोज बाजपेयी अभिनीत इस फिल्म के बारे में अंदाजा लगाया जा रहा था कि यह एक कोर्ट ड्रामा होगा। लेकिन फिल्म ट्रैल रीलिज होने के बाद यह राज खुला कि यह दुष्कर्म के आरोपी आसाराम बापू के केस पर आधारित फिल्म है। जिसमें पीड़ित लड़की के पक्ष में केस लड़ने वाले वकील के संघर्ष व साहस की कहानी को दिखाया गया है। उत्तराखंड के नैनीताल निवासी अपूर्व कार्की निर्देशित यह फिल्म ओटीटी पर रीलिज होगी।
आसाराम बापू पर दुष्कर्म के मामले में पीड़िता के पक्ष से लड़ने वाले वकील पूनम चंद सोलंकी के किरदार को मनोज बाजपेयी एक बंदा ही काफी है फिल्म में परदे पर उतार रहे हैं। आसाराम बापू को सजा होने से पहले शायद ही राजस्थान के एक सेशन कोर्ट के वकील कोई जानता हो। उसने एक साधारण वकील होते हुए भी अदालत में राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद जैसे महंगे और दिग्गज वकीलों और सुब्रमणियन स्वामी जैसे कानूनी जानकारों के छक्के छुड़ा दिए थे। एक दर्जी परिवार में जन्मे सोलंकी के पिता रेलवे में मैकेनिक रहे हैं। वकालत शुरू करने के बाद सोलंकी को पहली बड़ी सफलता तब मिली जब उनकी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने गुलाब सागर में प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाई थी।
देश के तमाम घरों में बने मंदिरों तक अपनी पहुंच बना चुके आसाराम बापू पर आरोप लगा कि उन्होंने एक 16 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। भगवान का दर्जा पाए आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के कुकर्मों का चिट्ठा भी खुलने लगा। मामला उछला लेकिन महंगे वकीलों से घिरे आसाराम बापू को लगने लगा कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। प्रसिद्ध धर्मगुरू, जिस पर आस्था रखने वालों की संख्या करोड़ों में थी, राजनेता जिसके चरणों में बैठे रहते थे, ऐसे आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगा लेकिन कोई वकील आसाराम को उसके कर्मों की सजा देने के लिए आगे आने का साहस नहीं जुटा सका। तब पूनम चंद सोलंकी ने इस मामले में पीड़ित लड़की की ओर से पैरवी करने का फैसला लिया। पूनम सोलंकी एक इंटरव्यू में बताते हैं कि मामले से हटने के लिए उन्हें करोड़ों रूपयों का लालच दिया गया जब उन्होंने वह ऑफर ठुकराया तो जान से मारने की धमकी भी दी गई। लेकिन, पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए सोलंकी ने अपनी जान की परवाह किए बगैर आसाराम के खिलाफ न्याय की लड़ाई जारी रखी।
आसाराम बापू मामले में उसकी जमानत के लिए देश के दिग्गज वकीलों ने अदालत में जिरह की है। वहीं, सोलंकी ने पीड़िता का मुकदमा लड़ते हुए एक भी रुपये की फीस नहीं ली। हां, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आने जाने का खर्च जरूर पीड़िता के परिवार ने उन्हें दिया, वह भी जिद करके।
कानूनी दुनिया के दिग्गज माने जाने वाले वह अपने वक्त के सबसे महंगे वकील रहे राम जेठमलानी ने भी आसाराम बापू को बचाने के लिए जिरह की। राम जेठमलानी ने अदालत में इस बात पर एतराज जताया था कि पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण एफआईआर दर्ज करने से पहले ही करा लिया गया था। इस पर सोलंकी ने जेठमलानी से कहा कि या तो उन्होंने पॉस्को एक्ट के सेक्शन 27 को पढ़ा नहीं है या इस पर उन्होंने ठीक से गौर नहीं किया है। जेठमलानी ने इसके बाद ये सेक्शन पढ़ा और इसके बाद फिर कुछ नहीं बोल सके और चुपचाप निकल लिए। एक बार तो सुब्रमणियन स्वामी ने आसाराम बापू की पैरवी शुरू करने से पहले दावा किया था कि उनकी एक भी जमानत याचिका अब तक निरस्त नहीं हुई है। लेकिन, अदालत मे जिरह के दौरान जब सोलंकी ने सुप्रीम कोर्ट के एच एस रस्तोगी मामले में दिए गए फैसले का जिक्र किया तो स्वामी अवाक रह गए और स्वामी की तरफ से पेश याचिका न्यायालय ने खारिज कर दी।
आज एक जमाने का भगवान का दर्जा पाए आसाराम जेल में है तो इसके पीछे एक साधारण से वकील पूनम सिंह सोलंकी की मेहनत, संघर्ष और साहस की कहानी है। इस कहानी से दर्शक भी जल्द ही रूबरू होंगे।

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