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File photo

अतीक अहमद : 17 साल की उम्र में की पहली हत्या, इलाहबाद के डॉन को दिन दहाड़े मारा

– कुख्यात माफिया अतीक अहमद का फिल्मी स्टाइल में खात्मा, पूरी जिंदगी फिल्मी कहानी की तरह चलती रही

PEN POINT, DEHRADUN : अतीक अहमद की शनिवार देर रात फिल्मी स्टाईल में हत्या कर दी गई। उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस रिमांड में भेजे गए अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस मेडिकल के लिए लेकर जा रही थी जहां मीडियाकर्मियों के रूप में आए तीन लोगों ने अतीक अहमद और उसके भाई को गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। अतीक अहमद की मौत फिल्मी स्टाइल में हुई तो उसकी जिंदगी भी किसी आपराधिक कहानी वाली फिल्म से कम नहीं थी। तांगा चलाने वाले पिता के बेटे ने 17 साल की उम्र में ही पहली हत्या कर दी थी तो इलाहबाद में खौफ का पर्याय रहे डॉन को दिन दाहड़े चौहारे पर मौत के घाट उतार दिया था।
10 अगस्त 1962 को इलाहाबाद में अतीक अहमद का जन्म हुआ। अतीक के पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार चलाते थे। अतीक 10वीं कक्षा में फेल हो गया तो जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में वह बदमाशों की संगत में पड़कर लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने का काम शुरू कर दिया। उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। इलाहबाद के सबसे बड़े डॉन चांदबाबा पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था ऐसे में पुलिस को अतीक अहमद चांच बाबा का तोड़ दिखने लगा। वह चांदबाबा के समांतर अपना साम्राज्य चलाने लगा। लिहाजा पुलिस को जब अपना दांव उल्टा पड़ता दिखने लगा तो अतीक अहमद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने 1986 में उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, इस बीच वह अपराध के जरिए राजनीतिक लोगां के बीच भी पैठ बना चुका था, राजनीतिक दबाव के बाद पुलिस को उसे रिहा करना पड़ा। साल 1989 में अतीक अहमद ने डॉन चांद बाबा के खिलाफ इलाहबाद पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया। लिहाजा, दोनों गुटों के बीच भयंकर गैंगवार शुरू हो गया। लोगों में अतीक का भय घर कर गया था, चुनाव में उसे जीत मिली तो उसने कभी इलाहबाद में डर का पर्याय बने चांजबाबा को दिन दहाड़े चौहारे पर मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद अतीक अहमद इलाहबाद के बाहर पूर्वांचल का सबसे बड़ा माफिया बन गया। लोगों के दिलों में अतीक का खौफ ऐसा था कि उसके सामने चुनाव लड़ने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था। साल 1991 और 1993 में भी अतीक निर्दलीय चुनाव जीता। साल 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बना। साल 1999 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा और हार गया। फिर 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से पांचवीं बार विधायक बना।

21 साल पहले भी बाल बाल बचा था
अतीक अहमद 21 साल पहले भी एक हमले में बाल बाल बचा था। चर्चित गेस्ट हाउस कांड में मुख्य रूप से अतीक अहमद भी शामिल था जिसमें मायावती के साथ दुर्व्यहार किया गया था। लिहाजा, जब राज्य में बसपा सरकार बनी तो अतीक अहमद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 8 अगस्त 2002 की पेशी के लिए उसे कोर्ट ले जाया जा रहा था। इसी बीच, उसपर गोलियों और बम से हमला हो गया। इसमें अतीक घायल हो गया, लेकिन उसकी जान बच गई। तब अतीक ने बसपा सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती पर आरोप लगाया था कि वह उसे मरवाना चाहती हैं।

विधायक राजू पाल की करवाई हत्या
एक जमाने में अतीक अहमद का खास रहा राजू पाल भी एक हिस्ट्रीशीटर था। 2002 में राजू ने भी राजनीति में प्रवेश किया। 2004 में जब अतीक अहमद फूलपुर से सांसद बन गया तो इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट से उसके छोटे भाई अशरफ ने चुनाव लड़ा। अशरफ के खिलाफ बसपा ने राजू पाल को टिकट दे दिया। राजू पाल इस चुनाव में जीत गए। विधायक बनने के तीन महीने बाद 15 जनवरी 2005 में राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली। शादी के ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ का नाम सामने आया। इसके बाद हुए उपचुनाव में बसपा ने राजू की पत्नी पूजा पाल को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह हार गईं। अशरफ चुनाव जीत गया। हालांकि, 2007 में हुए चुनाव में पूजा पाल जीत गईं।

अतीक पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले
साल 2007 तक अतीक आजाद था। तब सरकार समाजवादी पार्टी की थी। लेकिन इसके बाद से उसका बुरा वक्त शुरू हो गया। साल 2007 में मायावती सत्ता में आ गईं। सत्ता जाते ही सपा ने अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। उधर, मायावती ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया। 20 हजार का इनाम रख कर अतीक को मोस्ट वांटेड घोषित किया गया। अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे केस हैं। उसके ऊपर 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी भाजपा नेता अशरफ की हत्या, 2005 में राजू पाल की हत्या का आरोप है।

अखिलेश यादव ने दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता
अतीक अहमद को मुलायम सिंह यादव का वरदहस्त प्राप्त था। 2012 का विधानसभा चुनाव भी अतीक ने लड़ा लेकिन हार गया। उसे राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के दद्दन मिश्रा से हार गया। मुलायम सिंह ने 2017 विधानसभा चुनाव के लिए अतीक को कानपुर कैंट से टिकट दिया। टिकट मिलने के बाद अतीक और उसके 60 समर्थकों पर इलाहाबाद के शियाट्स कॉलेज में तोड़फोड़ और मारपीट का आरोप लगा। वीडियो वायरल हो गया। ये मामला चल ही रहा था कि 22 दिसंबर को अतीक 500 गाड़ियों के काफिले के साथ कानपुर पहुंचा। उस वक्त अतीक का ये काफिला सुर्खियां बना था। इसी बीच पार्टी का अध्यक्ष अखिलेश यादव बने। अखिलेश यादव को अतीक की यह हरकतें नहीं सुहाती थी तो उन्होंने अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। शियाट्स कॉलेज मामले में हाईकोर्ट ने अतीक को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए। फरवरी 2017 में अतीक को गिरफ्तार कर लिया गया। हाईकोर्ट ने सारे मामलों में उसकी जमानत रद कर दी। इसके बाद से करीब छह साल से अतीक जेल में ही था।

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