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रूखी सर्दियों ने बढ़ाया बिजली संकट

– विद्युत उत्पादन के ‘आदर्श समय’ में क्षमता के मुकाबले आधे का ही हो पा रहा है उत्पादन
– गर्मी बढ़ने के साथ बढ़ने लगी है बिजली की मांग, आपूर्ति बहाल रखने में फूलने लगा है दम
PEN POINT, DEHRADUN : इस साल की सूखी सर्दियों का असर अब तापमान बढ़ने के साथ दिखने लगा है। राज्य के मैदानी इलाकों में बीता शनिवार पिछले सात सालों में सबसे गर्म दिन के तौर पर दर्ज किया गया। गर्मियों की दस्तक के साथ ही पारे में बढ़ोत्तरी के साथ बिजली की मांग भी बढ़ने लगी है लेकिन इस बार की सूर्खी सर्दियों के चलते बिजली आपूर्ति करने में यूपीसीएल का दम फूलने लगा है। असल में सर्दियों के दौरान औसत से भी कम बर्फवारी के चलते विद्युत उत्पादन के लिए ‘आदर्श समय’ माने जाने वाले इस समय में पिछले सालों के मुकाबले राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन आधे के करीब पहुंच गया है। लिहाजा, अब यूपीसीएल को बाजार से बिजली जुटाकर आपूर्ति बनाए रखने की चुनौती से दो चार होना पड़ रहा है। यह हाल भी तब जब गर्मियों की बस दस्तक भर हुई है, अभी प्रचंड गर्मी के आठ से दस हफ्ते बाकी है।
अप्रैल महीने के दूसरे पखवाड़े से लेकर जून पहले सप्ताह तक को उत्तराखंड राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं के लिए ‘पीक सीजन’ होता है। सर्दियों के दौरान खूब बर्फवारी के बाद जब अप्रैल महीने में पारे में बढ़ोत्तरी शुरू होने से ग्लेशियर पिघलने शुरू होते हैं तो नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी शुरू हो जाती है। सिल्ट रहित पानी में बढ़ोत्तरी के चलते जल विद्युत परियोजनाओं की टरबाईनों को भी बिना मुश्किल के बिजली उत्पादन में मदद मिलती है। बीते सालों तक इस दौरान 15 मिलियन यूनिट यानि कि करीब डेढ़ करोड़ यूनिट प्रति दिन का उत्पादन होता था। जो राज्य की जरूरत का एक तिहाई हिस्सा पूरा कर देता था। लेकिन, इस साल सर्दियों में औसत से कम बर्फ गिरी लिहाजा गर्मियों की दस्तक के बावजूद नदियों के जलस्तर में कोई बढ़ोत्तरी दर्ज नहीं की जा रही है। ग्लेशियरों के कम बनने, ऊंचाईं वाले इलाकों में बर्फ न होने से नदियों के जलस्तर में मामूली ही बढ़ोत्तरी हुई है जिसके बाद इस आदर्श समय में भी पिछले साल के डेढ़ करोड़ यूनिट के मुकाबले इस बार 70 से 80 लाख यूनिट यानि 7 से 8 यूनिट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। वहीं, गर्मी बढ़ने के साथ ही हर दिन करीब चार करोड़ यूनिट यानि 40 मिलियन यूनिट की जरूरत राज्य को पढ़ रही है। जबकि, राज्य के पास जल विद्युत परियोजनाओं के साथ ही केंद्र से मिलने वाले अंश के रूप में 32 मिलियन यूनिट बिजली ही उपलब्ध है। लिहाजा मांग के अनुरूप करीब एक करोड़ यूनिट बिजली को बाजार से खरीदना पड़ रहा है, वहीं पीक आवर में बाजार से बिजली खरीदने के लिए यूपीसीएल को दस रूपए प्रति यूनिट तक खर्च करना पड़ता है। ऐसे में आने वाले दिनों में अगर बिजली आपूर्ति में लंबी लंबी कटौती देखने को मिले तो यूपीसीएल को कोसने के साथ साथ पसीने से लथपथ मौसम के बदलते हालातों के बारे में जरूर सोचने का समय निकाले।

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