दीपावली की छुट्टी और राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व
PEN POINT, DEHRADUN : शिक्षा जीवन का आधार है इसके बिना मानव जीवन अर्थ हीन व दिशाहीन हो जाता है। किसी भी व्यक्ति या समाज के लिए शिक्षा का बेहद खास महत्व है। शिक्षा से ही मनुष्य अपने जीवन मे आगे बढ़ता है। इससे सही गलत में अंतर करने की क्षमता का विकास होता है।
शिक्षा के व्यवस्थित प्रक्रिया के जरिए एक बच्चा या वयस्क ज्ञान, अनुभव, कौशल और बेहतरीन नजरिया हासिल करता है। यह लोगों को सभ्य बनाती है। एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए शिक्षा ही एकमात्र साधन है, इसके बिना कोई इंसान या समाज पूर्ण नहीं बन सकता।
शिक्षा के महत्व को समझना आज के दिन के लिए भारतीयों के लिए बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि आज के ही दिन भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हालांकि आज दीपावली के अवसर देशभर में तामाम शिक्षण संस्थानों में अवकाश है। लेकिन उस महान सख्शियत पर चर्चा तो होनी चाहिए।
देश नया नया आजाद हुआ था, इस स्वतंत्र हुए मुल्क में एक निर्वाचित सरकार आई थी। देश के सामने बहुत सारी चुनौतियाँ कड़ी थी। देश की पहली सरकार ने देश के कुशल भविष्य के लिए सबसे जरूरी जिस विषय को समझा, वह थी देश में शिक्षा की मजबूत आधारशिला कैसे राखी जाए। इसका जिम्मा डाला मौलाना अबुल कलाम आजाद के कन्धों पर। वे देश के पहले शिक्षा मंत्री बनाए गए। देश में मजबूत शिक्षा के लिए कई बड़े फैसले लिए, जिनमें उनकी एक ही सोच केंद्रित थी कि देश के हर वर्ग तक शिक्षा की लहर पहुंचे। उन्होंने तय किया की हम सबके लिए सबसे जरूरी ये है कि हम सब “शिक्षा को प्राथमिकता दें”। शिक्षा मंत्री बनने से पहले, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने क्रूर ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वे कहा करते थे कि शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है और समाज में एक अहम् सदस्य और एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को जरूरी ज्ञान और उसे कुशल बनती है।
शायद वे ये बेहतर ढंग से जानते थे कि अशिक्षा की वजह से भारत ने इतिहास में बहुत सारे दंश झेले थे। क्योंकि समझते थे कि भारत में शिक्षा का बहुत महत्व है, क्योंकि शिक्षा समाज के सभी क्षेत्रों में प्रगति का जरिया होती है। शिक्षित लोग देश और समाज में समृद्धि, विकास, और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। वे चाहते थे कि भारत के लोग इतिहास के काले अध्यायों से सीख लेकर शिक्षा की डोर को थामें और ज्ञान, उदारता, समझदारी, और सोचने की क्षमता को बढ़ाएं। जो भारत के समृद्धि और सामाजिक विकास के लिए सबसे जरूरी है।
इसी से देश की भावी पीढ़ी की रुचियों का विकास होगा उनमें अच्छी आदतें आनी शुरू होंगी, उनकी विचार शक्ति का विकसित और मजबूत होगी। मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 में हुआ था। वे समकालीन भारतीय विद्वान में शामित थे और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं में शामिल रहे।
उन्होंने देश की आजादी के बाद शिक्षा के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने व इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। गौरतलब है कि साल 2008 में मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट ने 11 नवंबर को नेशनल एजुकेशन डे के रूप में घोषित कर किया। अबुल कलाम आजाद ने देश में उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अध्ययन की नींव रखी और भारत की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का काम किया।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस बेहद खास दिन है, जिसके जरिये शिक्षा के महत्व को याद किया जाता है। तमाम विद्वानों का मानना है कि शिक्षा एक शक्तिशाली जरिया है। जिसके माध्यम से इंसानी जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। यह हमें नॉलेज, स्किल और क्षमतावान बनाता है। जिससे व्यक्ति या समाज, देश अपने लक्ष्यों को हासिल करने और दुनिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।