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पड़ताल: कौन है उद्यान विभाग में करोड़ों के घोटाले का आरोपी हरमिंदर बावेजा

Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड में इन दिनों उद्यान घोटाले की चर्चा है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैं राज्य के उद्यान निदेशक रहे हरमिंदर बवेजा। उन पर लगे आरोपों की एक बानगी ये है कि उन्होंने कीवी की 35 रूपए की एक पौध को 275 रूपए की दर से खरीदा और ऐसे 7700 पौधों की बिना निविदा के खरीद कर डाली। इसी तरह हल्दी व अदरक के बीजों को भी जानबूझ कर महंगे दामों पर खरीदा गया। ऐसे कारनामों की लंबी फेहरिस्त है और घोटाले की रकम सौ करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। यही वजह है कि बागवानी से जुड़े लोग बवेजा के रवैये को लेकर लगातार शिकायतें कर रहे थे। लेकिन राज्य के ही कुछ नेताओं और अफसरों की उस पर मेहरबानी बनी रही। एक जनहित याचिका के जरिये मामला जब हाईकोर्ट के संज्ञान में आया तो कोर्ट ने सरकार से मामले की जांच करने को कहा। सरकार ने इस साल जून माह में बावेजा को सस्पेंड करने के साथ ही एसआईटी की जांच शुरू करवा दी थी। लेकिन हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एसआईटी की जांच पर सवाल खड़े हो गए। जिस पर कोर्ट ने कड़ा रूख दिखाते हुए बीते शुक्रवार को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दे दिये। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद बावेजा और ज्यादा चर्चा में आ गए तो उनके खासमखास नेता अफसरों में हड़कंप मचा है।

हरिमंदर सिंह बावेजा को उत्तराखंड में बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ था। 2021 में हिमांचल प्रदेश से उत्तराखंड में उन्हें प्रति नियुक्ति पर लाया गया। तब सुबोध उनियाल राज्य के उद्यान मंत्री थे। खास बात ये है कि बावेजा हिमांचल में भी विवादित रहा और उन पर मुकदमे भी दर्ज हुए, इसके बावजूद उन्हें उत्तराखंड में उद्यान महकमे का निदेशक बनाया गया। बावेजा के इतिहास के बारे में उद्यान विभाग हिमांचल से जो जानकारी मिली उसके मुताबिक वह डॉ वाईएस परमार यूनिवर्सिटी सोलन में फ़्लोरी कल्चर के प्रोफेसर रहे। वहां इनका ग्रेड पे 10000 था जबकि उत्तराखंड में उद्यान डायरेक्टर का ग्रेड पे उत्तराखंड में 8900 था, हालांकि यह समय के साथ सरकारें बढ़ाती हैं। वहीं बावेजा हिमाचल में कृषि विभाग के तहत हिमांचल प्रदेश स्टेट ऐग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड में करीब 5 साल डेपुटेशन पर एमडी के पद पर रहे। इसके अलावा हिमांचल प्रदेश उद्यान निदेशक की भी जिम्मेदारी उन्हें दी गई। बताया जाता है कि वहां उन्होंने कई गड़बड़ियों को अंजाम दिया और विवादों में आ गए।

साल 2021 में बावेजा को उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति मिली। एक साल में ही फ्लोरीकल्चर के इस प्रोफेसर ने ऐसे गुल खिलाए कि सब सकते में आ गए। नियमों को दरकिनार करने के साथ ही वो कागजों में विभाग की तरक्की के फर्जी आंकड़े पेश करते रहे। जबकि धरातल पर बागवानी की योजनाओं को जमकर चूना लगाया जा रहा था। ऐसे में काश्तकार परेशान हुए तो उन्होंने इसकी शिकायतें शुरू कर दी। जिसका संज्ञान लेते हुए कृषि मंत्री गणेश जोशी ने जांच के आदेश दिये और पंद्रह दिनों में रिपोर्ट देने को कहा। लेकिन मंत्री शायद अपनी बात का फॉलोअप लेना भूल गए और बावेजा की मनमानियां जारी रही।

दूसरी ओर विभागीय कर्मचारी भी बावेजा के खिलाफ खड़े हो गए। पिछले साल अक्टूबर में उद्यान विभाग के कर्मचारियों ने कृषि सचिव को इस बारे में पत्र भी लिखा। जिसमें कहा गया था कि निदेशक हरिमंदर सिंह बवेजा द्वारा विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर नियमों के विपरीत जाकर काम करने का दबाव बनाया जा रहा है। जिससे विभाग में भारी अव्यवस्थाएं फैल गई हैं और इसका विपरीत असर किसानों पर भी पड़ रहा है। निदेशक की विकृत कार्यशैली के कारण विभाग के कर्मचारी और अधिकारी काम करने में असहज महसूस कर रहे हैं। इसलिए बवेजा के पद पर रहने की स्थिति में उनके साथ अधिकारियों का काम कर पाना संभव नहीं है। खास बात ये है कि इस चिट्ठी को लिखने वालों में अपर उद्यान निदेशक और कई जिलों के उद्यान अधिकारी भी शामिल हैं।

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