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नए उद्योगों के लिए जमीन नहीं पर देश विदेश से निवेशकों को बुलाने की तैयारी

– राज्य में दिसंबर महीने में प्रस्तावित है निवेशक सम्मेलन, राज्य सरकार अमेरिका, कनाडा समेत मीडिल ईस्ट देशों में रोड शो कर बुलाएगी निवेशकों को
– जबकि, राज्य में औद्योगिक क्षेत्रों में नए उद्यम स्थापित करने के लिए नहीं बची है जमीन, देहरादून में एक इंच भी औद्योगिक भूमि नहीं बची, कहां करेंगे निवेश
PEN POINT, DEHRADUN : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस साल के आखिर में यानि दिसंबर महीने में राज्य में एक भव्य निवेशक सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं। इस सम्मेलन के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार सितंबर महीने से अमेरिका, कनाडा समेत प्रमुख मध्य पूर्वी देशों में रोड शो का आयोजन भी करेगी। हालांकि, राज्य में निवेशक सम्मेलन से पहले यह जानना भी जरूरी है कि अगर सरकार की उम्मीदों के मुताबिक देश विदेश से निवेशक राज्य में उद्यम स्थापित करने के लिए निवेश करने पहुंचेंगे तो उद्यम स्थापित कहां करेंगे यह सवाल इन दिनों राज्य के औद्योगिक गलियारों में जरूर घूम रहा है। राज्य में राज्य सरकार द्वारा स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में नाम मात्र की जमीन बची हुई है जबकि राज्य सरकार की ओर से नए औद्योगिक क्षेत्रों का निर्माण तो नहीं किया गया है बल्कि अब निजी निवेशकों से ही निजी औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण की अपेक्षा कर रही है। ऐसे में भारी भरकम निवेश की उम्मीदों के साथ दिसंबर में प्रस्तावित निवेशक सम्मेलन आधी अधूरी तैयारियों के साथ किया जाने वाला ‘इवेंट’ न बन जाए।
राज्य सरकार सितंबर महीने से अमेरिका, कनाडा, बहरीन, दुबई, अबूधाबी समेत कई विदेशी शहरों के साथ ही भारत के मुंबई, बंगलुरू, चैन्नई, अहमदाबाद, दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में रोड शो करेगा। इस रोड शो के जरिए उत्तराखंड सरकार देश विदेश के निवेशकों को दिसंबर महीने में प्रस्तावित निवेशक सम्मेलन ‘इन्वेस्टर मीट’ के लिए उत्तराखंड आमंत्रित करेगा। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जबकि राज्य सरकार ‘निवेशकों को आकर्षित’ करने के लिए इतना बड़ा ताम झाम जुटा रही है। 2018 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी डेस्टिनेशन उत्तराखंड नाम से निवेशक सम्मेलन का आयोजन करवाया था, देश विदेश में इसका खूब प्रचार प्रसार किया गया। निवेशक सम्मेलन का आयोजन हुआ तो दावा किया गया कि इस सम्मेलन में 1 लाख 24 हजार करोड़ रूपए के निवेश के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। यानि, इस सम्मेलन के मुताबिक राज्य में 601 नए निवेश होने थे। हालांकि, छह साल बाद इन एमओयू का हाल यह है कि केवल बीस से 25 फीसदी प्रस्तावों पर ही आगे बात बढ़ सकी।

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साल 2018 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी निवेशक सम्मेलन के नाम पर देश के प्रमुख शहरों में रोड शो किए थे। दावा किया गया था कि इस सम्मेलन में एक लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश के एमओयू हुए।

हालांकि, राज्य सरकार की इस महा निवेशक सम्मेलन की योजना की राह का सबसे बड़ा रोड़ा राज्य में औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि की शून्य उपलब्धता भी है। राज्य में देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, कोटद्वार में सिडकुल की ओर से सात जगहों पर 7,939 हेक्टेयर भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए गए हैं। जिनमें वर्तमान में 290 के करीब उद्योग स्थापित है। इन औद्योगिक क्षेत्रों में केवल 413 एकड़ भूमि ही उद्योग स्थापना के लिए खाली है जबकि निवेशकों की सबसे पहली पसंद हरिद्वार और देहरादून स्थित औद्योगिक क्षेत्रों में केवल 1 एकड़ भूमि उपलब्ध है। बाकी सभी भूमि पर फिलहाल उद्योग स्थापित है। लिहाजा, ऐसे में नए उद्योगों की स्थापना के लिए आने वाला निवेश कहां धरातल पर उतरेगा यह भी एक बड़ी चुनौती रहेगी।
वहीं, सरकार ने भी फिलहाल नए औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित करने की बजाए निजी क्षेत्रों से अपील की है कि वह नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करें जहां नए उद्यम स्थापित किए जा सकें।
इंड्रीस्ट्ज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता एक साक्षात्कार में स्वीकार करते हैं कि राज्य में जमीन उपलब्ध न होने से ज्यादातर निवेशक वापिस लौट रहे हैं। वह बताते हैं कि ज्यादातर निवेशकों को उद्यम स्थापित करने के लिए हरिद्वार या देहरादून स्थित क्षेत्र चाहिए लेकिन यहां उन्हें औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि नहीं मिल रही है। वह बताते हैं कि सरकार को खुद हरिद्वार और देहरादून में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने होंगे जिससे निवेशक वापिस न लौटे।

पहाड़ों में निवेश की राह में विरोध प्रदर्शनों का रोड़ा
राज्य गठन के बाद उद्योग और निवेश सिर्फ मैदानी क्षेत्रों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। राज्य में सरकारों ने भले ही अलग अलग पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए हो लेकिन निवेशकों ने इन औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश कर उद्यम स्थापित करने की तरफ रूचि नहीं दिखाई। पर्वतीय क्षेत्रों में महंगे परिहवन, कमजोर कनेक्टिविटी के चलते राज्य में आने वाले निवेशक मैदानों में ही सीमित रह गए। वहीं, दूसरी ओर राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन, फल प्रसंस्करण जैसे उद्यमों में निवेश की संभावनाएं थी लेकिन फिलहाल राज्य में बाहरी उद्यमियों को पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि उपलब्ध करवाने को लेकर लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद उद्यमी भी इस पर्यटन और फल संस्करण को लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश को लेकर ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं। बीते सालों में देवप्रयाग के समीप एक कंपनी की ओर से बॉटलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए निवेश करने की योजना बनाई गई थी लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के बाद कंपनी को इस बॉटलिंग प्लांट की योजना को वापिस लेना पड़ा था।

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एक लाख से ज्यादा लोगों मिल रहा है रोजगार
राज्य गठन के बाद प्रदेश में उद्यम स्थापित करने के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 2003-04 में विशेष औद्योगिक पैकेज दिया गया था, जिसमें निवेशकों को तमाम तरह की सब्सिडी सुविधाएं दी गई तो कई बड़े छोटे उद्योगपति अपने उद्यम स्थापित करने उत्तराखंड पहुंचे। कुछ तो विशेष औद्योगिक पैकेज की अवधि खत्म होते ही लौट गए लेकिन ज्यादातर उद्योग यहां से संचालित होते रहे। राज्य गठन से पहले जहां राज्य में कुल 40 के करीब उद्योग स्थापित थे जिनसे 30 हजार के करीब लोगों को रोजगार मिल रहा था तो राज्य गठन के बाद अब तक राज्य में 290 उद्योग स्थापित हुए हैं, जिनमें 37957 करोड़ रूपए का निवेश हुआ है। इन उद्यमों की बदौलत राज्य में करीब सवा एक लाख के करीब लोगों को रोजगार मिला है।

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