क्या मुख्यमंत्री धामी नहीं कर पा रहे हैं किसी पर भरोसा
– मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी पारी के दो साल पूरे होने वाले हैं लेकिन अब तक नहीं किया निजी स्टाफ की नियुक्ति, सरकारी अधिकारियों के भरोसे ही चला रहे हैं राज काज
PEN POINT, DEHRADUN : 2021 में जब तीरथ सिंह रावत को चार महीने से कुछ पहले के ही कार्यकाल से हटाकर युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंपी गई थी तो उन्होंने अपने कार्यालय में एक जंबो टीम की भी नियुक्ति की। अपने बेहद खास लोगों को कैंट स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई। साल भर से भी कम समय के अपने पहले सफल कार्यकाल के बाद विधानसभा चुनाव हुए, भाजपा को प्रचंड बहुमत तो मिला लेकिन मुख्यमंत्री धामी अपनी सीट नहीं बचा सके। हालांकि, उनकी हार का खास असर नहीं पड़ा और नरेंद्र मोदी- अमित शाह ने फिर से राज्य की कमान पुष्कर सिंह धामी को ही सौंप दी। लेकिन, अपने दूसरे कार्यकाल में पुष्कर सिंह धामी पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे हैं। उनके दूसरे कार्यकाल को दो साल का समय होने को है लेकिन अब तक मुख्यमंत्री अपनी टीम नहीं बना सके हैं। राजनीति से जुड़े लोग इसे पुष्कर सिंह धामी में अपने लोगों के प्रति अविश्वास भी बता रहे हैं तो साथ ही उनके पिछले कार्यकाल में उनकी टीम के लोगों पर लगे आरोपों के चलते भी वह अपनी टीम के विस्तार से बच रहे हैं। फिलहाल पुष्कर सिंह धामी सरकारी अधिकारियों के जरिए ही अपने रोजमर्रा के कार्यों के साथ ही पार्टी संगठन के साथ समन्वय बनाने का काम कर रहे हैं। यह बात भी दीगर है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद भी मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी के पीआरओ रहे थे।
मुख्यमंत्री को राज काज चलाने के लिए अधिकारियों की भारी भरकम टीम मिलती है, लेकिन इसके बावजूद एक प्रथा है कि मुख्यमंत्री अपने काम काज और कार्यकर्ताओं तक आसान पहुंच के लिए अपने पसंदीदा लोगों की भी टीम बनाता है जो ओएसडी, पीआरओ, सलाहकार, मीडिया समन्वयक समेत कई पदों पर नियुक्त किए जाते हैं। उत्तराखंड में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री रहे, सरकारी अधिकारियों की भारी भरकम टीम के साथ ही उन्होंने अपने पसंदीदा व विश्वासपात्र लोगों की एक जंबो टीम मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात की है, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फिलहाल ऐसी टीम की तैनाती से दूर खड़े हैं। हालांकि, अपने छोटे से पहले कार्यकाल में उन्होंने अपनी टीम को मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात किया था लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी दूसरी बार संभालने के बाद दो साल होने को है लेकिन उनकी पुरानी टीम को अभी भी इंतजार है कि मुख्यमंत्री उन्हें वापिस मुख्यमंत्री कार्यालय का बुलावा आए तो वह फिर से अपने काम में मुस्तैद हो जाएं। आखिर क्या कारण है कि अब तक चली आ रही प्रथा के विपरित मुख्यमंत्री अपनी निजी टीम बनाने बचते आ रहे हैं और अपने कार्यकाल के पौने दो साल से अधिक का समय बीतने के बाद भी अपने खास लोगों को सीएमओ में तैनात नहीं किया है।
बीते साल जब मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी ने पद संभाला तो अपने खास लोगों की जंबों टीम सीएमओ में तैनात की, ऐसा नहीं था कि सब लोग पुष्कर सिंह धामी की पसंद के थे, टीम के कुछ सदस्य मुख्यमंत्री की नापसंद के बावजूद हाईकमान और धामी के राजनीतिक गुरू भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश में मुख्यमंत्री की टीम में जगह पा गए। लेकिन, बहुत जल्दी ही मुख्यमंत्री की यह टीम ही मुख्यमंत्री की साख के लिए मुसीबत बनने लगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह अधिकारी की ओर से जनसंपर्क अधिकारी पद पर तैनात किए गए नंदन सिंह बिष्ट ने जब पुलिस अधीक्षक बागेश्वर द्वारा अवैध खनन में लगे तीन वाहनों के काटे गए चालान को निरस्त करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से आधिकारिक पत्र भेज दिया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तो मुख्यमंत्री की खूब किरकिरी हुई थी। मीडिया और सोशल मीडिया में वायरल इस पत्र के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पीआरओ नदंन सिंह बिष्ट को तो हटा दिया लेकिन इसके बाद ऐसे कई मामले सामने आए जब उनकी टीम की ओर से किए गए कार्यों ने उनकी छवि के लिए मुसीबत पैदा कर दी।
हाल ही में पुष्कर सिंह धामी के पिछले कार्यकाल के दौरान उनकी टीम से जुड़े सदस्यों द्वारा करोड़ों रूपए लेकर सरकारी काम दिलवाने के मामले दर्ज हुए। आरोप था कि मुख्यमंत्री के पूर्व पीएस प्रकाश चंद्र उपाध्याय ने पंजाब के कारोबारियों से सरकारी टैंडर दिलवाने के लिए करोड़ों रूपए लिए थे।
सब कुछ अस्थाई व्यवस्थाओं के भरोसे ही तो चल रहा है: मैखुरी
CPI ML नेता इंद्रेश मैखुरी मुख्यमंत्री द्वारा निजी स्टॉफ की नियुक्ति न करने पर कहते हैं कि यह गंभीर मामला है कि प्रंचड बहुमत के बावजूद दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर पुष्कर सिंह धामी को ऐसे भरोसेमंद लोग नहीं मिल पा रहे हैं जिन्हें वह निजी टीम का हिस्सा बना सके। इंद्रेश मैखुरी कहते हैं भले ही राज्य में भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत के साथ है लेकिन सब कुछ अस्थाई व्यवस्थाओं के भरोसे ही चलाया जा रहा है। मुख्य सचिव छह महीने के सेवा विस्तार पर काम कर रहा है, पुलिस विभाग को मुखिया के तौर पर कार्यकारी डीजीपी मिला हुआ है, मंत्रीमंडल में दो साल से पद खाली पड़े हैं। ऐसे में साफ है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद फैसले नहीं ले पा रहे हैं और हाईकमान से मिलने वाले निर्देशों के चलते स्थाई व्यवस्था नहीं बना पा रहे हैं।