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लोक तंत्र : क्या ये विपक्ष के सांसदों और विधायकों को निलंबित कर बहुमत और विधेयक पास करने की नयी सियासी रवायत है ?

PEN POINT, DEHRADUN : हिमाचल में राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की जीत के बाद उपजे हालातों और कांग्रेस के 6 विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने से हिमाचल की सियासत से नयी खबरें सामने आ रही हैं। गुरूवार को बड़ा फैसला लेते हुए हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बड़ी कार्रवाई कर दी है।

देश भर में जिस तरह का सियासी माहौल पिछले कुछ सालों से लगातार देखने को मिल रहा है। ऐसे में ये सब नित नए रूपों में होता दिखाई देता रहेगा। कभी भी किसी तरह की नई सियासी तस्वीर बनती और बिगडती हुई देश के लोगों के सामने आती रहेगी। शायद वक्त के साथ लोग इसके आदि होते रहेंगे। बुधवार को जिस तरह से हिमाचल की सुक्खू सरकार ने अपना बजट पारित कर परोक्ष तौर पर बहुमत साबित किया। इससे पहले बीजेपी के विधायकों को बड़ी संख्या में निलंबित किया गया। यह ठीक वैसा ही है जैसा लोक सभा और राज्यसभा में कुछ समय पहले देखने को मिला था। जब कई विपक्षी सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया और इसी बीच कई विधेयक बिना चर्चा के पारित कर दिए गए।

ऐसे में अब देश में विपक्षी पार्टियों वाली राज्य सरकारें इसे रोल मॉडल की तरह लेकर इस्तेमाल करने लगी हैं। हिमाचल की इस घटना को बीजेपी ने लोकतंत्र पर हमला करार देने की कोशिश की, लेकिन वह भूल गयी कि यह सब उसी सियासी मॉडल का हिस्सा है, जिसे कल तक वह अपना मास्टर स्ट्रोक बताते हुए नहीं थकती थी।

आज फिर एक बार हिमाचल से ऐसी खबर सामने आई है। राज्य सभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के सभी 6 पार्टी बागी विधायकों की दलबदल कानून के तहत विधानसभा की सदस्यता ख़त्म कर दी गयी है। इस पूरे मामले में स्पीकर के सामने संसदीय कार्य मंत्री ने दल-बदल कानून के तहत याचिका दायर की थी।

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास बहुमत होने के बावजूद राज्यसभा की सीट भाजपा की झोली में जाने से सियासी घमासान मचा है। कांग्रेस के बागी विधायकों पर बड़ी कार्रवाई हुई है। सभी छह बागी विधायक अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं।
कांग्रेस के छह बागी विधायकों के भविष्य पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने फैसला सुना दिया है। कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी।

दरअसल, स्पीकर ने कल दोनों पक्षों को सुना था। आज स्पीकर ने फैसला सुनाने के बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बताया कि दलबदल विरोधी कानून के तहत छह विधायकों के खिलाफ मुझे याचिका मिली थी। छह विधायक जिन्होंने चुनाव कांग्रेस से लड़ा और दलबदल विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ याचिका मिली। मैंने अपने 30 पेज के आदेश में काफी विस्तार से इसकी जानकारी दी है। मैंने उन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है, अब वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं है।

बागी विधायकों पर आरोप है कि भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी के पक्ष में व्हिप जारी होने के बावजूद वोटिंग की। इसके अलावा बजट पारित करने के दौरान व्हिप जारी होने के बावजूद ये सदन से गैर हाजिर रहे। बागी हुए कांग्रेस विधायकों में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, देवेंद्र कुमार भुट्टो, इंद्रदत्त लखनपाल और चैतन्य शर्मा के नाम शामिल हैं।

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