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इस्लामिक देशों ने कश्मीर में जी-20 की बैठक से किया किनारा

-जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में सोमवार से शुरू हुई जी 20 की बैठक, इस्लामिक देशों और चीन ने नहीं लिया हिस्सा
PEN POINT, DEHRADUN : जम्मू कश्मीर में  दुनिया के जी 20 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का जमावड़ा जुटा है। इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है और जी-20 टूरिज्म वर्किंग कमेटी की बैठक सोमवार से श्रीनगर में शुरू हो चुकी है लेकिन इस बैठक में मुस्लिम बाहुल्य सदस्य देशों के साथ ही चीन ने भी किनारा किया हुआ है। चीन और पाकिस्तान की ओर से पहले ही श्रीनगर में आयोजित होने वाली इस बैठक में शामिल न होने की बात कही गई थी लेकिन एन वक्त पर सउदी अरब, तुर्किए, मिस्त्र, इंडोनेशिया ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ़्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका, यूरोपीय संघ जी-20 के सदस्य देश हैं। इस साल भारत को जी-20 की मेजबानी मिली है। भारत ने टूरिज्म वर्किंग कमेटी की बैठक कश्मीर में प्रस्तावित की थी। जिसके बाद पाकिस्तान ने इस फैसले का विरोध किया था। पाकिस्तान का दावा था कि कश्मीर एक विवादित भूमि क्षेत्र है और यहां ऐसे किसी भी आयोजन की अनुमति नहीं होनी चाहिए जो इसके अस्तित्व को एक तरफा कर दे। साल 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था तथा राज्य को दो हिस्सों में बांट कर इसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया। इसके बाद से ही पाकिस्तान समेत तुर्की भी भारत सरकार के फैसले को मुस्लिमों के खिलाफ बताता रहा है। जी 20 की बैठक जब श्रीनगर में प्रस्तावित हुई तो पाकिस्तान की ओर से इसका तीखा विरोध भी किया गया। पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने कश्मीर को एक ’विवादित क्षेत्र’ क़रार देते हुए श्रीनगर में होने वाली बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा था, “चीन विवादित क्षेत्रों में किसी भी रूप में जी-20 बैठक आयोजित करने का दृढ़ता से विरोध करता है और ऐसी बैठकों में शामिल नहीं होगा।“
हालांकि बैठक से पहले सऊदी अरब और तुर्की की तरफ़ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन दोनों ने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है। वहीं, इंडोनेशिया ने भी बैठक में बस सांकेतिक रूप से हिस्सेदारी ली। जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया था तो पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए तुर्किए ने विरोध किया था। तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का पाकिस्तान के साथ बहुत पुराना और गहरा रिश्ता है। इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी में भी तुर्की कश्मीर के मामले में पाकिस्तान की नीतियों का समर्थन करता है ऐसे में उसका बैठक में शामिल न होना पाकिस्तान के साथ खड़ा होना माना जा रहा है। हालांकि, बैठक में आमंत्रित किए जाने के बावजूद मिस्त्र की ओर से आखिरी मौके पर इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया गया। तो जी-20 के सदस्य सऊदी अरब ने कश्मीर के हालातों को देखते हुए खुद को मुस्लिम दुनिया के साथ जोड़े रखने के लिए बैठक में हिस्सा लेने का फैसला वापिस लिया।
हालांकि, श्रीनगर में जी-20 की टूरिज्म वर्किंग कमेटी की बैठक में अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ विशेष आमंत्रित देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेकर दुनिया भर के उन देशों को जरूर संदेश दे दिया जो आज भी कश्मीर को विवादित क्षेत्र मानते हैं। कश्मीर में किसी तरह का अंतरराष्ट्रीय आयोजन लंबे समय बाद हो रहा है। तो वहीं, अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद पहली बार कश्मीर की धरती पर इतना बड़ा व महत्वपूर्ण जमावड़ा जुटा है।

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