Search for:
  • Home/
  • ताजा खबर/
  • अंगदान करने वालों का राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

अंगदान करने वालों का राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

– तमिलनाडु सरकार का ‘अंगदान’ करने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए लिया फैसला, फिलहाल तमिलनाडु अंगदान में सबसे आगे
PEN POINT, DEHRADUN : तमिलनाडु सरकार अंगदान करने वाले लोगों का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करेगी। देश में अंगदान करने वालों की कमी को देखते हुए लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करने के लिए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की इस योजना में अंगदान करने वाले मृतकों को राज्य सम्मान के लिए आखिरी विदाई दी जाएगी।
भारत में अंगदान यानि आर्गन डोनेशन की स्थिति दुनिया के सबसे खराब देशों में है। जबकि एक मृत व्यक्ति के अंगदान से करीब 8 लोगों की जान बचाई जा सकती है। यहां हर दस लाख लोगों में अंगदान करने वालों की संख्या एक से भी कम है जबकि अन्य देशों में हर दस लाख लोगों में यह संख्या 40 से भी ज्यादा है। जीवित रहते हुए अपनी मृत्यु पर अपने अंगदान का फैसला या मौत होने पर परिजनों द्वारा मृतक के अंगदान करने की अनुमति को लेकर भारत की स्थिति बेहतर नहीं है। अंगदान को लेकर भारतीयों की कम दिलचस्पी के पीछे विशेषज्ञ यहां पुर्नजन्म जैसी धारणा पर विश्वास बताते हैं। आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश होने जा रहे भारत में हर दिन 20 लोग जरूरी ऑर्गन न मिलने पर जान गंवाते हैं। भारत में अंगदान में कम रूचि के चलते लाखों मरीज जरूरी आर्गन न मिलने के चलते अस्पतालों के आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो भारत में जितनी संख्या में मरीजों को जरूरी अंगों की जरूरत है इस लिहाज से यहां आर्गन डानर यानि अंगदान के लिए हर दस लाख लोगों पर 65 अंगदान करने वालों की जरूरत है।
साल 2022 के आंकड़ों की ही माने तो देश में 1589 किडनी प्रत्यारोपण, 761 लीवर प्रत्यारोपण और 250 ह्दय प्रत्यारोपण ही हो सके क्योंकि बीते साल देश में 16 हजार के करीब मृतकों के अंगदान किए जा सके। हालांकि, जीवित व्यक्तियों द्वारा किडनी दान करने की संख्या में बीते सालों के मुकाबले बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। बीते साल करीब 9834 जीवित लोगों द्वारा अपनी किडनी दान की गई।
भारतीयों में अंगदान को लेकर कम रूचि होने के जरूरी अंगों का इंतजार कर रहे मरीजों की इंतजार सूची में हर दस में एक मरीज शामिल हो जाता है। इस लिहाज से जरूरी अंगों के लिए इंतजार कर रहे मरीजों की प्रतीक्षा सूची हर दिन लंबी हो रही है, जबकि उसके सापेक्ष अंगदान करने वालों की संख्या बेहद कम है। हालांकि, बीते सालों में सरकार ने भी अंगदान की शर्तों में राहत देते हुए अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित करने काम किया है लेकिन उससे अंगदान को लेकर बेहद मामूली बदलाव ही देखने को मिला है।
देश में अंगदान को लेकर सबसे बेहतर स्थिति तमिलनाडु राज्य की है। आंकड़ों की माने तो अकेले तमिलनाडु में हर साल 80 हजार के करीब कार्निया दान कर अंधे लोगों के जीवन में मृतक रोशनी फैला रहे हैं।
ऐसे में अंगदान का फैसला करने वाले लोगों के निधन पर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से करने का तमिलनाडु का यह फैसला राज्य में लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करेगा।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required