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बागेश्वर में फिर खिला कमल, हाथ को लगा झटका

Pen Point, Dehradun : बागेश्वर उपचुनाव में आखिर भाजपा का कमल खिल ही गया। भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास ने 2405 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार को हरा दिया। शुरूआती दौर में दोनों प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर चल रही थी। पहले दो राउंड में जहां कांग्रेस प्रत्याशी आगे चल रहे थे। वहीं तीसरे राउंड में भाजपा प्रत्याशी ने महज एक वोट की बढ़त बनाई थी। हालांकि उसके यह बढ़त और ज्यादा हो गई, और भाजपा प्रत्याशी की अंत तक कांग्रेस प्रत्याशी से नजदीकी बढ़त बनी रही। इसके साथ ही भाजपा ने चंपावत के बाद लगातार दूसरे उपचुनाव में जीत हासिल कर अपनी धमक बरकरार रखी है।
भाजपा की जीत के बावजूद बागेश्वर उपचुनाव में मुकाबला बराबरी का माना जा रहा था। भाजपा सरकार में परिवहन मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद बागेश्वर सीट पर उपचुनाव तय था। लिहाजा भाजपा ने उनकी पत्नी पार्वती दास पर ही दांव खेला। जबकि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी छोड़कर आए बसंत कुमार को मैदान में उतारा। बसंत कुमार 2022 के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी थे, और तीसरे नंबर पर रहने के बावजूद उन्हें दस हजार से ज्यादा वोट पड़े थे। माना जा रहा था कि उनके पास समर्थकों की बड़ी टीम है। ऐसे में कांग्रेस की यही रणनीति थी कि बसंत कुमार की अपनी टीम और कांग्रेस के वोट भाजपा पर भारी पड़ेंगे। चुनाव प्रचार के दौरान मुकाबला भी कांटे का ही बताया जा रहा था।
शुक्रवार की सुबह शुरू हुई मतगणना पर भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता लगातार नजरें गड़ाए हुए थे। पहले तीन राउंड में कांग्रेस की बढत से लगने लगा कि भाजपा के लिये इस बार राह आसान नहीं है। हालांकि उसके बाद भाजपा को बढ़त मिलने लगी। तेरहवें राउंड से भाजपा कार्यकर्ता जश्न मनाने लगे। और अंत में पार्वती दास को 33,247 मतों के साथ जीत हासिल हुई। कांग्रेस के बसंत कुमार को 30842 मत पड़े। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पार्वती दास को शुभकामनाएं देते हुए इसे जनता के भरोसे की जीत बताया।
नोटा तीसरे नंबर पर
बागेश्वर उपचुनाव में भाजपा पहले, कांग्रेस दूसरे और नोटा तीसरे नंबर पर रहा। दोनों दलों के बाद लोगों ने सबसे ज्यादा नोटा का बटन दबाया। वहीं पोस्टल बैलेट में भी 25 मत नोटा के खाते में गए। इस सीट पर कुल 56.8 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां यूकेडी, समाजवादी पार्टी और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में थे। जाहिर है कि इन दलों के उपर बागेश्वर के मतदाताओं ने नोटा को तरजीह दी।

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