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लाल लोमड़ी : विधानसभा में वन मंत्री के दावे की हकीकत क्या है ?

Pen Point, Dehradun : दुर्लभ हिमालयी लाल लोमड़ी का जिक्र उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र तक पहुंच गया। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मिशन लाल लोमड़ी के जरिये जंगली सुअरों पर काबू पाने की बात कही। बीते शुक्रवार को विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल के जवाब में उन्होंने यह रणनीति साझा की। विपक्ष ने कहा कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के दावे जंगली जानवरों के आतंक से हवा हवाई साबित हो रहे हैं।
दरअसल लाल लोमड़ी सामान्य लोमड़ी की तुलना आकार में बड़ी होती है। सुअरों के साथ ही ये गुलदार के बच्चों को भी निवाला बना लेती है। इसलिये वन विभाग की कोशिश है कि मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिये लाल लोमड़ी का सहारा लिया जाए। दुनिया के कई देशों में यह तकनीक इस्तेमाल की जाती रही है। इन देशों में अधिकांश जगहों पर यह तकनीक कारगर भी साबित हुई है।

अब बात करते हैं उत्तराखंड की। दिलचस्प बात ये है कि जितनी दुर्लभ लाल लोमड़ी है, उतनी ही दुर्लभ वन विभाग की मिशन लाल लोमड़ी योजना भी है। यह पहली बार नहीं है कि वन महकमा पहली बार इस लाल लोमड़ी की बात कर रहा है। दरअसल, साल 2016 से ही मिशन लाल लोमड़ी शुरू कर दिया गया था। जिसके तहत विभाग ने दावा किया था कि जंगल से लाल लोमड़ी को पकड़ कर नैनीताल जू में लाया जाएगा। जहां बाकायदा ब्रीडिंग सेंटर बनाकर इनकी तादाद बढ़ाई जाएगी। लेकिन साल 2018 तक यह योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। नैनीताल जू की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक वहां एक भी लाल लोमड़ी नहीं है। ऐसे में ब्रीडिंग सेंटर का सवाल ही नहीं उठता। लिहाजा सुअरों को इंसानों से दूर रखने की यह योजना अभी तक कामयाब नहीं हो सकी है।

ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में लाल लोमड़ी नहीं है। साल 2013 में पिथौरागढ़ के मुनस्यारी इलाके में करीब तीन हजार मीटर की उंचाई पर लाल लोमड़ी देखी गई थी। इसी दौरान नैनीताल वन प्रभाग ने भी ट्रैप कैमरा में तीन से चार लाल लोमड़ियों जा चुका है। केदारनाथ वन प्रभाग में भी लाल लोमड़ी की मौजूदगी है। जाहिर है कि उत्तराखंड में लाल लोमड़ी की तादाद बहुत कम हो गई है और यह संकटग्रस्त वन्य जीवों की श्रेणी में है। अगर इनका संरक्षण किया जाए तो ये इंसान के लिये उपयोगी साबित हो सकती हैं। लेकिन फिलहाल वन विभाग का मिशन लाल लोमड़ी कागजी योजना ही साबित हो रही है।

क्या है लाल लोमड़ी
लाल लोमड़ियां आम तौर पर लगभग 90-105 सेमी (36-42 इंच) लंबी होती हैं। इसकी पूंछ लगभग 35-40 सेमी (14-16 इंच) होती है। कंधे पर लगभग 40 सेमी लंबी होती हैं। अधिकांश वयस्कों का वजन लगभग 5-7 किलोग्राम (10-15 पाउंड) होता है, लेकिन सबसे बड़ी लोमड़ी का वजन 14 किलोग्राम (31 पाउंड) तक पहुंच सकता है। लाल लोमड़ी के बाल लंबे बालों से बने होते हैं और उनके नीचे का नरम महीन फर आमतौर पर गहरे लाल भूरे रंग का होता है। इसकी पूंछ अक्सर सफेद सिरे वाली होती है, और इसके कान और पैर काले होते हैं। हालांकि इसके रंग में बदलाव देखा जाता है, लेकिन अधिकांश लाल रंग के फर इसके शरीर पर रहते हैं। बड़े आकार और शिकारी पशु होने के कारण लाल लोमड़ी सुअर के बच्चों को आसानी से निवाला बना लेती है। वहीं मौका मिलने पर यह गुलदार शावकों का भी शिकार कर डालती है। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और भारत के हिमालयी राज्यों में लाल लोमड़ की कई प्रजातियां पाई जाती हैं।

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