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कुदरत : क्या जानवरों को हो जाता है भूकंप का पूर्वानुमान!

– जानवरों के व्यवहार में बदलाव का होता रहा है दावा, विशेषज्ञों ने भी की है पुष्टि
पंकज कुशवाल, देहरादून : 1991 में जब उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर को रात तीन बजे के करीब 6.8 मेग्निट्यूड क्षमता का भूकंप आया था। इस झटके ने भारत चीन से सटे इस जिले में व्यापक नुकसान पहुंचाया। करीब दो हजार लोग काल के ग्रास में समा गये। आधी रात के बाद आए इस झटके का असर लोगों पर बुरी तरह से पड़ा। बाद के दिनों में लोग बताने लगे कि उस दिन आधी रात के बाद से ही कुत्ते जोर जोर से भौंकने लगे थे। लगा कुत्तों ने कोई जंगली जानवर देख लिया हो। गौशालाओं में बंधे पशु भी अजीब व्यवहार करने लगे लेकिन गहरी नींद में सोए लोग जानवरों के व्यवहार में आए इस बदलाव को महसूस नहीं कर सके। हालांकि, तब लोगों के पास इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था कि भूकंप आने से पहले पशुओं के व्यवहार में कोई बदलाव आता है। लेकिन लोगों का मानना था कि उस रात भूकंप के झटके से पहले जानवर अलग तरह से व्यवहार करने लगे थे।
बाद के शोधों में वैज्ञानिकों ने भूकंप प्रभावित क्षेत्र के लोगों की शंकाओं पर मुहर लगाई। वैज्ञानिकों ने भी माना कि भूकंप आने से पहले जानवरों के व्यवहार में परिर्वतन होने लगता है। खासकर कुत्तों और बिल बनाकर रहने वाले जानवरों के व्यवहार में इस परिर्वतन को देखा और महसूस किया जा सकता है।

भूजल के रासायनिक परिवर्तन को महसूस करते हैं जानवर
वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप आने से ठीक पहले जानवर भू-जल में होने वाले रासायनिक परिवर्तन को देख पाते हैं। शायद यही कारण है कि भूकंप आने से पहले जानवर अलग तरह से व्यवहार करते हैं। इटली में 2009 में भूकंप आने से कुछ दिन पहले मेंढकों ने उस तालाब को छोड़ दिया था जिसमें वे पहले से रह रहे थे। वैज्ञानिकों ने उसी तालाब के पानी में पैदा हुए रासायनिक बदलाव का अध्ययन करना शुरू किया। उनकी खोज को ’इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इंवीरॉनमेंट्ल रीसर्च एंड पब्लिक हेल्थ’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक़ पानी के अंदर पत्थरों पर दबाव पड़ने से वो एक तरह का कण छोड़ते हैं जो पानी के साथ मिलकर पानी में रासायनिक बदलाव करते हैं। पानी में या उसके आस-पास रहने वाले जानवर पानी में होने वाले किसी भी रासायनिक बदलाव को लेकर काफ़ी संवेदनशील होते हैं और भूकंप आने से ठीक पहले उन्हें पता चल जाता है कि पत्थरों में कुछ हलचल हो रही है। वैज्ञानिकों के इस दल के प्रमुख नासा के फ़्राइडमैन फ़्रिअंड और ब्रिटेन की ओपन विश्वविधालय के राशेल ग्रांट को आशा है कि उनके शोध से जीव वैज्ञानिक और भू-वैज्ञानिक एक साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित होंगे। भूकंप आने से पहले सर्पणशील जानवरों और मछलियों के व्यवहार में बदलाव देखे गए हैं। चीन के हाइचेंग शहर में 1975 में भूकंप आने से ठीक एक महीना पहले ये देखा गया था कि वहां सांप अपने बिल से बाहर आने लगे थे। सांपों का ये व्यवहार सचमुच चौंकाने वाला था क्योंकि उस समय वहां काफ़ी सर्दी पड़ रही थी और सर्दियों में ज्यादातर सांप बिल में रहना पसंद करते हैं।

राशेल ग्रांट पहले से ही उस तालाब के मेंढकों के बारे में शोध कर रही थी। ग्रांट ने अपने शोध को एक पत्रिका में प्रकाशित किया जिसके बाद अमरीकी संस्था नासा ने उनसे संपर्क किया। नासा के वैज्ञानिक उस समय ये शोध कर रहे थे कि पत्थरों पर अत्यधिक दबाव पड़ने पर क्या प्रभाव पड़ता है। वो ये जानने की कोशिश करने लगे कि कहीं पत्थरों में होने वाले बदलाव और इटली के तालाब से मेंढकों के चले जाने में कोई संबंध है। वैज्ञानिकों ने ये पाया कि उन दोनों घटनाओं में ख़ास संबंध है।

दुनिया भर में इस विषय पर खूब शोध हुआ है क्या सिर्फ बिल में रहने वाले जानवर ही भूकंप आने से पहले अजीब व्यवहार करने लगते हैं या फिर अन्य जानवर भी धरती के गर्भ में होने वाली हलचल को इंसान से पहले महसूस करने लगते हैं। सितंबर 2003 में जापान के एक मेडिकल ऑफिसर ने अपने शोध के आधार पर दावा किया था कि भूकंप आने से कुछ समय पहले कुत्तों के व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगा वह जोर जोर लगातार भौंकने लगे, आक्रामक होने लगे। उन्होंने कुत्तों के इस व्यवहार को भूकंप के पूर्वानुमान के लिए सटीक माना।

हालांकि, जानवरों के व्यवहार में भूकंप से पहले परिर्वतन की यह थ्योरी नई नहीं है। इस तरह के दावे ईसा पूर्व में भी किया जाता रहा है। ईसा पूर्व 373 में आए विनाशकारी भूकंप के बारे में दावा किया जाता है कि भूकंप से पहले हेलिस के ग्रीक शहर में जानवरों के व्यवहार में अजीबोगरीब बदलाव आने लगा, जानवरों के व्यवहार में आए इस बदलाव को लोगों ने अजीब तरह से लिया और इसे कुदरत का कहर मानकर खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश शुरू कर दी।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. स्टेनली ने भी कुत्तों द्वारा भूकंप के पूर्वानुमान से जुड़े मिथकों पर काम करना शुरू किया तो उन्हें यह जानकर आर्श्चय हुआ कि 6.8 मेग्निट्यूड की क्षमता के भूकंप से पहले कनाडा के वेनकुवर शहर में 200 कुत्तों के व्यवहार को नजदीकी से देखा तो करीब 49 फीसदी के करीब कुत्तों के व्यवहार में अजीबोगरीब बदलाव देखे गये।

हर दिन आते हैं एक हजार से ज्यादा भूकंप
दुनिया भर में धरती के गर्भ में होने वाली हलचल से हर दिन 13 सौ से अधिक भूकंप आते हैं लेकिन इनमें से कुल तीन सौ भूकंप के झटके ही महसूस किए जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि दुनिया भर में एक साल पांच लाख भूकंप रेकार्ड किए जाते हैं लेकिन केवल 1 लाख भूकंप को ही इंसान महसूस कर पाता है यानि ऐसे भूकंप की क्षमता ज्यादा हो। आमतौर पर 3 मेग्निट्यूट और उसके अधिक क्षमता के भूकंप के झटके ही महसूस किए जा सकते हैं।

1 Comment

  1. जय देव भूमि उत्तराखंड
    जैसा कि आपने पढ़ा होगा कि कौवे के समान चेष्टा और बगुले के समान ध्यान कुत्ते के समान नींद और कम खाने वाला विद्यार्थी के यहां पांच लक्षण बताइए गए थे जो कि मानव जीवन को कुछ संदेश देना चाह रहे थे यदि मनुष्य द्वारा यह अपने जीवन में उतारा गया होता तो मनुष्य भी संपूर्ण प्रक्रिया को समझ सकता था

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