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कुलदीप टीटा : नगर निगम का वह सफाईकर्मी जो झाड़ू पर सवार होकर पहुंचा मेयर की कुर्सी तक

– सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद चंडीगढ के मेयर बने आप-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप टीटा पहले सफाईकर्मी के तौर पर थे तैनात, 2018 तक बतौर सफाईकर्मी करते रहे काम

Pen Point, Dehradun :बीते मंगलवार से सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा की मीडिया में चंडीगढ मेयर चुनाव का मुद्दा छाया हुआ है। 30 जनवरी को मतगणना के दौरान मतपत्रों में छेड़छाड़ कर पीठासीन अधिकारी ने भाजपा के प्रत्याशी मनोज सोनकर को मेयर पद पर विजेता घोषित किया था लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कुलदीप टीटा को विजय घोषित किया। चंडीगढ के मेयर बने कुलदीप कुछ साल पहले तक चंडीगढ नगर निगम के तहत सफाईकर्मी के तौर पर काम करते थे।
30 जनवरी को बहुमत होने के बावजूद पीठासीन अधिकारी अनिल मसीही की ओर से मतगणना में गड़बड़ी से मेयर बनने से चूके कुलदीप टीटा को आखिरकार तीन हफ्ते बाद न्याय मिला। मंगलवार को जब सर्वोच्च न्यायालय ने मतगणना में हुई गड़बड़ी को गंभीर मानते हुए कुलदीप टीटा को विजेता घोषित किया तो चंडीगढ़ नगर निगम को एक ऐसा मेयर मिला जो 2018 तक निगम के सेक्टर 22 में सफाईकर्मी के तौर पर तैनात हुआ करता था और सड़कों पर झाडू लगाते हुए सेक्टर की साफ सफाई संभाले हुए था। साल 2018 तक रोज सुबह नियत समय पर सफाईकर्मी की वर्दी पहन अपने अन्य सफाईकर्मी साथियों के साथ कुलदीप टीटा सेक्टर 22 के अलग अलग कॉलोनियों समेत सड़क मार्गों पर पड़ी गंदगी पर झाड़ू फेरा करते थे। दिन भर झाड़ू हाथ में लिए कुलदीप टीटा को क्या पता था कि कुछ ही सालों में इसी झाडू पर सवार होकर वह उस निगम के मेयर की कुर्सी तक का सफर भी पूरा कर लेंगे जिसके वह मामूली तनख्वाह पर मुलाजिम हैं।
इसी साल को कुलदीप टीटा की किस्मत बदलने वाली थी जब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों ने मेयर पद के लिए उनके पक्ष में वोट डाले लेकिन पीठासीन अधिकारी की ओर से कुछ मतों को अवैध घोषित कर दिया गया और भाजपा के प्रत्याशी मनोज सोनकर को विजयी घोषित कर दिया। मतगणना में हुई धांधली को लेकर आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें निराशा मिली तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। जहां सोमवार और मंगलवार को लगातार दो दिनों चली सुनवाई के बाद न्यायालय ने पीठासीन अधिकारी द्वारा मतगणना में गड़बड़ी के आप के आरोपों को सही पाते हुए आप-कांग्रेस के प्रत्याशी कुलदीप को मेयर घोषित किया। बीए पास 40 वर्षीय कुलदीप 2018 तक सेक्टर 22 में सफाई कर्मी के तौर पर तैनात थे। साल 2010 में कुलदीप भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा से जुड़े लेकिन उन्होंने जल्दी ही भाजपा छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ली। कुछ सालों तक कांग्रेस के सदस्य होने के साथ ही वह नगर निगम में भी सफाई कर्मी का काम करते रहे। लेकिन, नगर निगम चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली। आम आदमी पार्टी की ओर से 2021 के नगर निगम चुनाव में वह वार्ड 26 से भाजपा के पार्षद व पूर्व मेयर राजेश कालिया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे और उन्होंने जीत हासिल की। मेयर चुनाव को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई के बाद बीते दिनों जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चंडीगढ मेयर चुनाव करवाने के निर्देश दिए तो आप व कांग्रेस की ओर से कुलदीप को संयुक्त प्रत्याशी बनाया गया।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कुलदीप टीटा ने बताया कि वह जिस पृष्ठभमि से आते हैं, ऐसे में उन्हें आम आदमी पार्टी व कांग्रेस ने जिस तरह समर्थन देकर मेयर पद पर विजयी बनाया यह असाधारण है। अपनी प्राथमिकताओं के बारे में वह बताते हैं कि चंडीगढ में दशक भर से ज्यादा समय से डादूमाजरा डंपिंग जोन सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है और अब तक उन्होंने बोर्ड में इस डंपिंग जोन को हटाने की मांग उठाई है लिहाजा मेयर बनने के बाद वह इस डंपिंग जोन की समस्या का निपटारा करेंगे क्योंकि इसके इर्द गिर्द दलित व समाज के पिछड़े वर्ग के लोग निवासरत है जिन्हें बेहद नारकीय हालतों में रहना पड़ रहा है।
मतपत्रों में छेड़छाड़ कर भाजपा प्रत्याशी को विजयी बनाने के बाद निराश हुए कुलदीप सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद न्यायपालिका का धन्यवाद जताते हैं कि न्यायपालिका ने आम लोगों के विश्वास को बनाए रखा है।

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