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आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी से उत्तराखंड में कानून व्यवस्था का मुद्दा एक बार फिर ट्रेंड में

Pen Point, Dehradun : देहरादून: उत्तराखंड में बदहाल कानून व्यवस्था और पुलिस के पक्षपात पूर्ण रवैये को लेकर इंडिया एलाइंस व सिविल सोसाइटी ने मुख्य सचिव और डीजीपी से मुलाक़ात की। संगठन के संयोजक शीशपाल सिंह बिष्ट के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने राज्य में बदहाल कानून व्यवस्था को ले कर सवाल उठाया और एक मांग पत्र सौंपा।

प्रति निधिमंडल ने पुलिस प्रशासन पर राज्य में पक्षपात पूर्ण कार्रवाइयां करने का आरोप लगाया है। उत्तराखण्ड के सबसे चर्चित रहे अंकिता भण्डारी हत्या काण्ड मामले को प्रमुखता से उठाने वाले आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाए हैं। इसके अलावा हल्द्वानी में अराजक तत्वों के अल्पसंख्यक लोगों की दुकानों को ज़बरन बंद कराने और क़ानूनी प्रक्रिया की धज्जिया उड़ाना, मनमाने ढंग से लोगों को बेदखल करना और भय का माहौल बनाकर हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में लोगों के घरों में घुस कर उनकी निजी सम्पतियों पर तोड़ फोड़ करना। इसके अलावा सबसे शर्मनाक कदम महिलाओं और बच्चों के साथ मार पीट करने जैसी खबरों और अन्य हिंसात्मक घटनाओं को बेहद चिंताजनक बताया है।

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प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से कहा कि पुलिस और प्रशासन की तरफ से सत्ता पक्ष और सरकार के कारीबियों को अपराध करने के लिए खुली छूट दी जा रही है। जबकि संवैधानिक अधिकार के तहत सरकार से सवाल पूछने वाले लोगों पर पुलिस प्रशासन दंडात्मक कारवाई करने पर अमादा है।

ऐसे में प्रतिनिधि मंडल ने मांग की है कि किसी भी अपराध और ख़ास तौर पर महिलाओं के साथ किये जा रहे अत्याचार की जानकारी मिलने पर पुलिस तुरंत कारवाई करे। “हमारे पास शिकायत नहीं आयी है”, यह गैर क़ानूनी तर्क जनता को न दिया जाये, किसी भी प्रकार की कानूनी कारवाई और गिरफ़्तारी उच्चतम न्यायलय और कानून के प्रावधानों के तहत हो।

प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य सचिव से कहा कि राज्य में वन अधिकार कानून, मलिन बस्ती नियमितीकरण और पुनर्वास कानून, और अन्य ऐसी नीतियों पर युद्धस्तर से कारवाई हो, जिससे जनता सरकारी कार्रवाई की निष्पक्षता के प्रति आश्वस्त रहें और किसी भी प्रकार के आपराधिक या नफरती अभियान को ले कर 2022 के उच्चतम न्यायलय के फैसले के अनुसार पुलिस स्वयं संज्ञान ले कर निष्पक्ष हो कर सख्त कारवाई करे।

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