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अनिल बलूनी: राज्य से दूर लेकिन राज्य की राजनीति में खूब दखल रखने वाले नेता

Pen Point, Dehradun : भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार हरिद्वार और गढ़वाल संसदीय सीट से भी बीते बुधवार को प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। हरिद्वार संसदीय सीट से जहां पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रत्याशी घोषित किया गया है वहीं गढ़वाल संसदीय सीट से मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को मैदान में उतारा है। अनिल बलूनी का हाल ही में राज्यसभा कार्यकाल पूरा हुआ था और उनके कार्यकाल पूरा होने के बाद रिक्त हुई सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को राज्यसभा भेजा गया। तब से ही संभावनाएं जताई जा रही थी कि अनिल बलूनी अब लोक सभा चुनाव में उतरने की तैयारी में है। बुधवार शाम प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए भाजपा ने अनिल बलूनी को गढ़वाल संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित किया।
गढ़वाल संसदीय सीट से प्रत्याशी घोषित किए गए अनिल बलूनी बीते सालों से दिल्ली में रहने के बाद भी राज्य की राजनीति में खूब प्रासंगिक बने रहे। प्रदेश में जब जब नेतृत्व परिवर्तन हुआ तब तब अनिल बलूनी का नाम भी खूब चर्चाओं में रहा लेकिन तीन तीन बार नेतृत्व परिर्वतन के बावजूद उन्हें निराशा ही हाथ लगी। लेकिन, इस दौरान वह राज्य की राजधानी से ढाई सौ किमी दूर होने के बाद भी राज्य की राजनीति में खूब सक्रिय रहे। राजनीति में करियर की शुरूआत में ही अनिल बलूनी गुजरात और बिहार के राज्यपाल के ओएसडी रहे। साल 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में कोटद्वार से भाजपा के प्रत्याशी रहे लेकिन नामांकन रद होने की वजह से चुनाव नहीं लड़ सके लेकिन दो साल बाद उपचुनाव में फिर मैदान में उतरे लेकिन जीत नहीं सके। साल 2012 में प्रदेश भाजपा में प्रवक्ता का पद संभाला लेकिन राजनीतिक करियर ने तब छलांग मारी जब 2014 के लोक सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मीडिया प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली। केंद्र में भारी बहुमत के साथ भाजपा की सरकार आई तो अनिल बलूनी का कद संगठन में बढ़ने लगा। 2015 में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी की जिम्मेदारी मिली जो आज भी संभाल रहे हैं। 2018 में उन्हें भाजपा ने उत्तराखंड से राज्य सभा भेजा। इसी साल फरवरी में जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ तो माना जा रहा था कि भाजपा उन्हें फिर से राज्यसभा भेजेगी हालांकि इससे पहले वह कई मौकों पर लोक सभा चुनाव लड़ने की ईच्छा भी जता चुके थे। फरवरी महीने के आखिर में जब उनकी जगह पर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को राज्यसभा भेजा गया तो माना जाने लगा कि वह लोक सभा चुनाव में उतरेंगे। बीते मार्च पहले हफ्ते में जब भाजपा ने राज्य की पांच में से तीन संसदीय सीटों पर मौजूदा सांसदों को ही प्रत्याशी घोषित किए गए तो गढ़वाल और हरिद्वार संसदीय सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए थे तो माना जाने लगा था कि हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के टिकट कटने तय हैं। बुधवार को यह आशंकाएं भी सच साबित हुई।
बतौर राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का कार्यकाल राज्य हित में खूब रहा। राज्यसभा सांसद बनते ही अनिल बलूनी ने 2018 में देहरादून से काठगोदाम के बीच नई ट्रैन शुरू करवाई। तो साल 2021 में टनकपुर से दिल्ली तक एक नई ट्रेन का संचालन शुरू करवाया। 2021 में ही कोटद्वार से दिल्ली तक, बीते साल कोटद्वार से दिल्ली तक रात्रिकालीन ट्रेनें शुरू करवाई। अपनी सांसद निधि ने अनिल बलूनी से सीमांत जिला अस्पताल उत्तरकाशी और रामनगर में आईसीयू वेंटिलेटर की सुविधाएं स्थापित करवाई।
बतौर राज्यसभा उनका सदन में भी प्रदर्शन ठीकठाक ही रहा। राज्यसभा में उनकी उपस्थिति 84 फीसदी रही जो राष्ट्रीय औसत 79 फीसदी से ज्यादा रही। वहीं, उन्होंने लैंसडोन में विकास संबंधी, उत्तराखंड में आपदाओं से संबंधित समेत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से जुड़ी 8 चर्चाओं में हिस्सा लिया। हालांकि, यह राष्ट्रीय औसत के 113 से बहुत कम है। वहीं, उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय हितों, समस्याओं से जुड़े 16 सवाल पूछे जो राष्ट्रीय औसत 256 सवाल प्रति सांसद के हिसाब से बहुत कम थे लेकिन ज्यादातर सवाल उत्तराखंड के हितों से जुड़े ही थे।
अब गढ़वाल संसदीय सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल से है। गणेश गोदियाल पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष रहने के साथ ही विधायक भी रह चुके हैं। 2022 का विधानसभा चुनाव वह श्रीनगर विधानसभा से भाजपा के डॉ. धन सिंह रावत से महज 587 वोटों से हार गए थे। उसके बाद उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष पद भी गंवाना पड़ा था। लेकिन, बीते सालों से गणेश गोदियाल गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में खूब सक्रिय रहे हैं और जब बीते साल नवंबर महीने में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी निजी दौरे पर केदारनाथ पहुंचे थे तो गणेश गोदियाल को ही उनके साथ यात्रा में शामिल होने का मौका मिला था। ऐसे में क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय गणेश गोदियाल के सामने अनिल बलूनी के लिए चुनावी मैदान में उतरना आसान तो नहीं होगा लेकिन राज्यसभा सांसद रहते हुए उनके पास राज्य के लिए किए गए कार्यों की भी लंबी चौड़ी लिस्ट है।

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