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सांसद रिपोर्ट 3 : संसद में मौजूद तो रहे पर सवाल पूछने में फिसड्डी रहे हमारे माननीय

Pen Point, Dehradun : प्रदेश के पांचों लोक सभा सांसद संसद सत्र के दौरान उपस्थित रहने में देश के अव्वल सांसदों में से हैं लेकिन सवाल पूछने में पांच सालों में फिसड्डी साबित रहे। संसद सत्र के दौरान देश के प्रति सांसद की औसत उपस्थिति की दर 79 फीसदी रही तो वहीं राज्य के सांसदों की उपस्थिति की दर राष्ट्रीय औसत से 10 फीसद ज्यादा 89 फीसदी रही। लेकिन, सदन में अच्छी खासी उपस्थिति के बावजूद पांचों सांसद ज्यादातर खामोश होकर ही अपनी मौजूदगी दर्ज करवाते रहे। संसद सत्र के दौरान जहां सांसदों ने औसतन 210 सवाल पूछे वहीं प्रदेश के सांसदों ने औसतन सिर्फ 71 सवाल ही पूछे यानि राष्ट्रीय औसत के एक तिहाई के करीब। वहीं, प्रदेश के सांसद संसद में होने वाली चर्चाओं में भी राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम शामिल हुए। जहां राष्ट्रीय औसत के हिसाब से हर सांसद ने 47 चर्चाओं में हिस्सा लिया वहीं राज्य के सांसदों का औसत 29 प्रति सांसद रहा।
2019 के लोक सभा चुनाव में प्रदेश के मतदाताओं ने पांचों संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशियों को भारी मतों से विजयी बनाकर संसद में भेजा। सांसद बनकर संसद पहुंचे पांचों सांसद संसद सत्रों के दौरान उपस्थित रहने को लेकर खूब अनुशासित रहे। लेकिन, सवाल पूछने और चर्चाओं में हिस्सा लेकर को पीछे रह गए। गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति 92 फीसदी रही, उन्होंने 44 चर्चाओं में हिस्सा लिया और 4 प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किए। तीरथ सिंह रावत की ओर से पेश किए गए प्राइवेट मेंबर बिल में जंगली जानवरों के हमले पर मुआवजा संबंधी बिल, केंद्रीय हिमालयी राज्य विकास परिषद बिल समेत चार बिल शामिल थे।
वहीं हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की संसद में उपस्थिति 78 फीसद रही जो राष्ट्रीय औसत 79 फीसद से एक फीसद कम रही। सांसद के रूप में रमेश पोखरियाल निशंक ने किसी भी डिबेट में हिस्सा नहीं लिया और न ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। उन्होंने राष्ट्रीय औसत 133 प्रश्नों के मुकाबले केवल 18 प्रश्न ही पूछे। हालांकि, रमेश पोखरियाल निशंक 30 मई 2019 से लेकर जुलाई 2021 तक केंद्रीय मंत्री रहे लिहाजा उनके द्वारा मंत्रालय की तरफ से सवालों के जवाब दिए गए है तथा साथ ही नियमानुसार दौरान उनकी संसद में मौजूदगी को भी रिपोर्ट नहीं किया गया।
टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह की संसद में उपस्थिति 86 फीसदी रही। उन्होंने 10 डिबेट में हिस्सा लिया और उत्तराखंड के सांसदों में सबसे ज्यादा 147 सवाल पूछे। माला राज्यलक्ष्मी शाह की ओर से कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया गया।
अल्मोड़ा से सांसद अजय टम्टा की 89 फीसदी उपस्थिति रही। उन्होंने सबसे कम 9 सवाल पूछे और 14 चर्चाओं में हिस्सा लिया। उन्होने भी कोई प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया। वहीं, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट की उपस्थिति 98 फीसदी रही उनकी ओर से 48 चर्चाओं में हिस्सा लिया गया और 45 सवाल पूछे। राज्य मंत्री बनने से पहले वह 3 प्राइवेट मेंबर बिल भी लेकर आए। जिसमें जनसंख्या नियत्रंण बिल, संविधान संशोधन से जुड़े दो बिल शामिल थे। राज्य मंत्री बनने के बाद नियमानुसार उन्हें सवाल पूछने या डिबेट में हिस्सा लेने का प्रावधान नहीं है वह सदन में सदस्यों की ओर से उनके मंत्रालय से जुड़े पूछे गए सवालों के जवाब देते हैं।

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