खनन: राज्य की कैबिनेट का अनिवार्य प्रस्ताव
– राज्य में खनन ने लक्ष्य मुताबिक कभी नहीं जुटाया राजस्व, पर हर कैबिनेट बैठक में अनिवार्य रूप से शामिल रहता है खनन
PEN POINT, DEHRADUN : यूं तो राज्य में खनन ने कभी लक्ष्य अनुरूप राजस्व नहीं जुटाया, उल्टा खनन के जरिए राजस्व जुटाने का लक्ष्य आधा भी पूरा नहीं हो सका लेकिन प्रदेश सरकार की शायद ही कोई कैबिनेट बैठक ऐसी गुजरी हो जिसमें खनन से जुड़ा प्रस्ताव न आया हो। खनन प्रेम को लेकर मौजूदा सरकार पर कई बार सवाल भी उठे हैं तो खनन नीतियों को लेकर सरकार के फैसलों पर कई बार न्यायालय की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। ऐसे में सवाल उठता है कि हर कैबिनेट बैठक में पेश होने वाले प्रस्तावों में अनिवार्य रूप से पेश होने वाले खनन से राज्य के खजानें में कितनी रकम आती है। बुधवार को जब कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि अवैध खनन पर लगने वाला जुर्माना अब पांच गुने की बजाए दोगुना किया जाएगा तो उसके बाद से सवाल उठनेे लगे हैं कि इस फैसले के बाद अवैध खनन के काम को जरूर पंख लगेंगे।
प्रदेश में सरकार के सामने हमेशा से ही खर्च के मुकाबले कमाई के फासले में भारी अंतर रहा है। आमतौर पर राज्य में जितना खर्च किया जाता है उसके मुकाबले अपने संसाधनों से कमाई आधे से भी कम है। आबकारी, खनन, वन, ऊर्जा से होने वाली कमाई के जरिए ही राज्य सरकार खर्चों का प्रबंध करती है। लेकिन, राज्य सरकार की कैबिनेट बैठकों से लेकर विधानसभा सत्र, मीडिया में खनन सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला क्षेत्र है। फिलहाल बीते गुरूवार को प्रदेश की कैबिनेट में प्रस्ताव लाया गया कि अवैध खनन पर जो जुर्माना लगाया जा रहा था उसे घटा दिया गया है। जबकि, राज्य में खनन से होने वाली आय की राह का सबसे बड़ा रोड़ा अवैध खनन ही माना जाता रहा है। बीते वित्तीय वर्ष में ही सरकार ने खनन से 825 करोड़ रूपए के राजस्व जुटाने का लक्ष्य तय किया था लेकिन राज्य में सफेदपोश और खनन माफियाओं के गठजोड़ के कारण राज्य सरकार खनन के जरिए तय लक्ष्य से आधे की रकम ही जुटा सकी। साल 2021-22 में भी राज्य सरकार ने खनन के जरिए 750 करोड़ रूपए का लक्ष्य तय किया था लेकिन साल बीतने पर विभाग कुल 575 करोड़ रूपए ही जुटा सका था। खनन के लिए तय लक्ष्य के मुताबिक राजस्व जुटाने में शायद ही खनन विभाग सफल हो सका हो। राजस्व जुटाने में सबसे फिसड्डी क्षेत्र में शामिल खनन को लेकर सरकार के प्रेम पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून के हिमाचल प्रदेश सीमा से सटे क्षेत्र समेत कई इलाकों में लगातार ही अवैध खनन और अवैध खनन को रोकने गई टीमों पर हमले की खबरें भी हर दिन आती रहती है। सरकार यूं तो अवैध खनन पर रोक लगातार खनन से राजस्व जुटाने के दावे करती रहती है लेकिन बीते बुधवार को हुई कैबिनेट में अवैध खनन पर लगाए जाने वाले जुर्माने को कम करने के फैसले के बाद अब लगने लगा है कि इस साल के लिए भी खनन के जरिए जुटाए जाने वाले राजस्व का लक्ष्य शायद ही पूरा हो सके।
कैग ने भी उठाए थे सवाल
कैग की ओर से साल की शुरूआत में जारी रिपोर्ट में भी राज्य में अवैध खनन से राजस्व की चपत का खुलासा किया गया था। कैग रिपोर्ट के अनुसार अकेले देहरादून में ही 37 लाख टन का अवैध खनन किया गया जिससे सरकार के खजाने को 45 करोड़ रुपये के राजस्व का चूना लगा। कैग रिपोर्ट में वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 के बीच 37.17 लाख मीट्रिक टन अवैध खनन की पुष्टि की गई है। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 के बीच 37.17 लाख मीट्रिक टन अवैध खनन की पुष्टि की गई है। इस अवैध खनन से नदियों के पारिस्थितिक तंत्र को पहुंचे नुकसान के अलावा 45.69 करोड़ रुपये के राजस्व की चपत भी लगाई गई है।