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हर साल सात लाख से ज्यादा छात्र चुनते हैं विदेश की राह

– विदेश से उच्च शिक्षा का आकर्षण बढ़ रहा है छात्रों में, बीते सालों के मुकाबले दोगुने हुए विदेश जाने वाले छात्र
PEN POINT, DEHRADUN : विदेश से उच्च शिक्षा का आकर्षण भारतीय छात्रों में सिर चढ़ कर बोल रहा है। 2016 में जहां साढ़े चार लाख छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश का रूख किया तो 2019 में यह संख्या बढ़कर सात लाख पार कर गई। एक अनुमान के मुताबिक 2024-25 में 18 लाख से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश पहुंचेंगे। अकेले उत्तराखंड से ही 3 हजार से अधिक छात्र दुनिया के अलग अलग देशों में उच्च शिक्षा के लिए गए।
भारतीय छात्रों के लिए विदेशी मुल्कों में उच्च शिक्षा लेने एक बड़ा आकर्षण बना हुआ है। इसके लिए हर साल करीब 7 लाख से अधिक छात्र कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया समेत कई अन्य देशों के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं। हालांकि, भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए कनाडा खूब भाता है। देश भर से औसतन ढाई लाख छात्र हर साल उच्च शिक्षा के लिए कनाडा के अलग अलग शहरों में पहुंचते हैं। उसके बाद अमेरिका भारतीय छात्रों की दूसरी सबसे बड़ी पसंद है। औसतन 2 लाख छात्र हर साल अमेरिका के विभिन्न कॉलेजों में उच्च शिक्षा के लिए यहां पहुंचते हैं। उसके बाद भारतीय छात्रों के लिए आस्ट्रेलिया उच्च शिक्षा पाने का बड़ा केंद्र है। एक अनुमान के मुताबिक भारत से हर साल औसतन 60 हजार छात्र उच्च शिक्षा के लिए यहां पहुंचते है।
एक रिपोर्ट की माने तो विदेशों में उच्च शिक्षा हासिल करने गए छात्रों द्वारा शिक्षा पर करीब 23 हजार करोड़ रूपए से अधिक की रकम खर्च की है। हर साल हर छात्र औसतन 40 लाख रूपए विदेश में उच्च शिक्षा के लिए खर्च करता है। कनाडा में ही स्नातक कार्यक्रमों के लिए हर साल न्यूनतम 15 लाख रूपए की फीस चुकानी पड़ती है।
विदेशों में बेहतर शिक्षा, बेहतर रोजगार के अवसर पाने के लिए बड़ी तादात में छात्र विदेशों का रूख कर रहे हैं। गुजरात, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, कर्नाटका, केरला, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेशों का रूख करते हैं। उत्तराखंड से हर साल औसतन 3 हजार छात्र विदेश पहुंचते हैं।

क्यों लगी आस्ट्रेलिया में रोक
आस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों में उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर के छात्रों के प्रवेश पर रोक के पीछे इन छात्रों के वीजा नियमों उल्लघंन के मामले बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि इन राज्यों से बड़ी संख्या में छात्र कूटरचित दस्तावेज तैयार कर विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए विजा तो पा लेते हैं लेकिन यहां आकर वह पढ़ाई की बजाए नौकरी रोजगार में जुट जाते हैं। ऐसे मामलों की लगातार संख्या बढ़ती रही तो आस्ट्रेलिया गृह मंत्रालय की ओर से इन राज्यों के छात्रों पर रोक लगा दी गई। वहीं, कनाडा, अमेरिका जैसे देशों में भी समय समय पर स्टडी वीजा पर गए छात्र पढ़ाई छोड़ रोजगार में जुटने की खबरें आती रहती है।

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