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भारत का यह राज्य बांग्लादेशी शरणार्थियों को दे रहा रोटी कपडा और मकान

PEN POINT, DEHRADUN : भारत में पूर्वोत्तर में स्थित मिजोरम राज्य इन दिनों बांग्लादेश से जान बचाकर भाग रहे परिवारों को रोटी कपड़ा और मकान मुहैया करवा रहा है। बांग्लादेश में सेना की कार्रवाई से जान बचाकर भारत की तरफ भाग रहे ईसाई परिवारों के लिए मिजोरम ने मदद के दरवाजे खोले हुए हैं। अब तक करीब पांच सौ से भी ज्यादा लोगों को मिजोरम ने अपने इलाके में शरण दे रखी है।
बांग्लादेश के बंदरबन में इन दिनों बांग्लादेश की सेना ने कुकी चिन नेशनल आर्मी के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है। बंदरबन के इस इलाके में बम जनजाति के लोगां की बड़ी आबादी निवासरत है। बांग्लादेशी सेना की ओर से की जारी गोलीबारी व बमबारी से बम जनजाति के यह परिवार अपनी जान बचाकर भारत में शरण के लिए दौड़ लगा रहे हैं। बंदरबन से सुरक्षा के लिहाज से भागे इन बांग्लादेशी परिवारों को मिजोरम अपने यहां रहने को भोजन व रहने की जगह दे रहा है। बम जनजाति के लोग ईसाई हैं। उन्होंने दक्षिण मिज़ोरम के लॉन्गतलाई ज़िले के पांच गावों में शरण ली है।
इन परिवारों को स्थानीय ईसाई संगठन कच्चा अनाज देने के साथ ही घर बनाने के लिए बांस व अन्य वस्तुएं भी दे रहे हैं। साथ ही इन अप्रवासी परिवारों को दवाएं व अन्य जीवनरक्षक सामग्री भी बांटी जा रही है।
असल में विभाजन के बाद बांग्लादेश के हिस्से आए इस इलाके में रहनी वाली जनजातियों का सदियों से मिजोरम से रोटी बेटी का संबंध रहा है। दोनों इलाकों में रिश्तेदारी नातेदारी का पुराना संबंध है। स्थानीय लोग बताते हैं कि बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थी मिज़ो लोगों के वृहत्तर परिवार के ही सदस्य हैं और उनके पूर्वजों के कुछ परिवार बांग्लादेश के बंदरबन व बर्मा में रहते थे और लंबे समय से आपसे में जुड़े रहे हैं इसलिए यह हमारे रिश्तेदार ही है। इसी शुक्रवार को मिजोरम विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर बांग्लादेश से आने वाले इन शरणार्थी बम जनजाति के लोगों के रहने खाने की व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी बताया। वहीं, मिजोरम सरकार ने भी केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान बंदरबन से पलायन कर रहे बम जनजाति के शरणार्थियों को सीमा पार करने से नहीं रोका जाए।

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