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चिंता : 100 रूपये का लक्ष्य पर 68 रूपये ही हो सकी कमाई

वित्तीय वर्ष खत्म होने पर, राजस्व लक्ष्य अभी भी 33 फीसदी कमी, खनन ने भी किया सरकार को निराश
सीजीएसटी समेत कुछ क्षेत्रों ने निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा किया प्राप्त, पर ओवरऑल प्रदर्शन खराब
PEN POINT, DEHRADUN : राज्य सरकार के बजट की हालत यूं तो हमेशा से ही आमदनी चवन्नी खर्चा रूपया वाला रहा है लेकिन इस साल स्थिति ज्यादा खराब होती दिख रही है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है और राज्य में सर्वाधिक राजस्व देने वाले क्षेत्र अभी भी लक्ष्य के मुकाबले अभी भी 68 फीसदी ही दे सके है। बीते सोमवार को जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजस्व की समीक्षा की तो मामूल पड़ा कि विभाग राजस्व लक्ष्य जुटाने में रेंग रहे हैं। फरवरी तक राज्य में राजस्व लक्ष्य के मुकाबले 68 फीसदी ही जुटाया जा सका।
राज्य सरकार यूं तो अपने रोजमर्रा के खर्चे चलाने से लेकर कर्मचारियों के वेतन भत्तों के भुगतान तक के लिए बाजार के कर्ज पर निर्भर है। लेकिन, जो क्षेत्र राज्य के खजाना भरने का काम कर रहे हैं वह भी अब तय लक्ष्य को जुटाने में हांफ रहे हैं। खनन, उर्जा जैसे क्षेत्रों का तो तय लक्ष्यों को पूरा करने में दम फूल गया है। शुक्र हो आबकारी जैसे विभागों का जो तय लक्ष्य के मुताबिक राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य पूरा करता दिख रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित बैठक में राजस्व प्राप्ति की समीक्षा की। पता चला कि फरवरी तक राज्य को विभिन्न क्षेत्रों के जरिए 27270 करोड़ रूपये के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य था लेकिन फरवरी तक कुल 18210 करोड़ रूपये की जुटा सकी।
खनन के जरिए राज्य सरकार का लक्ष्य था कि अब तक 825 करोड़ रूपये कमाए जाएं लेकिन अब तक कुल 379 करोड़ रूपये ही खनन के जरिए जुटाए जा सके हैं। वहीं उर्जा के जरिए 1100 करोड़ जुटाने का लक्ष्य था लेकिन 265 करोड़ रूपये की जुटाए जा सके। वहीं वन के जरिए 601 करोड़ रूपये जुटाए जाने की योजना थी लेकिन इसका आधा 316 करोड़ रूपये ही जुटाए जा सके।

तय लक्ष्य से ज्यादा किया हासिल
ऐसा नहीं है कि राज्य में राजस्व प्राप्ति की हालत खराब ही रही हो। कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जहां राजस्व प्राप्ति लक्ष्य से ज्यादा या फिर उसके हिसाब से रही। एसजीएसटी के जरिए 6256 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 6765 करोड़ रूपये जुटाए। वहीं,  नॉन जीएसटी के 2204 के सापेक्ष 2189 करोड़ रूपये कमाए। जबकि, आबाकारी ने तरह तरह की छूट के जरिए 3522 करोड़ रूपये के राजस्व लक्ष्य के सापेक्ष 3132 करोड़ रूपये कमाए। जबकि, परिहवन का राजस्व लक्ष्य ठीक ठाक स्थिति में रहा। यहां 1155 करोड़ रूपये के सापेक्ष 1109 करोड़ जुटाए गए। वहीं, स्टैंप रजिस्ट्रैशन के 1590 करोड़ रूपये के सापेक्ष 1765 करोड़ रूपये जुटाए गए।

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