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मुद्दा : सिलक्यारा टनल हादसे पर अब सियासी सवालों की बौछार शुरू

PEN POINT, DEHRADUN : उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन को बमुश्किल 17 दिन में मिली सकुशल सफलता के बाद असली बात अब सामने आने लगी है। अब तक देशभर की निगाहें इन सभी मजदूरों के जीवन को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर लगी हुई थी। लेकिन आखिर इतने बड़े हादसे की वजहों पर अब बात होना जरूरी हो जाता है। इस बारे में मीडिया जिन सवालों को पूछने की कोशिशों में लगा था, वे सवाल अब सियासत की शक्ल में सामने आने लगे हैं। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर इन सवालों को प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है। जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल सामने आए हैं।

सिलक्यारा टनल के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन पर अब देश और प्रदेश में राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा-घटना से सबक लेते हुए एक शोध होना चाहिए उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकाले जाने पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस क्षण ये खबर आई कि हमारे 41 श्रमिक सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं तो पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। हमारा देश चांद तक पहुंच गया है लेकिन हम हमसे 50 मीटर दूर तक 17 दिनों में नहीं पहुंच पाए। इस घटना से सबक लेते हुए एक शोध होना चाहिए। आखिर ये कंपनी कौन थी? इस कंपनी का मालिक कौन है? उसका इस बचाव अभियान में कहीं भी पता नहीं चला।

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राज्य स्तर पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान खड़े किए हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि टनल से सफल रेस्क्यू एक सुखद सूचना है लेकिन सरकार ने इस पूरे प्रकरण में जिस तरह से संवेदन हीनता दिखाई वह बेहद निराशाजनक है अगर मुख्यमंत्री को वास्तव में इस घोर लापरवाही पर कार्यवाही करनी है तो जो कंपनी टनल बना रही थी उस पर मुकदमा दर्ज करें उनकी लापरवाही से 41 जिंदगियां खत्म होने से बची है लेकिन मुख्यमंत्री ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि यह कंपनी भी केंद्र में बैठे उनके नेताओं के सहयोगियों की हैं और सभी भाजपा के नेता उत्तराखंड को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लूट रहे हैं सारे बड़े काम बीजेपी के नाते रिश्तेदारों को दिए जा रहे हैं और वह मनमानी तरीके से काम कर रहे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री खुद केंद्र की कृपा की पात्र हैं इसलिए वह ईतनी हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे कि वह इन कंपनियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही कर सके गणेश ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को चैलेंज भी किया है कि अगर मुख्यमंत्री में थोड़ी भी संवेदनशीलता है तो पिछली घटनाओं और अब इस घटना में जुड़े कंपनियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज करें।

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बता दें कि इस सारे मामले में निर्माणदाई संस्था निर्माण कम्पनी इस पूरी दुर्घटना के लिए पहले से ही सवालों के घेरे में ऐसे में इस पर पब्लिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र से सवालों का उठान लाजमी है। जिस पर सरकार को गहन जांच के बाद स्थित को सार्वजानिक किया जाना बेहद जरूरी हो जाता है। जैसे कि पहले ही पेन पॉइंट अपनी एक खबर में साफ़ कर चुका है कि अगले 10 सालों में उत्तराखंड में करीब 84 टनलें बननी प्रस्तावित हैं। वहीं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का अधिकतम हिस्सा टनल के जरिये तैयार किया जा रहा है। इस तरह ये तमाम प्रोजेक्ट सिलक्यारा में हुए हादसे का सबब न बने इसके लिए तय तमाम आधुनिक मानकों का परीक्षण किया जाना बेहद जरूरी हो जाता है। क्योंकि यह आखिरकार मानवीय जीवन से जुड़ा हुआ मसला है।

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